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सरकार के नियमों की खुलेआम उड़ रही धज्जियां, आपदा की घड़ी में मरीजों से तीन गुना पैसा वसूल रहे एंबुलेंस कर्मी

झारखंड में कोरोना काल में स्थिति काफी भयावह है. एक तरफ निजी अस्पताल में कोरोना मरीजों से ज्यादा पैसे वसूले जा रहे हैं तो वहीं, दूसरी तरफ एंबुलेंस संचालक भी तीन गुना किराया वसूल रहे हैं. सरकार के सारे नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है.

Ambulance operators are taking more money in Corona period
कोरोना मरीजों से ज्यादा पैसे मांगते हैं एंबुलेंस चालक
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Published : May 19, 2021, 11:07 PM IST

रांची: कोरोना के इस भयावह दौर में लगातार ऐसी खबरें आ रही है जो लोगों को काफी परेशान कर रही है. निजी अस्पतालों में एक तरफ कोरोना मरीजों से ज्यादा पैसे वसूले जा रहे हैं. तो वहीं, दूसरी तरफ एंबुलेंस संचालक भी लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर सिर्फ मुनाफा कमाने में जुटे हैं. सरकार के सारे नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. लगातार ऐसी खबरें आ रही है कि निजी अस्पताल कोरोना मरीजों से ज्यादा फीस वसूल रहे हैं. ऐसी स्थिति तब है जब सरकार ने बकायदा जिलों को ग्रेड के हिसाब से बांट दिया है और अस्पतालों के हिसाब से रेट तय कर दिया गया है. सरकार का सख्त निर्देश भी है ऐसे अस्पताल जो तय रेट से ज्यादा फीस लेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इन सबके बावजूद निजी अस्पताल कोई न कोई हथकंडा अपनाकर लाखों का बिल बनाने से नहीं चूकते.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

यह भी पढ़ें: इंसान नहीं, दम तोड़ती इंसानियत: आपदा की घड़ी में मरीजों से तीन गुना पैसा वसूल रहे एंबुलेंस कर्मी

नियमों का सख्ती से पालन जरूरी

रांची के जगरनाथ अस्पताल में कोरोना के चलते अपने मित्र को खो चुके संजय कहते हैं कि उनका दोस्त 20 अप्रैल से ही अस्पताल में भर्ती था लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. ऐसे वक्त में अस्पताल प्रबंधन की तरफ से अनाप-शनाप बिल थमाने की वजह से लोग काफी परेशान हैं. सरकार ने आर्थिक दोहन रोकने के लिए जो नियम बनाये हैं उसे कठोरता से लागू करना चाहिए.

निजी अस्पतालों में ज्यादा मरीज भर्ती, नहीं उठा सकते कठोर कदम

रांची सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनिल कई अस्पताल जाकर ज्यादा बिल की वजह से उपजे विवाद को सुलझाया है. डॉ. अनिल कहते हैं कि वह बीच का हल निकालने की कोशिश करते हैं. सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि कई बार शिकायतें मिलती है तो कार्रवाई करते हैं लेकिन, ज्यादातर मामले में कोई लिखित शिकायत नहीं करता. दूसरी बात यह कि निजी अस्पतालों में भी बड़ी संख्या में मरीज भर्ती हैं. ऐसे में ज्यादा कठोर कदम भी नहीं उठा सकते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

आरटीपीसीआर के लिए भी रेट तय, लेकन सर्विस चार्ज के नाम पर ज्यादा वसूली

सरकार ने कोरोना जांच के लिए निजी लैब को भी अनुमति दी है लेकिन वहां भी ज्यादा पैसा वसूला जा रहा है. आरटीपीसीआर जांच के लिए लैब में जाने पर 400 रुपए और घर जाकर सैंपल लेने पर 600 रुपये अधिकतम निर्धारित है. लेकिन लैब में जाने पर 600 रुपए और घर जाकर सैंपल लेने पर 700-800 रुपये प्रति व्यक्ति वसूली की जाती है. लोग जब इसका कारण पूछते हैं तो यह बताया जाता है कि सर्विस चार्ज की वजह से रेट ज्यादा है. मजबूरी के कारण कोई विरोध नहीं करना चाहता.

