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सुखाड़ के मुहाने पर हैं झारखंड, भाजपा सांसद ने राज्यसभा में कहा- स्पेशल टीम भेजने की है जरूरत

राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान झारखंड में सुखाड़ (Drought in Jharkhand) का मुद्दा उठा. सांसद आदित्य प्रसाद साहू (Aditya Prasad Sahu) ने कहा कि राज्य सुखाड़ के मुहाने पर खड़ा है और राज्य सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है.

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Published : Aug 5, 2022, 8:21 PM IST

रांची/दिल्ली: झारखंड से भाजपा के राज्यसभा सांसद आदित्य प्रसाद साहू (Aditya Prasad Sahu) ने सदन को सुखाड़ की तरफ बढ़ रहे झारखंड की चिंता से अवगत कराया. सांसद बनने के बाद यह उनका पहला वक्तव्य था. उन्होंने जीरो आवर में झारखंड में सुखाड़ (Drought in Jharkhand) के मुद्दे पर केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया. उन्होंने झारखंड में स्पेशल टीम भेजने की मांग की. उन्होंने कहा कि झारखंड पहाड़, पठार और जंगलों से आच्छादित राज्य है. प्रकृति ने खान खनिज के साथ प्राकृतिक सौंदर्य से संवारा है. लगभग 3 करोड़ 40 लाख की आबादी वाले झारखंड की 76 प्रतिशत आबादी गांव में निवास करती है जिनका मुख्य पेशा कृषि और पशुपालन से जुड़ा है. कहीं ऊंचाई 250 फीट है तो कहीं 3800 फीट तक है. साहेबगंज के क्षेत्र में गंगा का किनारा भी है. 33 प्रतिशत से अधिक जंगल के बावजूद यहां कहीं 1000 मिलीमीटर तक बारिश होती है तो कहीं 600 तक. ऐसे औसत वर्षा झारखंड में 1200 मिलीमीटर तक वर्ष में होती है.

उन्होंने कहा कि राज्य के अधिकांश हिस्सों में धान की खेती होती है, जो वर्षा पर ही आधारित है. झारखंड की सिंचाई परियोजनाएं भी इसी वर्षाजल पर आधारित हैं. नहरों में पानी भी वर्षा जल पर ही आधारित है. पिछले कुछ वर्षों से लगातार मॉनसून ने किसानों का साथ दिया लेकिन इस साल स्थिति बेहद भयावह है. उन्होंने सदन को बताया कि राज्य के 24 जिलों में से छोटानागपुर के पठारी क्षेत्र में पड़ने वाले 10-12 जिले और कोल्हान के 3 जिलों में धान की रोपनी कम बारिश में भी हो जाती थी लेकिन इस वर्ष कोल्हान के 3 जिलों को छोड़ दें तो 21 जिलों में सूखे की नौबत आ गई है. कर्ज लेकर किसानों ने खेतों में बिचड़ा लगाया था जो सूख चुका है. अभी तक राज्य में 51 प्रतिशत से कम बारिश हुई है. किसी प्रकार से मेहनत करके अबतक किसान मात्र 22 प्रतिशत ही रोपनी कर पाए हैं. 21 जिलों की स्थिति पूरी तरह भयावह और निराशाजनक है.

देखें वीडियो

उन्होंने बताया कि अबतक मात्र 14 प्रतिशत ही रोपाई हो सकी है और जो मानसून की स्थिति है उसमें बहुत अच्छे संकेत नहीं दिखाई पड़ रहे. ऐसे में आने वाले दिनों में न सिर्फ अनाज की जरूरत होगी बल्कि मवेशियों के लिए चारा और पीने के पानी की भी व्यवस्था करनी पड़ेगी. क्योंकि जलाशयों में पानी अबतक जमा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार सूखे को लेकर गंभीर नहीं है. इसलिये केंद्र सरकार झारखंड के किसानो के हित में गंभीरता पूर्वक विचार करे. इस दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने असोसियेट करते हुए केंद्र सरकार से झारखंड में सुखाड़ के विषय पर विशेष टीम भेजने का अनुरोध किया.

रांची/दिल्ली: झारखंड से भाजपा के राज्यसभा सांसद आदित्य प्रसाद साहू (Aditya Prasad Sahu) ने सदन को सुखाड़ की तरफ बढ़ रहे झारखंड की चिंता से अवगत कराया. सांसद बनने के बाद यह उनका पहला वक्तव्य था. उन्होंने जीरो आवर में झारखंड में सुखाड़ (Drought in Jharkhand) के मुद्दे पर केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया. उन्होंने झारखंड में स्पेशल टीम भेजने की मांग की. उन्होंने कहा कि झारखंड पहाड़, पठार और जंगलों से आच्छादित राज्य है. प्रकृति ने खान खनिज के साथ प्राकृतिक सौंदर्य से संवारा है. लगभग 3 करोड़ 40 लाख की आबादी वाले झारखंड की 76 प्रतिशत आबादी गांव में निवास करती है जिनका मुख्य पेशा कृषि और पशुपालन से जुड़ा है. कहीं ऊंचाई 250 फीट है तो कहीं 3800 फीट तक है. साहेबगंज के क्षेत्र में गंगा का किनारा भी है. 33 प्रतिशत से अधिक जंगल के बावजूद यहां कहीं 1000 मिलीमीटर तक बारिश होती है तो कहीं 600 तक. ऐसे औसत वर्षा झारखंड में 1200 मिलीमीटर तक वर्ष में होती है.

उन्होंने कहा कि राज्य के अधिकांश हिस्सों में धान की खेती होती है, जो वर्षा पर ही आधारित है. झारखंड की सिंचाई परियोजनाएं भी इसी वर्षाजल पर आधारित हैं. नहरों में पानी भी वर्षा जल पर ही आधारित है. पिछले कुछ वर्षों से लगातार मॉनसून ने किसानों का साथ दिया लेकिन इस साल स्थिति बेहद भयावह है. उन्होंने सदन को बताया कि राज्य के 24 जिलों में से छोटानागपुर के पठारी क्षेत्र में पड़ने वाले 10-12 जिले और कोल्हान के 3 जिलों में धान की रोपनी कम बारिश में भी हो जाती थी लेकिन इस वर्ष कोल्हान के 3 जिलों को छोड़ दें तो 21 जिलों में सूखे की नौबत आ गई है. कर्ज लेकर किसानों ने खेतों में बिचड़ा लगाया था जो सूख चुका है. अभी तक राज्य में 51 प्रतिशत से कम बारिश हुई है. किसी प्रकार से मेहनत करके अबतक किसान मात्र 22 प्रतिशत ही रोपनी कर पाए हैं. 21 जिलों की स्थिति पूरी तरह भयावह और निराशाजनक है.

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उन्होंने बताया कि अबतक मात्र 14 प्रतिशत ही रोपाई हो सकी है और जो मानसून की स्थिति है उसमें बहुत अच्छे संकेत नहीं दिखाई पड़ रहे. ऐसे में आने वाले दिनों में न सिर्फ अनाज की जरूरत होगी बल्कि मवेशियों के लिए चारा और पीने के पानी की भी व्यवस्था करनी पड़ेगी. क्योंकि जलाशयों में पानी अबतक जमा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार सूखे को लेकर गंभीर नहीं है. इसलिये केंद्र सरकार झारखंड के किसानो के हित में गंभीरता पूर्वक विचार करे. इस दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने असोसियेट करते हुए केंद्र सरकार से झारखंड में सुखाड़ के विषय पर विशेष टीम भेजने का अनुरोध किया.

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