रांची: मध्यप्रदेश की घटना के विरोध में आदिवासी संगठनों के द्वारा बीजेपी प्रदेश कार्यालय के घेराव की कोशिश असफल रही. पुलिस की सख्ती के कारण आंदोलनकारियों को हरमू रोड पर लगे पुलिस बैरिकेडिंग के पास ही रूकना पड़ा. इस दौरान जमकर नारेबाजी हुई.
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बीजेपी प्रदेश कार्यालय के घेराव की कोशिश के दौरान हरमू मैदान से बीजेपी प्रदेश कार्यालय की ओर आ रहे आदिवासी संगठन से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस की नोकझोंक भी हुई, लेकिन पुलिस की सख्ती के आगे इनकी एक नहीं चली और आंदोलनकारी बीजेपी प्रदेश कार्यालय से पहले पुलिस की बैरिकेडिंग के पास ही खड़ा होकर नारेबाजी करने लगे. इस दौरान बीजेपी के खिलाफ आंदोलनकारियों ने जमकर भड़ास निकाली.
'अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी की चुप्पी से व्यथित आदिवासी': आदिवासी नेता प्रेमशाही मुंडा ने मध्यप्रदेश की घटना पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जिस तरह से मध्यप्रदेश में घटना हुई और बीजेपी के अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी जैसे नेता चुप्पी साधे हुे हैं, उससे कहीं ना कहीं आदिवासी समाज व्यथित है. यही वजह है कि आज सैकड़ों लोग बीजेपी कार्यालय का घेराव करने आए हैं. इसी तरह आदिवासी नेता अजय तिर्की ने कहा कि मध्य प्रदेश की घटना और यूसीसी के विरोध में आदिवासी समाज लगातार आंदोलन कर रहा है. मगर अपने आपको आदिवासी नेता समझने वाले बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा जैसे नेता चुप्पी साधे हुए हैं. आवश्यकता पड़ी तो इस आंदोलन को और व्यापक बनाया जाएगा.
हरमू रोड में लगा रहा जाम: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक प्रतिनिधि द्वारा आदिवासी युवक पर पेशाब करने की घटना के विरोध में आदिवासी संगठन बीजेपी प्रदेश कार्यालय का घेराव करने निकले थे. उनकी इस कोशिश के दौरान हरमू रोड में काफी देर तक जाम लगा रहा. स्कूली बस के साथ-साथ प्रशासन की गाड़ियां फंसी रही. इधर, पुलिस प्रशासन के समझाने के बाद आंदोलनकारी मुख्य मार्ग पर लगे पुलिस बैरिकेडिंग से हटने को तैयार हुए. जिससे भाजपा प्रदेश कार्यालय का घेराव करने में आंदोलनकारी असफल हो गए.
भारी संख्या में पुलिस की तैनाती: आदिवासी संगठनों के घेराव को देखते हुए सुबह से ही बीजेपी प्रदेश कार्यालय के सामने भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती थी. जगह-जगह पर पुलिस बैरिकेडिंग के जरिए आंदोलनकारियों पर नजर रखी जा रही थी. बीजेपी कार्यालय में आनेवाले लोगों पर नजर रखी जा रही थी. खुद बाबूलाल मरांडी प्रदेश कार्यालय में बैठे रहे और कार्यकर्ताओं से मिलते रहे. इस दौरान उन्होंने मीडिया द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए इस आंदोलन को राजनीतिक नौटंकी बताते हुए आंदोलनकारियों को झारखंड में आदिवासी परिवार के साथ हुई घटना के लिए हेमंत सोरेन के आवास को घेरने की सलाह देते नजर आए.