तीन गुना किराया वसूल रहे एंबुलेंस संचालक

निजी एंबुलेंस संचालक कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए ज्यादा पैसे मांग रहे हैं. कोई एंबुलेंस संचालक दोगुना तो कोई तीन गुना रेट मांग रहा है. एंबुलेंस संचालकों इसी ताक में रहते हैं कि कैसे मरीज से ज्यादा पैसा ले लिया जाए. अभी कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का सिर्फ एक ही जरिया है और वह है एंबुलेंस. संचालक इसी का फायदा उठाने में लगे हैं.

यह भी पढ़ें: निजी अस्पतालों की मनमानी: सरकार के नियमों की खुलेआम उड़ा रहे धज्जियां, अनाप-शनाप फीस वसूल रहा प्रबंधन

अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज के परिजनों ने बताया कि संकट की घड़ी में एंबुलेंस कर्मी खुलकर उगाही कर रहे हैं. रामगढ़ से कोरोना मरीज को लेकर रिम्स पहुंचे परिजन ने बताया कि आम दिनों में रांची आते थे तो 1500 से 1800 रुपए देना पड़ता था. लेकिन, इस बार 3500 रुपए देना पड़ा. जाहिर है कि एंबुलेंस कर्मी कम से कम दो गुने रेट पर ही मान रहे हैं. एक और मरीज के परिजन ने बताया कि रिम्स से महज 2 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए एक निजी एंबुलेंस कर्मी ने 800 रुपए की मांग की जो सरकारी रेट से काफी ज्यादा है.

एंबुलेंस संचालकों की दलील-सरकारी नियमों से ज्यादा पैसा होता है खर्च

निजी एंबुलेंस कर्मियों से जब बात की तो उन लोगों ने कैमरे पर कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया. एंबुलेंस कर्मियों ने बताया कि सरकारी नियमों के हिसाब से पैसा नहीं ले सकते. उससे ज्यादा पैसा खर्च होता है. पेट्रोल-डीजल का रेट भी पिछले कुछ दिनों में काफी बढ़ गया है.

सरकार की तरफ से पर्याप्त सुविधा नहीं मिलने का फायदा निजी एंबुलेंस संचालक उठाते हैं. जिस तरह से निजी एंबुलेंस कर्मी सरकारी दरों की धज्जियां उड़ा रहे हैं वह निश्चित रूप से मरीजों के लिए आर्थिक संकट पैदा कर रहा है. ऐसे एंबुलेंस कर्मियों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है.

रांची: कोरोना के इस भयावह दौर में लगातार ऐसी खबरें आ रही है जो लोगों को काफी परेशान कर रही है. निजी अस्पतालों में एक तरफ कोरोना मरीजों से ज्यादा पैसे वसूले जा रहे हैं. तो वहीं, दूसरी तरफ एंबुलेंस संचालक भी लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर सिर्फ मुनाफा कमाने में जुटे हैं. सरकार के सारे नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. लगातार ऐसी खबरें आ रही है कि निजी अस्पताल कोरोना मरीजों से ज्यादा फीस वसूल रहे हैं. ऐसी स्थिति तब है जब सरकार ने बकायदा जिलों को ग्रेड के हिसाब से बांट दिया है और अस्पतालों के हिसाब से रेट तय कर दिया गया है. सरकार का सख्त निर्देश भी है ऐसे अस्पताल जो तय रेट से ज्यादा फीस लेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इन सबके बावजूद निजी अस्पताल कोई न कोई हथकंडा अपनाकर लाखों का बिल बनाने से नहीं चूकते.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

यह भी पढ़ें: इंसान नहीं, दम तोड़ती इंसानियत: आपदा की घड़ी में मरीजों से तीन गुना पैसा वसूल रहे एंबुलेंस कर्मी

नियमों का सख्ती से पालन जरूरी

रांची के जगरनाथ अस्पताल में कोरोना के चलते अपने मित्र को खो चुके संजय कहते हैं कि उनका दोस्त 20 अप्रैल से ही अस्पताल में भर्ती था लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. ऐसे वक्त में अस्पताल प्रबंधन की तरफ से अनाप-शनाप बिल थमाने की वजह से लोग काफी परेशान हैं. सरकार ने आर्थिक दोहन रोकने के लिए जो नियम बनाये हैं उसे कठोरता से लागू करना चाहिए.

