रांची: नगर निगम और नगर विकास विभाग के आपसी विवाद का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. शहर की मेयर आशा लाकड़ा ने रविवार को एक बार फिर कहा है कि झारखंड नगरपालिका अधिनियम के प्रावधानों के तहत नगर निकायों को दिए गए अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर नगर विकास विभाग आर्थिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रही है.
आशा लाकड़ा ने कहा कि हाल ही में राज्य शहरी विकास अभिकरण के माध्यम से रांची और धनबाद नगर निगम क्षेत्र में राजस्व वसूली के लिए टेंडर निकाला गया था, जब यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो आनन-फानन में विभागीय अधिकारियों ने टेंडर रद्द कर दिया और फिर से टेंडर निकालने के प्रस्ताव तैयार किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि रांची नगर निगम क्षेत्र में राजस्व वसूली कर रही एजेंसी का काम संतोषजनक है, ऐसे में नई एजेंसी के माध्यम से राजस्व वसूली का काम करना सही नहीं है, एजेंसी के माध्यम से सॉफ्टवेयर भी तैयार किया गया है, प्रतिवर्ष राजस्व वसूली का ग्राफ भी बढ़ रहा है, लेकिन सूडा के माध्यम से विभागीय अधिकारी रांची और धनबाद नगर निगम के लिए नए तरीके से राजस्व वसूली की क्या तैयारी कर रहे हैं, यह समझ से परे है, विभागीय अधिकारियों को पहले यह साफ करना चाहिए कि उनकी मंशा क्या है, अगर नई एजेंसी के माध्यम से राजस्व वसूली में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है, तो सबसे पहले विभागीय अधिकारियों को इस संबंध में तैयार की गई कार्य योजना की जानकारी नगर निगम को देना चाहिए, ताकि जनप्रतिनिधि व्यवस्था के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सके.
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मेयर ने कहा है कि टेंडर प्रक्रिया के सरल शर्तों को देखने के बाद ऐसा लगता है कि किसी खास एजेंसी को रांची और धनबाद नगर निगम के राजस्व वसूली का काम देने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने यहां तक कहा कि सत्ता में शामिल एक राजनीतिक पार्टी के महिला के बेटे को राजस्व वसूली का काम देने के लिए टेंडर प्रक्रिया की शर्तों को सरल किया गया है, राज्य सरकार सत्ता की बागडोर संभालते ही भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है, लेकिन अब सत्ता में बैठे लोग ही भ्रष्टाचार की तैयार करने में जुटे हुए हैं. उन्होंने कहा है कि अधिकारी टेंडर प्रक्रिया की शर्तों में खेल कर किसी खास एजेंसी को काम देना चाह रहे हैं.