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झारखंड में धार्मिक न्यास बोर्ड के फरमान पर राजनीति शुरू, मंदिर प्रबंधन के समर्थन में उतरे सांसद संजय सेठ

झारखंड में धार्मिक न्यास बोर्ड के फरमान पर राजनीति शुरू है. बोर्ड ने सभी प्रमुख मंदिरों की कमेटी में फेरबदल किया है. जिसे लेकर मंदिर के पुराने समिति के लोग विरोध कर रहे हैं. रांची के सांसद संजय सेठ ने भी इसका विरोध किया है.

Jharkhand Religious Trust Board
न्यास बोर्ड मुख्यालय और संकटमोचन मंदिर
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 15, 2023, 4:50 PM IST

न्यास बोर्ड के फरमान पर नेताओं का बयान

रांची: धार्मिक न्यास बोर्ड के आये दिन आ रहे नये-नये फरमान से जहां विभिन्न मंदिर प्रबंधन समिति परेशान हैं. वहीं इसे लेकर राजनीति भी तेज हो गई है. दरअसल, नवगठित धार्मिक न्यास बोर्ड ने हाल ही में राज्य के विभिन्न मंदिरों और मठों के लिए पूर्व से चली आ रही प्रबंधन समिति में फेरबदल करना शुरू किया है, जिसके बाद पूर्व से गठित मंदिर प्रबंधन समितियों के विरोध के स्वर फूटने लगे हैं.

यह भी पढ़ें: Ranchi News: झारखंड धार्मिक न्यास बोर्ड ने भंग की पहाड़ी मंदिर की पुरानी समिति, 11 सदस्यीय नई समिति का किया गठन

सबसे ज्यादा विरोध के स्वर पहाड़ी मंदिर के लिए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एनएन पांडे के नेतृत्व में बनी नई कमिटी को लेकर है. जिसमें पूर्व से चल रहे एसडीओ की अध्यक्षता को समाप्त करते हुए नये प्रावधान के साथ कमिटी बनाई गई है.

इसी तरह मेन रोड स्थित संकट मोचन मंदिर को भी धार्मिक न्यास के अंदर लिए जाने पर विरोध के स्वर फूटने लगे हैं. श्री महावीर मंडल रांची महानगर के अध्यक्ष कुणाल अजमानी ने इसे गलत बताते हुए कहा है कि इस मंदिर का वर्षों से रख रखाव निजी हाथों से हुआ है. झारखंड गठन के बाद से कभी भी न्यास परिषद के कोई भी लोग आज तक इसे देखने के लिए नहीं आए पर आज जब मंदिर को पूरे सुचारू रूप से चलाया जा रहा है, तब एक नई कमिटी धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा बनाया जा रहा है, जो सरासर गलत है. श्री महावीर मंडल रांची महानगर इसके खिलाफ न्यायालय जायेगी क्योंकि यह मंदिर निर्मोही अखाड़ा अयोध्या से पंजीकृत है.

हिन्दू धार्मिक न्यास बोर्ड के फरमान पर राजनीति शुरू: इधर हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड के फरमान पर राजनीति शुरू हो गई है. रांची सांसद संजय सेठ ने हिन्दू धार्मिक न्यास बोर्ड को कांग्रेसीकरण करने का आरोप लगाया है. उन्होंने इसके विरुद्ध सड़क पर उतरने की धमकी दी है. मीडिया कर्मियों से बात करते हुए संजय सेठ ने कहा कि जिस तरह से इंडिया गठबंधन के नेताओं के द्वारा लगातार सनातन पर हमला बोला जा रहा है, वह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है. कांग्रेस का यह चरित्र दोगला और दोहरा जैसा है. उन्हें सोचना चाहिए कि जो सनातन मुगलों की तलवार से नहीं मिटा, अंग्रेजों के अत्याचार से नहीं मिटा वह सनातन उनके बोलने भर से मिट नहीं जाएगा. जिस तरह से पहाड़ी मंदिर में समिति का गठन किया गया, मेन रोड में संकट मोचन मंदिर में समिति का गठन किया गया, यह असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है.

उन्होंने कहा कि पहाड़ी मंदिर में पूर्व से ही एक समिति काम कर रही है, जिसके अध्यक्ष डीसी हैं, सचिव एसडीओ हैं. जबकि मेन रोड का संकट मोचन मंदिर महंत परंपरा से संचालित होता है. कांग्रेस इस पर राजनीति ना करे. बल्कि पहाड़ी मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों के विकास का काम करे, इसके लिए उसे सोचना चाहिए.

संजय सेठ के बयान की निंदा: वहीं हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड ने अपने फैसले को सही बताते हुए सांसद संजय सेठ के बयान की निंदा की है. धार्मिक न्यास बोर्ड के सदस्य और कांग्रेस महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा है कि मंदिर और मठ भारतीय जनता पार्टी की जागीर नहीं है और वह रजिस्ट्री करा के नहीं आए हैं. दरअसल भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि मंदिर और मठ पर उनका अधिकार है. जिसे लेकर वे राजनीति करते रहे हैं. ऐसे में जो भी लोग सड़क पर आज उतर रहे हैं, वह लंबे समय से इन मंदिरों और मठों पर कब्जा जमाए हुए थे और आज बोर्ड के आदेश के बाद उन्हें हटना पड़ा है. ऐसे में उनका विरोध स्वभाविक है, लेकिन धार्मिक न्यास बोर्ड ने जो फैसला लिया है वह मंदिरों और मठों के विकास के लिए है और नई कमिटी आने वाले समय में इसे करके दिखाएगी.

