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निशिकांत दूबे का पत्र मुख्यमंत्री के नाम, जानिए सलाह भरी चिठ्ठी में कैसे गिनाई गई खामियां - कोरोना वायरस

गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक चिठ्ठी लिखकर राज्य सरकार की खामियों से अवगत कराया है. उन्होंने लिखा कि कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री ने झारखंड राज्य में चार ऑक्सीजन संयंत्रों को मंजूरी दी थी, लेकिन राज्य सरकार की अक्षमता के कारण इन संयंत्रों को कभी स्थापित नहीं किया गया था.

mp nishikant dubey wrote letter to cm hemant regarding corona
सांसद निशिकांत दूबे और सीएम हेमंत सोरेन
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Published : May 22, 2021, 10:05 PM IST

रांचीः गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिठ्ठी लिखकर राज्य सरकार की खामियों से अवगत कराते हुए जमकर भड़ास निकाली है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे पत्र में निशिकांत दूबे ने कहा कि 'जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोविड-19 इस देश की अब तक की सबसे भयानक महामारियों में से एक है. पूरी दुनिया इस बात से सहमत है कि केवल पीएम मोदी की दूरदृष्टि और उनकी दृढ़ प्रतिक्रिया के कारण ही यह देश अब तक कोविड को नियंत्रण में रखने में सफल रहा है. या तो आप और आपके सलाहकार महामारी के बारे में गंभीर नहीं हैं, या वे महामारी के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं.'

mp nishikant dubey wrote letter to cm hemant regarding corona
निशिकांत दूबे का सीएम को पत्र

इसे भी पढ़ें- विधायक दीपिका पांडेय सिंह का सांसद निशिकांत दुबे पर हमला, कहा- बयानबाजी नहीं मुश्किल घड़ी में करें लोगों की मदद

केंद्र सरकार को ऑक्सीजन संयंत्रों के बारे में एक पत्र
निशिकांत दुबे ने पत्र में लिखा कि 'केंद्र सरकार ने कोविड परीक्षण, टीका, दवाएं, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की आपूर्ति में जितना किया जा सकता था, उससे कहीं अधिक किया है. हाल ही में झारखंड में कोविड की स्थिति के बारे में पूछताछ करने के लिए आपको बुलाने वाले प्रधानमंत्री के खिलाफ आपका बयान निंदनीय है. इसके अलावा, आपके स्वास्थ्य मंत्री की ओर से की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस और केंद्र सरकार को ऑक्सीजन संयंत्रों के बारे में एक पत्र लिखा गया है, जिससे मैं परेशान हूं और मैंने सोचा कि यह मेरा कर्तव्य है कि मैं आपको ऑक्सीजन संयंत्रों और हमारे प्रधानमंत्री के प्रयासों के बारे में सूचित करने के लिए यह पत्र लिखूं.'


झारखंड राज्य में चार ऑक्सीजन संयंत्रों को मंजूरी
सांसद ने लिखा कि दूसरी लहर शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री ने झारखंड राज्य में चार ऑक्सीजन संयंत्रों को मंजूरी दी थी, लेकिन राज्य सरकार की अक्षमता के कारण इन संयंत्रों को कभी स्थापित नहीं किया गया था. जिन 4 स्थानों पर ऑक्सीजन संयंत्र स्वीकृत किए गए वह रिम्स रांची, सदर अस्पताल रांची, एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर, पीएमसीएच धनबाद हैं. लेकिन राज्य सरकारों की अक्षमता और भ्रष्टाचार पर ध्यान केंद्रित करने के कारण इन संयंत्रों ने कभी दिन का उजाला नहीं देखा. जिसके परिणामस्वरूप झारखंड के गरीब लोग ऑक्सीजन के लिए भीख मांग रहे थे.

हर जिले में 21 ऑक्सीजन प्लांट
दरअसल, पिछले महीने प्रधानमंत्री ने झारखंड के हर जिले में 21 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी दी थी. इसके अतिरिक्त उन्होंने देवघर एम्स के लिए भी एक प्लांट की मंजूरी दे दी है. जहां केंद्र सरकार अगले सप्ताह के अंत तक ऑक्सीजन प्लांट को पूरा करने के लिए दिन-रात काम कर रही. कोल इंडिया ने संथाल परगना को 15 करोड़ से ज्यादा की मदद कोविड सुविधाएं सृजित करने के लिए दी थी. वहीं, सीसीएल, ईसीएल और कोल इंडिया के साथ मिलकर झारखंड के विभिन्न स्थानों पर दस अतिरिक्त ऑक्सीजन प्लांट लगाने की योजना बना रही है. इससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी के गतिशील नेतृत्व में केंद्र सरकार ने राज्य को कुल 36 ऑक्सीजन प्लांट दिए हैं.'

