रांची: मनरेगा कार्यशाला के दौरान ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के द्वारा मनरेगा में कागज पर ही काम होने संबंधी टिप्पणी सरकारी सिस्टम की पोल खोलने के लिए भले ही काफी हो लेकिन इसके बाद जिस तरह से नाराजगी सामने आई है, उससे साफ लग रहा है कि शासन प्रशासन के कामकाज में आइना भी दिखाना बेहद मुश्किल भरा काम है. मंत्री के इस बयान के बाद झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ ने श्वेत पत्र जारी कर इसे यथार्थ से बाहर माना है.
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मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने जारी किया श्वेत पत्र
झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने श्वेत पत्र जारी करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि मंत्री जी जेएसएलपीएस अंतर्गत सामाजिक अंकेक्षण इकाई द्वारा बार-बार बरगलाने की वजह से प्रभावित होकर इस तरह का बयान दे रहे हैं. पिछले आठ-दस महीने से जेएसएलपीएस के कार्यकर्ता मनरेगा और मनरेगा कर्मियों को बदनाम करने के लिए कई हथकंडे अपना रहे हैं. पिछले दिनों सामाजिक अंकेक्षण इकाई के कार्यकर्ताओं ने राज्य में मनरेगा में करोड़ों रुपए गबन होने की बात कही थी और इस बाबत काफी बयानबाजी हुई थी. बाद में सामाजिक अंकेक्षण इकाई ने अपनी गलती भी मानी और यह मामला झूठा साबित हुआ.
मंत्री के बयान की निंदा
पत्र के माध्यम से यह कहा गया कि संघ भ्रष्ट अधिकारियों का पक्षधर नहीं है. अगर कहीं भ्रष्टाचार हुआ है तो उस पर जांच और कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन इक्का-दुक्का शिकायत की वजह से पूरे राज्य के मनरेगा कर्मियों पर आरोप लगाकर छवि धूमिल करना ठीक नहीं है. मंत्री जी का बयान सिर्फ मनरेगा कर्मियों के क्रियाकलाप पर प्रश्नचिन्ह नहीं है, बल्कि पूरी व्यवस्था के असफलता का प्रमाण पत्र भी है. संघ के द्वारा जारी दो पन्ने के इस श्वेत पत्र में मनरेगाकर्मियों ने मंत्री आलमगीर आलम द्वारा जारी बयान की निंदा करते हुए बयान को स्पष्ट करने की मांग की है. नाराज मनरेगाकर्मियों ने कहा है कि मनरेगा की उपलब्धि का तमगा वरीय अधिकारियों को दिया जाता है, लेकिन मनरेगा में गड़बड़ी के लिए केवल मनरेगाकर्मियों पर दोष मढ़ दिया जाता है जो सरासर गलत है.