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MIG-21 Jet Fighter की मेजबानी करेगा झारखंड का राजभवन, हाई जोश के साथ राज्यवासी कर सकेंगे इसका दीदार - Ranchi News

झारखंड के राजभवन में आप 1971 में पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे करने वाले युद्धक टैंक T-55 को देख सकते हैं, लेकिन चंद दिनों में ही आप लड़ाकू फाइटर विमान MIG 21 का भी दीदार कर सकेंगे. कुछ महीनों के भीतर ही MIG 21 झारखंड के राजभवन में अधिष्ठापित किया जाएगा.

MIG 21 in Jharkhand Raj Bhavan
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Published : Feb 1, 2023, 9:21 PM IST

राज्यपाल रमेश बैस के ओएसडी राकेश कुमार

रांची: झारखंड का राजभवन इन दिनों आम आदमी के लिए खुला हुआ है. 31 जनवरी से 7 फरवरी तक राज्य की आम जनता, राजभवन की खूबसूरती का दीदार कर सकेंगे, जो लोग राजभवन की सुंदरता को करीब से देखने के लिए आते हैं. वह अनायास भारतीय सेना की युद्ध के दौरान शौर्य और वीरता के सहयोगी रहे T-55 टैंक को भी बेहद करीब से जाकर देखे बिना नहीं रह पाते.

ये भी पढ़ें: Jharkhand Rajbhavan Garden Open: 31 जनवरी से आम लोगों के लिए खुलेगा राजभवन का दरवाजा, पहचान पत्र साथ लेकर जाएं घूमने

अब रांची और राज्यवासियों के लिए एक और खुशखबरी है कि वह राजभवन में जल्द ही लड़ाकू फाइटर विमान 'MIG- 21' का भी बेहद पास से दीदार कर सकेंगे. इसकी पूरी तैयारी कर ली गयी है. अगले तीन से चार महीने के अंदर झारखंड के राजभवन में भारतीय वायु सेना का लड़ाकू जेट फाइटर विमान 'MIG- 21' को अधिष्ठापित कर दिया जाएगा.

MIG 21 in Jharkhand Raj Bhavan
झारखंड का राजभवन

द्रौपदी मुर्मू के प्रयास से राजभवन में आया था T-55, रमेश बैस ला रहे हैं MIG-21: राज्यपाल रमेश बैस के ओएसडी राकेश कुमार ने कहा कि देश की सुरक्षा से जुड़े हुए टैंक, फाइटर प्लेन, तोप के बारे में जानने की आमलोगों में काफी जिज्ञासा होती है. आम लोग इसे बेहद करीब से देखना जानना और समझना चाहते हैं. राज्यपाल के OSD राकेश कुमार ने कहा कि निवर्तमान राज्यपाल और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के प्रयास से झारखंड के राजभवन में T-55 टैंक लाया गया था. वर्तमान राज्यपाल रमेश बैस के प्रयास से अगले तीन-चार महीने में लड़ाकू फाइटर जेट विमान राजभवन आ जाएगा. उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि जहां T-55 टैंक अभी अधिष्ठापित है, उसी के सामने जेट फाइटर लड़ाकू विमान MIG 21 को अधिष्ठापित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना के बेड़े में लगभग छह दशक तक मजबूत सदस्य रहा MIG 21 लड़ाकू फाइटर विमान ने कई मौकों पर दुश्मनों के दांत खट्टे किये हैं. झारखंड के राजभवन में उस विमान के अधिष्ठापित होने के बाद यहां के लोगों को मौका मिलेगा कि वह बेहद करीब से रूस निर्मित लड़ाकू विमान को देख और समझ सकें, जिसने वर्षों तक हमारे देश की सुरक्षा में अपनी भूमिका निभाई है.