इसे भी पढ़ें- सीएम हेमंत पर सांसद निशिकांत दुबे की टिप्पणी से गरमाई राजनीति, कांग्रेस ने किया पलटवार


आरटीपीसीआर रिपोर्ट पाने के लिए लंबा का इंतजार
बीजेपी सांसद ने अपने पत्र में लिखा कि 'आपके और आपकी पूरी सरकार से ज्यादा झारखंड के लोगों के लिए प्रधानमंत्री ने अपनी हैसियत से किया है. इसलिए झारखंड के लोगों की जान बचाने के लिए हम सभी को प्रधानमंत्री का शुक्रगुजार होना चाहिए और मुख्यमंत्री के रूप में आपको आभारी होना चाहिए. उन्होंने जो काम किया है, उसके लिए प्रधानमंत्री के काम की आलोचना करने के बजाए आपको झारखंड में प्रधानमंत्री की ओर से स्वीकृत वेंटिलेटर के संचालन के लिए तकनीशियनों की नियुक्ति करनी चाहिए. भलें ही आप और आपके मंत्री हर दिन नई कोविड परीक्षण सुविधाओं का उद्घाटन कर रहे हो. लेकिन दुखद वास्तविकता यह है कि झारखंड में कोई सूक्ष्म जीवविज्ञानी नहीं हैं, जिसके कारण लोगों को आरटीपीसीआर रिपोर्ट पाने के लिए 7 से 10 दिनों का इंतजार करना पड़ता है.'

भारत में आ सकती है तीसरी लहर
सांसद ने पत्र में लिखा कि 'इस साल के अंत में भारत में तीसरी लहर आ सकती है. इस बार बच्चों को संक्रमण का खतरा होगा. इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि आप हर बड़े अस्पताल और जिला मुख्यालय में बच्चों के लिए एक विशेष विंग बनाएं. ताकि झारखंड में तीसरी लहर आए तो हम इसके लिए तैयार रहें. मुझे उम्मीद है कि आप इस पत्र को अच्छी भावना से लेंगे और इस महामारी से निपटने में राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच की खाई को पाटेंगे.'

रांचीः गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिठ्ठी लिखकर राज्य सरकार की खामियों से अवगत कराते हुए जमकर भड़ास निकाली है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे पत्र में निशिकांत दूबे ने कहा कि 'जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोविड-19 इस देश की अब तक की सबसे भयानक महामारियों में से एक है. पूरी दुनिया इस बात से सहमत है कि केवल पीएम मोदी की दूरदृष्टि और उनकी दृढ़ प्रतिक्रिया के कारण ही यह देश अब तक कोविड को नियंत्रण में रखने में सफल रहा है. या तो आप और आपके सलाहकार महामारी के बारे में गंभीर नहीं हैं, या वे महामारी के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं.'

mp nishikant dubey wrote letter to cm hemant regarding corona
निशिकांत दूबे का सीएम को पत्र

इसे भी पढ़ें- विधायक दीपिका पांडेय सिंह का सांसद निशिकांत दुबे पर हमला, कहा- बयानबाजी नहीं मुश्किल घड़ी में करें लोगों की मदद

केंद्र सरकार को ऑक्सीजन संयंत्रों के बारे में एक पत्र
निशिकांत दुबे ने पत्र में लिखा कि 'केंद्र सरकार ने कोविड परीक्षण, टीका, दवाएं, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की आपूर्ति में जितना किया जा सकता था, उससे कहीं अधिक किया है. हाल ही में झारखंड में कोविड की स्थिति के बारे में पूछताछ करने के लिए आपको बुलाने वाले प्रधानमंत्री के खिलाफ आपका बयान निंदनीय है. इसके अलावा, आपके स्वास्थ्य मंत्री की ओर से की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस और केंद्र सरकार को ऑक्सीजन संयंत्रों के बारे में एक पत्र लिखा गया है, जिससे मैं परेशान हूं और मैंने सोचा कि यह मेरा कर्तव्य है कि मैं आपको ऑक्सीजन संयंत्रों और हमारे प्रधानमंत्री के प्रयासों के बारे में सूचित करने के लिए यह पत्र लिखूं.'


