रांची: झारखंड विधानसभा में एक बार फिर जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता आमने-सामने हो गए. दरअसल, मंगलवार को बजट सत्र के 14वें दिन सरयू राय के सवाल का जवाब स्वास्थ्य विभाग के द्वारा नहीं दिए जाने से विवाद बढ़ गया. माहौल इतना बिगड़ गया कि सरयू राय नाराज होकर सदन से बाहर निकल गए और बजट सत्र के शेष बचे दिन में भाग नहीं लेने की घोषणा कर दी. सरयू राय ने स्वास्थ्य विभाग से प्रश्न किया था कि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भारत सरकार की कंपनियों से अत्यधिक दामों पर खरीद की जा रही हैं उसमें सरकार को राजस्व की क्षति हो रही है, जिस पर स्वास्थ्य मंत्री के जवाब से सरयू राय नाराज हो गए.
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स्वास्थ्य मंत्री पर अवमानना की कार्रवाई नहीं चलने पर नाराज हो गए सरयू राय: सरयू राय ने स्वास्थ्य विभाग के द्वारा ऊंचे दामों पर दवा खरीदे जाने संबंधी प्रश्नों का जवाब स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा गलत दिए जाने पर इसकी शिकायत विधानसभा अध्यक्ष रवींंद्र नाथ महतो से करते हुए अवमानना चलाने की मांग की. स्पीकर ने प्रश्नकाल के बाद इसपर समुचित कदम उठाने का आश्वासन दिया लेकिन प्रश्नकाल के बाद जैसे ही सरयू राय अपनी बात सदन में रखने लगे माइक बंद करा दिया गया जिससे सरयू राय नाराज हो गए. सरयू राय ने सदन में भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के पत्र का हवाला देते हुए कहा कि स्वास्थ्य मंत्री प्रश्नों के जवाब गलत रूप से दे रहे हैं जिसको लेकर हम लगातार विधानसभा में मांग करते रहे. जब हमारी बात सदन में नहीं सुनी जाएगी तो मैं शेष बचे 2 दिन सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला लिया है.
सरयू राय ने कहा कि मैं आरोप नहीं लगा रहा हूं बल्कि मैं तथ्यों के साथ कह रहा हूं कि जो भारत सरकार के कंपनियों के साथ मंत्री ने दवा खरीद की है उनमें से कुछ कंपनियां ऐसी हैं जो दवा दूसरे से बनवाती हैं. मैंने इसको लेकर साक्ष्य के रूप में फोटो भी दिया है. पेरासिटामोल सिरप जैसी दवाएं इस तरह की हैं जो दूसरे कंपनियों से बनवाया जाता है. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के एक संयुक्त सचिव के नाम का हवाला देते हुए कहा कि जब उन्होंने इस पर आपत्ति की थी तो उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजकर विभाग ने प्रताड़ित करने का काम किया था.
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दवा खरीद घोटाला में कांग्रेस के बड़े नेताओं का हाथ: सरयू राय ने भारत सरकार के कंपनियों की दवाओं को ऊंचे दामों पर लेने के पीछे कांग्रेस के एक बड़े नेताओं के हाथ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि कर्नाटका एंटीबायोटिक कंपनी का उन्हें सीएनएफ इस राज्य में मिला हुआ है. इस खेल में सबसे अधिक आपूर्ति करने का काम कर्नाटका एंटीबायोटिक कंपनी ने किया है. इतना ही नहीं एक फार्मास्यूटिकल कंपनी रांची की है जिसने कर्नाटका एंटीबायोटिक से एग्रीमेंट किया है जो दवाएं झारखंड में बिकेंगी उसमें से 10 से 12% का कमीशन उन्हें मिलेगा. सरयू राय ने इसकी जांच की मांग करते हुए कहा है कि ऊंचे दामों पर दवा खरीदने के पीछे का कारण क्या है और सरकार के खजाना का चपत लगाने वाले कौन लोग दोषी हैं. इस पर यदि आसन संज्ञान नहीं लेगी, सदन में बात नहीं उठेगी तो सदन का कोई व्यक्ति कहां जायेगा. इस गड़बड़ी में सरकार को 60 करोड़ की चपत लगाई गई है.
सरयू राय ने कहा कि यदि इस मामले को सदन में नहीं उठाया जाएगा और यदि ईडी और सीबीआई के पास यह मामला जाता है तो लोग कहेंगे ईडी और सीबीआई सरकार को परेशान कर रही है. सरयू राय ने कहा कि यदि इतने गंभीर मसले में भी स्पीकर का संरक्षण मिलता है तो इससे बड़ा तकलीफ का विषय क्या हो सकता है. सरयू राय ने कहा कि कल रात में मैंने बीजेपी के कुछ विधायकों से सदन में आने वाले इस प्रश्न को लेकर सहयोग करने के लिए कहा था लेकिन इसके बावजूद सदन में उनके द्वारा उठाए जा रहे सवाल के वक्त बीजेपी विधायकों के द्वारा बेल में जाकर हंगामा किया जाता रहा, जबकि हमसे पहले सुदेश महतो जब बोल रहे थे बीजेपी विधायक चुप थे. इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि क्या स्वास्थ्य मंत्री से बीजेपी विधायकों का कोई सांठगांठ है या मंत्री के प्रति सहानुभूति है.
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सरयू राय ने कहा कि जमशेदपुर में तो स्वास्थ्य मंत्री के प्रति भाजपा इकाइयों का सहानुभूति है. क्योंकि बन्ना गुप्ता कभी भी उसके खिलाफ कुछ बोलते हैं तो भाजपा कार्यकर्ता चुप रहते हैं. यदि जमशेदपुर का प्रभाव सदन तक आ रहा होगा तब तो यही बात होगी कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ लोगों को यह इच्छा है कि इस तरह के सवाल सदन में ना आवे जिससे मंत्री कटघरे में खड़ा हो, सरकार कटघरे में रहे और जिस तरह से स्पीकर साहब ने आचरण किया है वह उचित नहीं है.