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मनरेगा में 51.29 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी, रिकवर करने में सिस्टम फेल, झामुमो के गढ़ में हालत और खराब

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Published : Aug 19, 2021, 7:09 PM IST

Updated : Aug 19, 2021, 7:32 PM IST

कोरोना काल में झारखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेपटरी होने से बचाने में मनरेगा की योजनाएं मील का पत्थर साबित हुई. लेकिन इसका दूसरा पहलू बेहद चौंकाने वाला है. मनरेगा की योजनाओं को धरातल पर उतारने के नाम पर 51.29 करोड़ रू की वित्तीय गड़बड़ी हुई है.

MGNREGA scam in Jharkhand
MGNREGA scam in Jharkhand

रांची: मनरेगा की योजनाओं को अमल में लाने के नाम पर गड़बड़ी की बात सामने आ रही है. सोशल ऑडिट से यह बात सामने आई है. राज्य में कोई जिला नहीं बचा है जहां मनरेगा की योजनाओं के पैसे न उड़ाए गये हों. सबसे ज्यादा 6.37 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी पलामू जिले में हुई है. दूसरे स्थान पर गढ़वा जिला है. यहां 5.93 करोड़ का हिसाब किताब नहीं मिला है. इसके बाद रामगढ़ में 4.93, गिरिडीह में 4.03, पश्चिमी सिंहभूम में 3.13 और गोड्डा में 2.88 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी हुई है. रांची में भी अधिकारियों, कर्मियों और सप्लायर की मिलीभगत से 2.17 करोड़ की गड़बड़ी हुई है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में फ्लॉप हो गई मुख्यमंत्री श्रमिक योजना, एक साल में केवल 26 हजार लोगों का ही बना जॉब कार्ड

रिकवरी के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति

सोशल ऑडिट में 51.29 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी के खुलासे के बाद रिकवरी की कवायद जरूर शुरू हुई लेकिन शायद दिखावे भर के लिए. इसी का नतीजा है कि अबतक सिर्फ 1.39 करोड़ ही रिकवर हो पाया है. सबसे ज्यादा गढ़वा में 78.19 लाख, हजारीबाग में 22.98 लाख, गुमला में 10.49 लाख और रांची में 9.65 लाख रिकवर हो पाया है. यह एक तरह से ऊंट में मुंह में जीरा के समान है.

झामुमो के गढ़ में रिकवरी रेट सबसे खराब

सत्ताधारी दल झामुमो के गढ़ यानी संथाल में घोटाले के पैसों की रिकवरी की स्थिति सबसे खराब है. दुमका में 2.36 करोड़ की वित्तीय अनियमितता हुई है लेकिन इसकी तुलना में सिर्फ 1 लाख 4 हजार 208 रु. वसूले गए हैं. साहिबगंज में 2.87 करोड़ का हिसाब नहीं है. यहां सिर्फ 23,238 रु. रिकवर हुआ है. जामताड़ा में 1.04 करोड़ की गड़बड़ी की तुलना में 4,500 रु. वसूली हुई है. देवघर में 1.04 करोड़ की जगह 400 रुपए और पाकुड़ में 1.66 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी की जगह एक फूटी कौड़ी भी वसूल नहीं हुई है. 24 जिलों में से 14 जिले ऐसे हैं जहां से सिर्फ 2.7 प्रतिशत राशि की वसूली की जा सकी है.

शिकायतों के निपटारे में भी फिसड्डी

ऐसा नहीं कि मनरेगा की योजनाओं में गड़बड़ी की शिकायत विभाग को नहीं मिली. पूर राज्य में 92,027 शिकायतें सामने आई. लेकिन 38,234 मामलों पर ही एक्शन लिया गया. खास बात है कि 41.5 प्रतिशत शिकायतों पर एटीआर तो बना लेकिन 2,279 शिकायतों से जुड़ी फाइल ही क्लोज हो पाई.