झारखंड राज्य में चार ऑक्सीजन संयंत्रों को मंजूरी
सांसद ने लिखा कि दूसरी लहर शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री ने झारखंड राज्य में चार ऑक्सीजन संयंत्रों को मंजूरी दी थी, लेकिन राज्य सरकार की अक्षमता के कारण इन संयंत्रों को कभी स्थापित नहीं किया गया था. जिन 4 स्थानों पर ऑक्सीजन संयंत्र स्वीकृत किए गए वह रिम्स रांची, सदर अस्पताल रांची, एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर, पीएमसीएच धनबाद हैं. लेकिन राज्य सरकारों की अक्षमता और भ्रष्टाचार पर ध्यान केंद्रित करने के कारण इन संयंत्रों ने कभी दिन का उजाला नहीं देखा. जिसके परिणामस्वरूप झारखंड के गरीब लोग ऑक्सीजन के लिए भीख मांग रहे थे.

हर जिले में 21 ऑक्सीजन प्लांट
दरअसल, पिछले महीने प्रधानमंत्री ने झारखंड के हर जिले में 21 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी दी थी. इसके अतिरिक्त उन्होंने देवघर एम्स के लिए भी एक प्लांट की मंजूरी दे दी है. जहां केंद्र सरकार अगले सप्ताह के अंत तक ऑक्सीजन प्लांट को पूरा करने के लिए दिन-रात काम कर रही. कोल इंडिया ने संथाल परगना को 15 करोड़ से ज्यादा की मदद कोविड सुविधाएं सृजित करने के लिए दी थी. वहीं, सीसीएल, ईसीएल और कोल इंडिया के साथ मिलकर झारखंड के विभिन्न स्थानों पर दस अतिरिक्त ऑक्सीजन प्लांट लगाने की योजना बना रही है. इससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी के गतिशील नेतृत्व में केंद्र सरकार ने राज्य को कुल 36 ऑक्सीजन प्लांट दिए हैं.'

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आरटीपीसीआर रिपोर्ट पाने के लिए लंबा का इंतजार
बीजेपी सांसद ने अपने पत्र में लिखा कि 'आपके और आपकी पूरी सरकार से ज्यादा झारखंड के लोगों के लिए प्रधानमंत्री ने अपनी हैसियत से किया है. इसलिए झारखंड के लोगों की जान बचाने के लिए हम सभी को प्रधानमंत्री का शुक्रगुजार होना चाहिए और मुख्यमंत्री के रूप में आपको आभारी होना चाहिए. उन्होंने जो काम किया है, उसके लिए प्रधानमंत्री के काम की आलोचना करने के बजाए आपको झारखंड में प्रधानमंत्री की ओर से स्वीकृत वेंटिलेटर के संचालन के लिए तकनीशियनों की नियुक्ति करनी चाहिए. भलें ही आप और आपके मंत्री हर दिन नई कोविड परीक्षण सुविधाओं का उद्घाटन कर रहे हो. लेकिन दुखद वास्तविकता यह है कि झारखंड में कोई सूक्ष्म जीवविज्ञानी नहीं हैं, जिसके कारण लोगों को आरटीपीसीआर रिपोर्ट पाने के लिए 7 से 10 दिनों का इंतजार करना पड़ता है.'

भारत में आ सकती है तीसरी लहर
सांसद ने पत्र में लिखा कि 'इस साल के अंत में भारत में तीसरी लहर आ सकती है. इस बार बच्चों को संक्रमण का खतरा होगा. इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि आप हर बड़े अस्पताल और जिला मुख्यालय में बच्चों के लिए एक विशेष विंग बनाएं. ताकि झारखंड में तीसरी लहर आए तो हम इसके लिए तैयार रहें. मुझे उम्मीद है कि आप इस पत्र को अच्छी भावना से लेंगे और इस महामारी से निपटने में राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच की खाई को पाटेंगे.'

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