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Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग, शनि देव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहेंगे विराजमान, जानिए कब और कैसे करें पूजा

महाशिवरात्रि पर इस बार दुर्लभ संयोग बन रहा है. महाशिवरात्रि पर शनि देव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान रहेंगे. भक्तों के लिए कितना होगा लाभकारी जानिए पंडित मृत्युंजय कुमार पांडे से...

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रांची हरमू मंदिर का शिव लिंग
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Published : Feb 17, 2023, 7:49 AM IST

Updated : Feb 18, 2023, 6:24 AM IST

पंडित मृत्युंजय कुमार पांडे

रांची: शिव और शक्ति के महामिलन का पर्व महाशिवरात्रि इस वर्ष श्रद्धालुओं के लिए खास है. महाशिवरात्रि के अवसर पर 18 फरवरी यानी शनिवार को बन रहे ग्रह नक्षत्रों के संयोग को बेहद ही शुभ माना जा रहा है. पंचांग के अनुसार 18 फरवरी यानी शनिवार को तिरुचि तिथि शाम 5:43 तक है उसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी. उत्तराखंड नक्षत्र दिन में 3:34 तक उसके बाद श्रवण नक्षत्र इस दिन सायंकाल 5:54 तक रहेगा सायंकाल 3:34 से पूरी रात सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहेगा जो श्रद्धालुओं के लिए खास होगा.

ये भी पढ़ें- Mahashivratri in Deoghar: देवघर में महाशिवरात्रि की धूम, बैद्यनाथ धाम मंदिर से उतारा गया पंचशूल

हरमू शिव मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित मृत्युंजय कुमार पांडे की मानें तो इस बार महाशिवरात्रि सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ भरा रहेगा, जिसमें भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से धन समृद्धि वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी. उन्होंने कहा कि इस साल महाशिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष व्रत भी है. शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है और यह दिन भगवान शिव का दिन माना जाता है. इसलिए इस दृष्टिकोण से भी इस बार का महाशिवरात्रि भक्तों के लिए काफी शुभ माना गया है.

महाशिवरात्रि पर व्रत के साथ इस तरह करें पूजा अर्चना: मृत्युंजय कुमार पांडे के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भक्तों को व्रत करने के पश्चात दिन में 4 बार भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए और रात में जिस वक्त शिव और पार्वती की विवाह संपन्न होती है उस वक्त जरूर मंदिरों में जाकर दर्शन करना चाहिए. महाशिवरात्रि के पश्चात सुबह शिव दर्शन के बाद भक्तों को पारण करना चाहिए. इस तरह से महाशिवरात्रि के अवसर पर पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

जाने-माने ज्योतिष पीएम चौबे महाशिवरात्रि के इस योग को दुर्लभ संजोग बताते हुए कहा है की इन शुभ योगों में किए गए पूजा पाठ और व्रत का कई गुना अधिक फल मिलता है. इस बार महाशिवरात्रि पर शनि देव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान रहेंगे साथ ही सूर्य देव अपने पुत्र एवं शत्रु शनि की राशि कुंभ में चंद्रमा के साथ दिखाई पड़ेंगे.ऐसे में ग्रहों की स्थिति त्रिग्रही योग बना रही है. ग्रहों की यह दुर्लभ स्थिति भक्तों के लिए अत्यंत लाभकारी होगी खासकर वैसे लोगों के लिए जिन्हें शनि दोष है इस मौके पर पूजा अर्चना करने से सनी के सभी दोस्त दूर हो जाएंगे और हर मनोकामना पूरी हो जाएगी.

पंडित मृत्युंजय कुमार पांडे

रांची: शिव और शक्ति के महामिलन का पर्व महाशिवरात्रि इस वर्ष श्रद्धालुओं के लिए खास है. महाशिवरात्रि के अवसर पर 18 फरवरी यानी शनिवार को बन रहे ग्रह नक्षत्रों के संयोग को बेहद ही शुभ माना जा रहा है. पंचांग के अनुसार 18 फरवरी यानी शनिवार को तिरुचि तिथि शाम 5:43 तक है उसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी. उत्तराखंड नक्षत्र दिन में 3:34 तक उसके बाद श्रवण नक्षत्र इस दिन सायंकाल 5:54 तक रहेगा सायंकाल 3:34 से पूरी रात सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहेगा जो श्रद्धालुओं के लिए खास होगा.

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हरमू शिव मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित मृत्युंजय कुमार पांडे की मानें तो इस बार महाशिवरात्रि सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ भरा रहेगा, जिसमें भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से धन समृद्धि वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी. उन्होंने कहा कि इस साल महाशिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष व्रत भी है. शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है और यह दिन भगवान शिव का दिन माना जाता है. इसलिए इस दृष्टिकोण से भी इस बार का महाशिवरात्रि भक्तों के लिए काफी शुभ माना गया है.

महाशिवरात्रि पर व्रत के साथ इस तरह करें पूजा अर्चना: मृत्युंजय कुमार पांडे के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भक्तों को व्रत करने के पश्चात दिन में 4 बार भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए और रात में जिस वक्त शिव और पार्वती की विवाह संपन्न होती है उस वक्त जरूर मंदिरों में जाकर दर्शन करना चाहिए. महाशिवरात्रि के पश्चात सुबह शिव दर्शन के बाद भक्तों को पारण करना चाहिए. इस तरह से महाशिवरात्रि के अवसर पर पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

जाने-माने ज्योतिष पीएम चौबे महाशिवरात्रि के इस योग को दुर्लभ संजोग बताते हुए कहा है की इन शुभ योगों में किए गए पूजा पाठ और व्रत का कई गुना अधिक फल मिलता है. इस बार महाशिवरात्रि पर शनि देव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान रहेंगे साथ ही सूर्य देव अपने पुत्र एवं शत्रु शनि की राशि कुंभ में चंद्रमा के साथ दिखाई पड़ेंगे.ऐसे में ग्रहों की स्थिति त्रिग्रही योग बना रही है. ग्रहों की यह दुर्लभ स्थिति भक्तों के लिए अत्यंत लाभकारी होगी खासकर वैसे लोगों के लिए जिन्हें शनि दोष है इस मौके पर पूजा अर्चना करने से सनी के सभी दोस्त दूर हो जाएंगे और हर मनोकामना पूरी हो जाएगी.

Last Updated : Feb 18, 2023, 6:24 AM IST
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