न्यास बोर्ड के फरमान पर नेताओं का बयान

रांची: धार्मिक न्यास बोर्ड के आये दिन आ रहे नये-नये फरमान से जहां विभिन्न मंदिर प्रबंधन समिति परेशान हैं. वहीं इसे लेकर राजनीति भी तेज हो गई है. दरअसल, नवगठित धार्मिक न्यास बोर्ड ने हाल ही में राज्य के विभिन्न मंदिरों और मठों के लिए पूर्व से चली आ रही प्रबंधन समिति में फेरबदल करना शुरू किया है, जिसके बाद पूर्व से गठित मंदिर प्रबंधन समितियों के विरोध के स्वर फूटने लगे हैं.

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सबसे ज्यादा विरोध के स्वर पहाड़ी मंदिर के लिए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एनएन पांडे के नेतृत्व में बनी नई कमिटी को लेकर है. जिसमें पूर्व से चल रहे एसडीओ की अध्यक्षता को समाप्त करते हुए नये प्रावधान के साथ कमिटी बनाई गई है.

इसी तरह मेन रोड स्थित संकट मोचन मंदिर को भी धार्मिक न्यास के अंदर लिए जाने पर विरोध के स्वर फूटने लगे हैं. श्री महावीर मंडल रांची महानगर के अध्यक्ष कुणाल अजमानी ने इसे गलत बताते हुए कहा है कि इस मंदिर का वर्षों से रख रखाव निजी हाथों से हुआ है. झारखंड गठन के बाद से कभी भी न्यास परिषद के कोई भी लोग आज तक इसे देखने के लिए नहीं आए पर आज जब मंदिर को पूरे सुचारू रूप से चलाया जा रहा है, तब एक नई कमिटी धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा बनाया जा रहा है, जो सरासर गलत है. श्री महावीर मंडल रांची महानगर इसके खिलाफ न्यायालय जायेगी क्योंकि यह मंदिर निर्मोही अखाड़ा अयोध्या से पंजीकृत है.

हिन्दू धार्मिक न्यास बोर्ड के फरमान पर राजनीति शुरू: इधर हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड के फरमान पर राजनीति शुरू हो गई है. रांची सांसद संजय सेठ ने हिन्दू धार्मिक न्यास बोर्ड को कांग्रेसीकरण करने का आरोप लगाया है. उन्होंने इसके विरुद्ध सड़क पर उतरने की धमकी दी है. मीडिया कर्मियों से बात करते हुए संजय सेठ ने कहा कि जिस तरह से इंडिया गठबंधन के नेताओं के द्वारा लगातार सनातन पर हमला बोला जा रहा है, वह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है. कांग्रेस का यह चरित्र दोगला और दोहरा जैसा है. उन्हें सोचना चाहिए कि जो सनातन मुगलों की तलवार से नहीं मिटा, अंग्रेजों के अत्याचार से नहीं मिटा वह सनातन उनके बोलने भर से मिट नहीं जाएगा. जिस तरह से पहाड़ी मंदिर में समिति का गठन किया गया, मेन रोड में संकट मोचन मंदिर में समिति का गठन किया गया, यह असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है.

उन्होंने कहा कि पहाड़ी मंदिर में पूर्व से ही एक समिति काम कर रही है, जिसके अध्यक्ष डीसी हैं, सचिव एसडीओ हैं. जबकि मेन रोड का संकट मोचन मंदिर महंत परंपरा से संचालित होता है. कांग्रेस इस पर राजनीति ना करे. बल्कि पहाड़ी मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों के विकास का काम करे, इसके लिए उसे सोचना चाहिए.

संजय सेठ के बयान की निंदा: वहीं हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड ने अपने फैसले को सही बताते हुए सांसद संजय सेठ के बयान की निंदा की है. धार्मिक न्यास बोर्ड के सदस्य और कांग्रेस महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा है कि मंदिर और मठ भारतीय जनता पार्टी की जागीर नहीं है और वह रजिस्ट्री करा के नहीं आए हैं. दरअसल भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि मंदिर और मठ पर उनका अधिकार है. जिसे लेकर वे राजनीति करते रहे हैं. ऐसे में जो भी लोग सड़क पर आज उतर रहे हैं, वह लंबे समय से इन मंदिरों और मठों पर कब्जा जमाए हुए थे और आज बोर्ड के आदेश के बाद उन्हें हटना पड़ा है. ऐसे में उनका विरोध स्वभाविक है, लेकिन धार्मिक न्यास बोर्ड ने जो फैसला लिया है वह मंदिरों और मठों के विकास के लिए है और नई कमिटी आने वाले समय में इसे करके दिखाएगी.

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