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झारखंड में 'ग्रामीणों की आस, मनरेगा से विकास' अभियान हो रहा सफल, 3.24 करोड़ मानव दिवस कार्य का हुआ सृजन - ETV News Jharkhand

झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए हेमंत सरकार ने वंचित परिवारों को चिन्हित करके उनके लिए एक बड़े अभियान 'ग्रामीणों की आस, मनरेगा से विकास' चलाया. जिसका उद्देश्य अधिक से अधिक परिवारों की भागीदारी सुनिश्चित कर उन्हें काम देने में मदद करना है.

Ranchi News
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Published : Mar 7, 2022, 10:10 AM IST

रांची: झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को हेमंत सरकार अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक बताती है. सामाजिक, आर्थिक और जाति गणना के अनुसार झारखंड के 53 फीसदी से ज्यादा ग्रामीण परिवार वंचित परिवार की श्रेणी में आते हैं. बताया जाता है कि इन परिवारों की आजीविका और आय के स्रोत सरकार की विभिन्न योजनाओं पर काफी हद तक निर्भर करती है. इस स्थिति के मद्देनजर पूरे राज्य में 150 प्रखंडों को चुना गया है, जहां ग्रामीण परिवारों, महिलाओं और अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के अधिक से अधिक परिवारों की भागीदारी सुनिश्चित करने और उन्हें काम देने में मदद करने के उद्देश्य से राज्य सरकार की ओर से एक बड़ा अभियान 'ग्रामीणों की आस, मनरेगा से विकास' चलाया गया.

इसे भी पढ़ें: झारखंड का जमीन रिकॉर्ड सिस्टम झारभूमि ठीक से नहीं कर रहा काम, आम लोगों सहित अधिकारी भी हो रहे परेशान

यह अभियान 22 सितंबर से लेकर 15 दिसंबर 2021 तक चलाया गया. अभियान के तहत इच्छुक सभी परिवारों को ससमय रोजगार उपलब्ध कराना, महिला व अनुसूचित जाति और जनजाति के श्रमिकों की भागीदारी में वृद्धि, प्रति परिवार औसतन मानव दिवस में वृद्धि, जॉब कार्ड निर्गत कराना,जॉब कार्ड का सत्यापन, प्रत्येक गांव टोला में हर समय औसतन 5-6 योजनाओं का क्रियान्वयन, पहले से चली आ रही पुरानी योजनाओं को पूरा करना, प्रत्येक ग्राम पंचायतों में पर्याप्त योजनाओं की स्वीकृति, शत-प्रतिशत महिला मेट का नियोजन, NMMS के माध्यम से मेट के द्वारा मजदूरों की उपस्थिति अपलोड करना, जीआइएस आधारित प्लानिंग और सामाजिक अंकेक्षण के दौरान पाये गए मामलों के निष्पादन और राशि की वसूली अभियान के तहत सुनिश्चित किये गए.

100 दिनों का रोजगार हुआ प्राप्त: अभियान के दौरान कुल 36,245 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार प्राप्त हुआ, जो अबतक 100 दिनों का कार्य करने वाले परिवारों का 75.4% है. अभियान के दौरान कुल 1.50 लाख योजनाओं को पूरा किया गया, जो पूर्ण हुई योजनाओं का 36.80% है. इसके साथ ही पहले से चली आ रही 43,366 योजनाओं को पूर्ण किया गया. अभियान में औसत मानवदिवस सृजन में भी अपेक्षित प्रगति दर्ज की गई. औसत मानव दिवस प्रति परिवार 32.29 से बढ़कर 37. 21 हो गया है.

पंचायतों में जीआईएस आधारित योजना तैयार: अभियान के दौरान जीआईएस बेस्ड प्लानिंग के तहत कुल 3031 ग्राम पंचायतों की योजना तैयार की गई है. जिसके विरुद्ध 2900 ग्राम पंचायतों के प्लान को जिलों के द्वारा अनुमोदन किया जा चुका है. वनाधिकार पट्टा के कुल 22,309 परिवारों को जॉबकार्ड उपलब्ध कराते हुए 5,432 परिवारों को मनरेगा से लाभान्वित करने के लिए व्यक्तिगत लाभ की योजना स्वीकृत कर कार्य प्रारम्भ किया गया.

3.24 करोड़ मानव दिवस का सृजन: अभियान के दौरान 3.24 करोड़ मानवदिवस का सृजन किया गया है, जो कुल सृजित मानवदिवस का 36% है. महिलाओं की भागीदारी अभियान के दौरान कुल 1.54 लाख मानव दिवस का सृजन महिलाओं द्वारा किया गया, जो अभियान के दौरान सृजित मानव दिवस का 48% है तथा महिलाओं की भागीदारी में 1.20% की वृद्धि हुई.

