रांची: नियुक्ति नियमावली में संशोधन पर कैबिनेट की मुहर के बाद कुछ मामलों को लेकर सरकार को अपनों ने ही घेरना शुरू कर दिया है. झामुमो विधायक सह पेयजल एवं स्वच्छा मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने सीएम हेमंत सोरेन से मिलकर मगही और भोजपुरी भाषा को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शामिल करने की मांग की है.
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मंत्री ने सीएम को बताया कि झारखंड के मूलवासियों की बड़ी तादात हैं जो मगही, अंगिका और भोजपुरी भाषा का उपयोग करती है. ऐसे छात्र-छात्राओं की बड़ी संख्या प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होने से वंचित हो जाएगी. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सीएम को बताया कि चिन्हित 12 भाषाओं में पलामू प्रमंडल के तीनों जिला तथा चतरा जिला में प्रमुखता से उपयोग की जाने वाली क्षेत्रीय भाषा मगही और भोजपुरी शामिल नहीं है. इससे इन जिलों के अभ्यर्थियों को चयन में समान अवसर नहीं मिल पाएगा. इन्हें भी समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में भोजपुरी और मगही को शामिल करना होगा. उन्होंने सीएम को बताया कि हजारीबाग, बोकारो, धनबाद और कोडरमा जिलों में भी भोजपुरी और मगही भाषा प्रमुखता से प्रचलन में है.
झारखंड से मैट्रिक और इंटर पास छात्र ही झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में बिहार और उत्तर प्रदेश के अभ्यार्थियों के शामिल होने की संभावना नहीं बनती है. मंत्री ने कहा कि यह तो राज्यहित में है लेकिन क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में बांग्ला और उड़िया को रखा गया है. जबकि प्रावधान के अनुसार बंगाल और ओड़िशा के अभ्यर्थी इन परीक्षाओं में भाग लेने के योग्य नहीं होंगे. इस संबंध में मुख्यमंत्री ने सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया है.