कोरोना संक्रमण के बाद कई मोर्चों पर जूझ रही हेमंत सरकार ने जरूरतमंदों तक मनरेगा के फायदे पहुंचाने के लिए सभी उपाए किए. इसी का नतीजा रहा है कि झारखंड में रिकॉर्ड मानव दिवस का सृजन हुआ. लेकिन 51.29 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी ने सारी उपलब्धियों पर पानी फेर दिया है.

रांची: मनरेगा की योजनाओं को अमल में लाने के नाम पर गड़बड़ी की बात सामने आ रही है. सोशल ऑडिट से यह बात सामने आई है. राज्य में कोई जिला नहीं बचा है जहां मनरेगा की योजनाओं के पैसे न उड़ाए गये हों. सबसे ज्यादा 6.37 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी पलामू जिले में हुई है. दूसरे स्थान पर गढ़वा जिला है. यहां 5.93 करोड़ का हिसाब किताब नहीं मिला है. इसके बाद रामगढ़ में 4.93, गिरिडीह में 4.03, पश्चिमी सिंहभूम में 3.13 और गोड्डा में 2.88 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी हुई है. रांची में भी अधिकारियों, कर्मियों और सप्लायर की मिलीभगत से 2.17 करोड़ की गड़बड़ी हुई है.

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रिकवरी के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति

सोशल ऑडिट में 51.29 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी के खुलासे के बाद रिकवरी की कवायद जरूर शुरू हुई लेकिन शायद दिखावे भर के लिए. इसी का नतीजा है कि अबतक सिर्फ 1.39 करोड़ ही रिकवर हो पाया है. सबसे ज्यादा गढ़वा में 78.19 लाख, हजारीबाग में 22.98 लाख, गुमला में 10.49 लाख और रांची में 9.65 लाख रिकवर हो पाया है. यह एक तरह से ऊंट में मुंह में जीरा के समान है.

झामुमो के गढ़ में रिकवरी रेट सबसे खराब

सत्ताधारी दल झामुमो के गढ़ यानी संथाल में घोटाले के पैसों की रिकवरी की स्थिति सबसे खराब है. दुमका में 2.36 करोड़ की वित्तीय अनियमितता हुई है लेकिन इसकी तुलना में सिर्फ 1 लाख 4 हजार 208 रु. वसूले गए हैं. साहिबगंज में 2.87 करोड़ का हिसाब नहीं है. यहां सिर्फ 23,238 रु. रिकवर हुआ है. जामताड़ा में 1.04 करोड़ की गड़बड़ी की तुलना में 4,500 रु. वसूली हुई है. देवघर में 1.04 करोड़ की जगह 400 रुपए और पाकुड़ में 1.66 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी की जगह एक फूटी कौड़ी भी वसूल नहीं हुई है. 24 जिलों में से 14 जिले ऐसे हैं जहां से सिर्फ 2.7 प्रतिशत राशि की वसूली की जा सकी है.

शिकायतों के निपटारे में भी फिसड्डी

ऐसा नहीं कि मनरेगा की योजनाओं में गड़बड़ी की शिकायत विभाग को नहीं मिली. पूर राज्य में 92,027 शिकायतें सामने आई. लेकिन 38,234 मामलों पर ही एक्शन लिया गया. खास बात है कि 41.5 प्रतिशत शिकायतों पर एटीआर तो बना लेकिन 2,279 शिकायतों से जुड़ी फाइल ही क्लोज हो पाई.

कोरोना संक्रमण के बाद कई मोर्चों पर जूझ रही हेमंत सरकार ने जरूरतमंदों तक मनरेगा के फायदे पहुंचाने के लिए सभी उपाए किए. इसी का नतीजा रहा है कि झारखंड में रिकॉर्ड मानव दिवस का सृजन हुआ. लेकिन 51.29 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी ने सारी उपलब्धियों पर पानी फेर दिया है.

Last Updated : Aug 19, 2021, 7:32 PM IST
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