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Jharkhand Assembly Budget Session: बढ़ती महंगाई से परेशान हैं झारखंड के माननीय, विधानसभा में उठी विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी की मांग - रांची न्यूज

सोमवार को झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन में विधायकों की सैलरी बढ़ाने का मुद्दा उठा. विपक्ष द्वारा उठाए गए इस मुद्दे पर हालांकि सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है.

MLA raised demand for increase in salary in Jharkhand Assembly
MLA raised demand for increase in salary in Jharkhand Assembly
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Published : Mar 13, 2023, 5:42 PM IST

Updated : Mar 13, 2023, 6:02 PM IST

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रांचीः जनहित के मुद्दे पर भले ही विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोकझोंक और हंगामा होते आप लोग देखते होंगे, लेकिन वेतन बढ़ोतरी के मुद्दे पर ये माननीय एकजुट हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही नजारा सोमवार को झारखंड विधानसभा में देखने को मिला. वेतन बढोत्तरी को लेकर विपक्ष की ओर से भाजपा विधायक भानू प्रताप शाही ने सदन में मांग करते हुए कहा कि दिल्ली की तरह झारखंड में भी विधायकों के वेतन बढाए जाए.

ये भी पढ़ेंः Congress Protest in Ranchi: अडानी हिंडनबर्ग प्रकरण पर कांग्रेस का राजभवन घेराव, मंत्री समेत सैकड़ों कार्यकर्ता आक्रोश मार्च में हुए शामिल

उन्होंने कहा कि पिछली बढोत्तरी 2017 में सरकार द्वारा की गई थी. बीते इन वर्षों में महंगाई बढ़ी है और समय की मांग है कि विधायकों का वेतन बढे. भानू प्रताप शाही की मांग पर हालांकि सरकार की ओर से सोमवार को कुछ भी जवाब नहीं आया मगर दिल्ली की तर्ज पर यदि वेतन बढ़ोतरी होती है तो झारखंड में विधायक का वेतन करीब चार लाख हो जाएगा.

गौरतलब है कि वर्तमान में झारखंड में विधायकों का वेतन 40 हजार प्रतिमाह से शुरू होता है, इसके अलावा अन्य भत्ते दिए जाते हैं. 2017 से पहले 2015 में विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी हुई थी. जिसमें मुख्यमंत्री का मूल वेतन यानी बेसिक सैलरी 70000 से बढ़ाकर 80000रुपया और विधायकों का मूल वेतन 30000 से बढ़ाकर 40,000 किया गया था. विपक्ष के नेता का मूल वेतन 50000 प्रतिमाह से बढ़ाकर 65000 कर दिया गया था और विधानसभा अध्यक्ष का मूल वेतन 55000 से बढ़ाकर 78000 रुपया किया गया था. मुख्य सचेतक का वेतन 2017 में बढ़ोतरी के बाद 55000 हो गया. इसी तरह उप मुख्य सचेतक को 50,000 और सचेतक को 45000रुपया हो गया.

सदन में उठा हजारीबाग रामनवमी का मुद्दाः झारखंड विधानसभा में हजारीबाग में ऐतिहासिक रामनवमी जुलूस को लेकर स्थानीय प्रशासन के द्वारा बरती जा रही सख्ती पर नाराजगी जताते हुए स्थानीय भाजपा विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि 2017-18 में तत्कालीन सरकार के द्वारा वहां ऐतिहासिक रामनवमी जुलूस के दौरान पुष्प वर्षा कर राम भक्तों का स्वागत किया गया था. यदि वह सरकार रहती तो हजारीबाग रामनवमी जुलूस को राज्यस्तरीय मेला के रूप में घोषित किया जाता, लेकिन इस वर्ष जिला प्रशासन के द्वारा 5000 राम भक्तों को नोटिस भेजने के अलावे डीजे एवं टेंट हाउस वालों को डराया धमकाया जा रहा है. जिससे रामभक्त परेशान हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को हजारीबाग जिला प्रशासन को निर्देश देना चाहिए कि इस तरह की कार्रवाई वह ना करें, नहीं तो राम भक्तों के बीच आक्रोश बढ़ेगा.

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रांचीः जनहित के मुद्दे पर भले ही विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोकझोंक और हंगामा होते आप लोग देखते होंगे, लेकिन वेतन बढ़ोतरी के मुद्दे पर ये माननीय एकजुट हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही नजारा सोमवार को झारखंड विधानसभा में देखने को मिला. वेतन बढोत्तरी को लेकर विपक्ष की ओर से भाजपा विधायक भानू प्रताप शाही ने सदन में मांग करते हुए कहा कि दिल्ली की तरह झारखंड में भी विधायकों के वेतन बढाए जाए.

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उन्होंने कहा कि पिछली बढोत्तरी 2017 में सरकार द्वारा की गई थी. बीते इन वर्षों में महंगाई बढ़ी है और समय की मांग है कि विधायकों का वेतन बढे. भानू प्रताप शाही की मांग पर हालांकि सरकार की ओर से सोमवार को कुछ भी जवाब नहीं आया मगर दिल्ली की तर्ज पर यदि वेतन बढ़ोतरी होती है तो झारखंड में विधायक का वेतन करीब चार लाख हो जाएगा.

गौरतलब है कि वर्तमान में झारखंड में विधायकों का वेतन 40 हजार प्रतिमाह से शुरू होता है, इसके अलावा अन्य भत्ते दिए जाते हैं. 2017 से पहले 2015 में विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी हुई थी. जिसमें मुख्यमंत्री का मूल वेतन यानी बेसिक सैलरी 70000 से बढ़ाकर 80000रुपया और विधायकों का मूल वेतन 30000 से बढ़ाकर 40,000 किया गया था. विपक्ष के नेता का मूल वेतन 50000 प्रतिमाह से बढ़ाकर 65000 कर दिया गया था और विधानसभा अध्यक्ष का मूल वेतन 55000 से बढ़ाकर 78000 रुपया किया गया था. मुख्य सचेतक का वेतन 2017 में बढ़ोतरी के बाद 55000 हो गया. इसी तरह उप मुख्य सचेतक को 50,000 और सचेतक को 45000रुपया हो गया.

सदन में उठा हजारीबाग रामनवमी का मुद्दाः झारखंड विधानसभा में हजारीबाग में ऐतिहासिक रामनवमी जुलूस को लेकर स्थानीय प्रशासन के द्वारा बरती जा रही सख्ती पर नाराजगी जताते हुए स्थानीय भाजपा विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि 2017-18 में तत्कालीन सरकार के द्वारा वहां ऐतिहासिक रामनवमी जुलूस के दौरान पुष्प वर्षा कर राम भक्तों का स्वागत किया गया था. यदि वह सरकार रहती तो हजारीबाग रामनवमी जुलूस को राज्यस्तरीय मेला के रूप में घोषित किया जाता, लेकिन इस वर्ष जिला प्रशासन के द्वारा 5000 राम भक्तों को नोटिस भेजने के अलावे डीजे एवं टेंट हाउस वालों को डराया धमकाया जा रहा है. जिससे रामभक्त परेशान हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को हजारीबाग जिला प्रशासन को निर्देश देना चाहिए कि इस तरह की कार्रवाई वह ना करें, नहीं तो राम भक्तों के बीच आक्रोश बढ़ेगा.

Last Updated : Mar 13, 2023, 6:02 PM IST
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