निजी अस्पतालों में ज्यादा मरीज भर्ती, नहीं उठा सकते कठोर कदम

रांची सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनिल कई अस्पताल जाकर ज्यादा बिल की वजह से उपजे विवाद को सुलझाया है. डॉ. अनिल कहते हैं कि वह बीच का हल निकालने की कोशिश करते हैं. सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि कई बार शिकायतें मिलती है तो कार्रवाई करते हैं लेकिन, ज्यादातर मामले में कोई लिखित शिकायत नहीं करता. दूसरी बात यह कि निजी अस्पतालों में भी बड़ी संख्या में मरीज भर्ती हैं. ऐसे में ज्यादा कठोर कदम भी नहीं उठा सकते हैं.

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आरटीपीसीआर के लिए भी रेट तय, लेकन सर्विस चार्ज के नाम पर ज्यादा वसूली

सरकार ने कोरोना जांच के लिए निजी लैब को भी अनुमति दी है लेकिन वहां भी ज्यादा पैसा वसूला जा रहा है. आरटीपीसीआर जांच के लिए लैब में जाने पर 400 रुपए और घर जाकर सैंपल लेने पर 600 रुपये अधिकतम निर्धारित है. लेकिन लैब में जाने पर 600 रुपए और घर जाकर सैंपल लेने पर 700-800 रुपये प्रति व्यक्ति वसूली की जाती है. लोग जब इसका कारण पूछते हैं तो यह बताया जाता है कि सर्विस चार्ज की वजह से रेट ज्यादा है. मजबूरी के कारण कोई विरोध नहीं करना चाहता.

तीन गुना किराया वसूल रहे एंबुलेंस संचालक

निजी एंबुलेंस संचालक कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए ज्यादा पैसे मांग रहे हैं. कोई एंबुलेंस संचालक दोगुना तो कोई तीन गुना रेट मांग रहा है. एंबुलेंस संचालकों इसी ताक में रहते हैं कि कैसे मरीज से ज्यादा पैसा ले लिया जाए. अभी कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का सिर्फ एक ही जरिया है और वह है एंबुलेंस. संचालक इसी का फायदा उठाने में लगे हैं.

यह भी पढ़ें: निजी अस्पतालों की मनमानी: सरकार के नियमों की खुलेआम उड़ा रहे धज्जियां, अनाप-शनाप फीस वसूल रहा प्रबंधन

अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज के परिजनों ने बताया कि संकट की घड़ी में एंबुलेंस कर्मी खुलकर उगाही कर रहे हैं. रामगढ़ से कोरोना मरीज को लेकर रिम्स पहुंचे परिजन ने बताया कि आम दिनों में रांची आते थे तो 1500 से 1800 रुपए देना पड़ता था. लेकिन, इस बार 3500 रुपए देना पड़ा. जाहिर है कि एंबुलेंस कर्मी कम से कम दो गुने रेट पर ही मान रहे हैं. एक और मरीज के परिजन ने बताया कि रिम्स से महज 2 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए एक निजी एंबुलेंस कर्मी ने 800 रुपए की मांग की जो सरकारी रेट से काफी ज्यादा है.

एंबुलेंस संचालकों की दलील-सरकारी नियमों से ज्यादा पैसा होता है खर्च

निजी एंबुलेंस कर्मियों से जब बात की तो उन लोगों ने कैमरे पर कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया. एंबुलेंस कर्मियों ने बताया कि सरकारी नियमों के हिसाब से पैसा नहीं ले सकते. उससे ज्यादा पैसा खर्च होता है. पेट्रोल-डीजल का रेट भी पिछले कुछ दिनों में काफी बढ़ गया है.

सरकार की तरफ से पर्याप्त सुविधा नहीं मिलने का फायदा निजी एंबुलेंस संचालक उठाते हैं. जिस तरह से निजी एंबुलेंस कर्मी सरकारी दरों की धज्जियां उड़ा रहे हैं वह निश्चित रूप से मरीजों के लिए आर्थिक संकट पैदा कर रहा है. ऐसे एंबुलेंस कर्मियों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है.

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