अनुसूचित जनजाति कोटि के श्रमिकों की भागीदारी में 0.56% की वृद्धि: अभियान के तहत अनुसूचित जनजाति कोटि के श्रमिकों द्वारा कुल 78.83 लाख मानव दिवस का सृजन किया गया, जो कुल सृजित मानव दिवस का 24.35% है तथा इनकी भागीदारी में 0.41% की वृद्धि हुई. अनुसूचित जाति कोटि के श्रमिकों द्वारा कुल 31.78 लाख मानव दिवस का सृजन किया गया, जो कुल सृजित मानव दिवस का 9.82% है तथा इनकी भागीदारी के प्रतिशत में 0.56% की वृद्धि हुई है.

रांची: झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को हेमंत सरकार अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक बताती है. सामाजिक, आर्थिक और जाति गणना के अनुसार झारखंड के 53 फीसदी से ज्यादा ग्रामीण परिवार वंचित परिवार की श्रेणी में आते हैं. बताया जाता है कि इन परिवारों की आजीविका और आय के स्रोत सरकार की विभिन्न योजनाओं पर काफी हद तक निर्भर करती है. इस स्थिति के मद्देनजर पूरे राज्य में 150 प्रखंडों को चुना गया है, जहां ग्रामीण परिवारों, महिलाओं और अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के अधिक से अधिक परिवारों की भागीदारी सुनिश्चित करने और उन्हें काम देने में मदद करने के उद्देश्य से राज्य सरकार की ओर से एक बड़ा अभियान 'ग्रामीणों की आस, मनरेगा से विकास' चलाया गया.

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यह अभियान 22 सितंबर से लेकर 15 दिसंबर 2021 तक चलाया गया. अभियान के तहत इच्छुक सभी परिवारों को ससमय रोजगार उपलब्ध कराना, महिला व अनुसूचित जाति और जनजाति के श्रमिकों की भागीदारी में वृद्धि, प्रति परिवार औसतन मानव दिवस में वृद्धि, जॉब कार्ड निर्गत कराना,जॉब कार्ड का सत्यापन, प्रत्येक गांव टोला में हर समय औसतन 5-6 योजनाओं का क्रियान्वयन, पहले से चली आ रही पुरानी योजनाओं को पूरा करना, प्रत्येक ग्राम पंचायतों में पर्याप्त योजनाओं की स्वीकृति, शत-प्रतिशत महिला मेट का नियोजन, NMMS के माध्यम से मेट के द्वारा मजदूरों की उपस्थिति अपलोड करना, जीआइएस आधारित प्लानिंग और सामाजिक अंकेक्षण के दौरान पाये गए मामलों के निष्पादन और राशि की वसूली अभियान के तहत सुनिश्चित किये गए.

100 दिनों का रोजगार हुआ प्राप्त: अभियान के दौरान कुल 36,245 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार प्राप्त हुआ, जो अबतक 100 दिनों का कार्य करने वाले परिवारों का 75.4% है. अभियान के दौरान कुल 1.50 लाख योजनाओं को पूरा किया गया, जो पूर्ण हुई योजनाओं का 36.80% है. इसके साथ ही पहले से चली आ रही 43,366 योजनाओं को पूर्ण किया गया. अभियान में औसत मानवदिवस सृजन में भी अपेक्षित प्रगति दर्ज की गई. औसत मानव दिवस प्रति परिवार 32.29 से बढ़कर 37. 21 हो गया है.

पंचायतों में जीआईएस आधारित योजना तैयार: अभियान के दौरान जीआईएस बेस्ड प्लानिंग के तहत कुल 3031 ग्राम पंचायतों की योजना तैयार की गई है. जिसके विरुद्ध 2900 ग्राम पंचायतों के प्लान को जिलों के द्वारा अनुमोदन किया जा चुका है. वनाधिकार पट्टा के कुल 22,309 परिवारों को जॉबकार्ड उपलब्ध कराते हुए 5,432 परिवारों को मनरेगा से लाभान्वित करने के लिए व्यक्तिगत लाभ की योजना स्वीकृत कर कार्य प्रारम्भ किया गया.

3.24 करोड़ मानव दिवस का सृजन: अभियान के दौरान 3.24 करोड़ मानवदिवस का सृजन किया गया है, जो कुल सृजित मानवदिवस का 36% है. महिलाओं की भागीदारी अभियान के दौरान कुल 1.54 लाख मानव दिवस का सृजन महिलाओं द्वारा किया गया, जो अभियान के दौरान सृजित मानव दिवस का 48% है तथा महिलाओं की भागीदारी में 1.20% की वृद्धि हुई.

अनुसूचित जनजाति कोटि के श्रमिकों की भागीदारी में 0.56% की वृद्धि: अभियान के तहत अनुसूचित जनजाति कोटि के श्रमिकों द्वारा कुल 78.83 लाख मानव दिवस का सृजन किया गया, जो कुल सृजित मानव दिवस का 24.35% है तथा इनकी भागीदारी में 0.41% की वृद्धि हुई. अनुसूचित जाति कोटि के श्रमिकों द्वारा कुल 31.78 लाख मानव दिवस का सृजन किया गया, जो कुल सृजित मानव दिवस का 9.82% है तथा इनकी भागीदारी के प्रतिशत में 0.56% की वृद्धि हुई है.

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