T-55 टैंक की वीरता की गाथा: टैंक T-55 युद्धक टैंक के रूप में वर्ष 1965 में भारतीय सेना में शामिल हुआ था. 1971 के भारत-पाक संघर्ष के दौरान टैंक T-55 दोनों मोर्चों पर भारत की ओर से एक प्रमुख आधार था. पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान के T-59 टैंकों के विरुद्ध छम्ब क्षेत्र (जम्मू कश्मीर) में भारत की 9 डेक्कन हॉर्स और 72 आर्मर्ड रेजीमेंट द्वारा पाकिस्तान के आक्रमक हमले को विफल करने के लिए इसका विवेकपूर्ण इस्तेमाल किया गया था. जिसके लिए इसे "बैटल ऑनर छम्ब" और "थियेटर ऑनर ऑफ जम्मू एंड कश्मीर" से सम्मानित किया गया था. उसी समय पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान में बांग्लादेश) में युद्ध संचालन में 63 कैवेलरी T-55 टैंकों से युक्त था. अपनी शौर्यपूर्ण कर्रवाई के लिए रेजीमेंट को "थियेटर ऑनर ऑफ ईस्ट पाकिस्तान 1971" से भी सम्मानित किया गया था. यह टैंक उन बहादुर एवं पराक्रमी सैनिकों को समर्पित श्रद्धांजलि के रूप में रांची के राजभवन में अधिष्ठापित किया गया है, जो इन मशीनों पर रहते हुए लड़े थे. यह उन वीर जवानों के साहस और वीरता का मूक प्रमाण है, जिन्होंने अपने राष्ट्र और राष्ट्रवासियों के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था.

पाकिस्तानी फाइटर विमान F16 को भारतीय MIG-21 ने दी थी मात: जब भी हम MIG-21 की बात करते हैं तो हमारा पहला ध्यान MIG 21 लड़ाकू विमान उड़ा रहे वीर सपूत विंग कमांडर अभिनंदन पर जाता है, जिन्होंने 27 फरवरी 2021 के फरवरी महीने में पाकिस्तान के अत्याधुनिक फाइटर विमान F16 को मार गिराया था.

1963 में भारतीय वायु सेना में शामिल हुआ था MIG-21: 1959 में बना मिग-21 की गिनती दुनिया के पहले सुपरसोनिक विमानों में से एक में होती है. 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ मिग-21 करीब छह दशक तक भारतीय वायु सेना का हिस्सा रहा. MIG-21 को अब धीरे-धीरे वायु सेना से सम्मान पूर्वक हटाया जा रहा है. इसकी शुरुआत हो गयी है और वर्ष 2025 तक MIG-21 के सभी स्क्वाड्रन को हटा लिए जाने की योजना है क्योंकि यह काफी पुराने पड़ गए हैं और अब यह बार-बार दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं. भले ही आनेवाले दिनों में MIG-21 फाइटर विमान आसमान की ऊंचाईयों से दुश्मनों पर प्रहार करता नहीं दिखेगा, लेकिन तब भी वह दूसरे मिशन पर होगा. वह मिशन भारत की नई पीढ़ियों को भारत की सेना खासकर वायु सेना का इतिहास और वीरता से भरे शौर्यगाथा से अवगत कराने का होगा. रांची और पूरे झारखंडवासियों को अब MIG-21 के राजभवन आने का इंतजार है.

राज्यपाल रमेश बैस के ओएसडी राकेश कुमार

रांची: झारखंड का राजभवन इन दिनों आम आदमी के लिए खुला हुआ है. 31 जनवरी से 7 फरवरी तक राज्य की आम जनता, राजभवन की खूबसूरती का दीदार कर सकेंगे, जो लोग राजभवन की सुंदरता को करीब से देखने के लिए आते हैं. वह अनायास भारतीय सेना की युद्ध के दौरान शौर्य और वीरता के सहयोगी रहे T-55 टैंक को भी बेहद करीब से जाकर देखे बिना नहीं रह पाते.

ये भी पढ़ें: Jharkhand Rajbhavan Garden Open: 31 जनवरी से आम लोगों के लिए खुलेगा राजभवन का दरवाजा, पहचान पत्र साथ लेकर जाएं घूमने

अब रांची और राज्यवासियों के लिए एक और खुशखबरी है कि वह राजभवन में जल्द ही लड़ाकू फाइटर विमान 'MIG- 21' का भी बेहद पास से दीदार कर सकेंगे. इसकी पूरी तैयारी कर ली गयी है. अगले तीन से चार महीने के अंदर झारखंड के राजभवन में भारतीय वायु सेना का लड़ाकू जेट फाइटर विमान 'MIG- 21' को अधिष्ठापित कर दिया जाएगा.

