रांची: वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान अपने घरों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के मकसद से राज्य सरकार ने तीन योजनाएं शुरु की हैं. उन योजनाओं पर ग्रामीण इलाकों में काम शुरु हो गया है. बिरसा हरित ग्राम योजना और नीलांबर पीतांबर जल समृद्धि योजना को मनरेगा से जोड़कर ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है. इन दोनों योजना की हकीकत जानने के लिए कि ईटीवी भारत अनगड़ा ब्लॉक के जलमा गांव पहुंची, जहां चार एकड़ की जमीन पर इन दोनों योजनाओं के तहत काम चल रहा है.
दरअसल बिरसा हरित ग्राम योजना के अंतर्गत फलदार वृक्ष के पौधे लगाए जाने हैं. जलमा में 4 एकड़ की जमीन पर आम के पौधों के रोपाई के लिए बकायदा तीन फीट चौड़े और तीन फीट गहरे गड्ढे किए जा रहे हैं. गांव के मुखिया राजेश वाहन का दावा है कि एक एकड़ में 112 आम के पौधे लगाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि दो चीजों पर उनका फोकस है, एक तो सरकार की इस योजना से लोगों को रोजगार मिलेगा. दूसरा ट्रेंच कटिंग स्कीम के तहत ढलुवां जमीन पर पानी रोकने के लिए 12 फीट लंबी और तीन फीट गहरे ट्रेंच कटिंग का काम किया जा रहा है, जिसमें बरसात का पानी जमा होगा और भविष्य में काम आएगा.
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सरकार बढ़ाये मानदेय तो क्यों जाएं बाहर
इलाके के पंचायत सेवक रवि महतो ने बताया कि लॉकडाउन में राहत मिलने के बाद गांव में लगभग 51 प्रवासी मजदूर लौटे हैं, जिन्हें फिलहाल होम क्वॉरेंटाइन में रखा गया है. जैसे ही उनके क्वॉरेंटाइन की अवधि समाप्त होगी उन्हें रोजगार से जोड़ दिया जाएगा. वहीं दूसरी योजना के तहत ट्रेंच कटिंग की प्रक्रिया में लगी अलोका देवी ने कहा कि योजनाओं का लाभ मिलना अलग बात है, लेकिन सरकार को मानदेय बढ़ाने के बारे में भी सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि 194 रुपये एक कार्य दिवस के बदले दिए जाते हैं जो पर्याप्त नहीं है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई लिखाई संतोषजनक नहीं हो पाती है. उन्होंने कहा कि सरकार को कम से कम प्रति कार्यदिवस 300 रुपये मानदेय करने के बारे में सोचना चाहिए.
राज्य सरकार ने 4 मई को ग्रामीण विकास विभाग की तीन योजना लांच की है, जिनमें बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना और वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना शामिल है. इन योजनाओं के जरिये 25 करोड़ मानव दिवस का सृजन होने की संभावना है, साथ ही मजदूरों के खाते में लगभग 5 हजार करोड़ रुपये का भुगतान होगा. अगले 5 साल में इन योजनाओं के ऊपर लगभग 20 हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है.