MIG 21 in Jharkhand Raj Bhavan
झारखंड का राजभवन

द्रौपदी मुर्मू के प्रयास से राजभवन में आया था T-55, रमेश बैस ला रहे हैं MIG-21: राज्यपाल रमेश बैस के ओएसडी राकेश कुमार ने कहा कि देश की सुरक्षा से जुड़े हुए टैंक, फाइटर प्लेन, तोप के बारे में जानने की आमलोगों में काफी जिज्ञासा होती है. आम लोग इसे बेहद करीब से देखना जानना और समझना चाहते हैं. राज्यपाल के OSD राकेश कुमार ने कहा कि निवर्तमान राज्यपाल और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के प्रयास से झारखंड के राजभवन में T-55 टैंक लाया गया था. वर्तमान राज्यपाल रमेश बैस के प्रयास से अगले तीन-चार महीने में लड़ाकू फाइटर जेट विमान राजभवन आ जाएगा. उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि जहां T-55 टैंक अभी अधिष्ठापित है, उसी के सामने जेट फाइटर लड़ाकू विमान MIG 21 को अधिष्ठापित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना के बेड़े में लगभग छह दशक तक मजबूत सदस्य रहा MIG 21 लड़ाकू फाइटर विमान ने कई मौकों पर दुश्मनों के दांत खट्टे किये हैं. झारखंड के राजभवन में उस विमान के अधिष्ठापित होने के बाद यहां के लोगों को मौका मिलेगा कि वह बेहद करीब से रूस निर्मित लड़ाकू विमान को देख और समझ सकें, जिसने वर्षों तक हमारे देश की सुरक्षा में अपनी भूमिका निभाई है.

T-55 टैंक की वीरता की गाथा: टैंक T-55 युद्धक टैंक के रूप में वर्ष 1965 में भारतीय सेना में शामिल हुआ था. 1971 के भारत-पाक संघर्ष के दौरान टैंक T-55 दोनों मोर्चों पर भारत की ओर से एक प्रमुख आधार था. पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान के T-59 टैंकों के विरुद्ध छम्ब क्षेत्र (जम्मू कश्मीर) में भारत की 9 डेक्कन हॉर्स और 72 आर्मर्ड रेजीमेंट द्वारा पाकिस्तान के आक्रमक हमले को विफल करने के लिए इसका विवेकपूर्ण इस्तेमाल किया गया था. जिसके लिए इसे "बैटल ऑनर छम्ब" और "थियेटर ऑनर ऑफ जम्मू एंड कश्मीर" से सम्मानित किया गया था. उसी समय पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान में बांग्लादेश) में युद्ध संचालन में 63 कैवेलरी T-55 टैंकों से युक्त था. अपनी शौर्यपूर्ण कर्रवाई के लिए रेजीमेंट को "थियेटर ऑनर ऑफ ईस्ट पाकिस्तान 1971" से भी सम्मानित किया गया था. यह टैंक उन बहादुर एवं पराक्रमी सैनिकों को समर्पित श्रद्धांजलि के रूप में रांची के राजभवन में अधिष्ठापित किया गया है, जो इन मशीनों पर रहते हुए लड़े थे. यह उन वीर जवानों के साहस और वीरता का मूक प्रमाण है, जिन्होंने अपने राष्ट्र और राष्ट्रवासियों के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था.

पाकिस्तानी फाइटर विमान F16 को भारतीय MIG-21 ने दी थी मात: जब भी हम MIG-21 की बात करते हैं तो हमारा पहला ध्यान MIG 21 लड़ाकू विमान उड़ा रहे वीर सपूत विंग कमांडर अभिनंदन पर जाता है, जिन्होंने 27 फरवरी 2021 के फरवरी महीने में पाकिस्तान के अत्याधुनिक फाइटर विमान F16 को मार गिराया था.

1963 में भारतीय वायु सेना में शामिल हुआ था MIG-21: 1959 में बना मिग-21 की गिनती दुनिया के पहले सुपरसोनिक विमानों में से एक में होती है. 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ मिग-21 करीब छह दशक तक भारतीय वायु सेना का हिस्सा रहा. MIG-21 को अब धीरे-धीरे वायु सेना से सम्मान पूर्वक हटाया जा रहा है. इसकी शुरुआत हो गयी है और वर्ष 2025 तक MIG-21 के सभी स्क्वाड्रन को हटा लिए जाने की योजना है क्योंकि यह काफी पुराने पड़ गए हैं और अब यह बार-बार दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं. भले ही आनेवाले दिनों में MIG-21 फाइटर विमान आसमान की ऊंचाईयों से दुश्मनों पर प्रहार करता नहीं दिखेगा, लेकिन तब भी वह दूसरे मिशन पर होगा. वह मिशन भारत की नई पीढ़ियों को भारत की सेना खासकर वायु सेना का इतिहास और वीरता से भरे शौर्यगाथा से अवगत कराने का होगा. रांची और पूरे झारखंडवासियों को अब MIG-21 के राजभवन आने का इंतजार है.

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