रांच: झारखंड में बेकाबू होते कोरोना वायरस को लेकर रांची की मेयर आशा लकड़ा ने चिंता जाहिर की है. मेयर ने इसे लेकर कहा कि कोरोना वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन तेजी से हो रहा है. ऐसे में मेयर ने सरकार से आग्रह किया है कि जितनी जल्दी हो सके, शहरी क्षेत्रों में लॉकडाउन लगाया जाए.
राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की स्थिति बेकाबू हो रही है. इस पर मेयर आशा लकड़ा ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के आंकड़ों से स्पष्ट हो रहा है कि अब कोरोना वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन तेजी से हो रहा है, फिर भी इस महामारी को नियंत्रित करने की दिशा में कारगर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब राज्य में कोरोना की जांच पर भी सवाल उठ रहे हैं. मेयर ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए शहरी क्षेत्र में जल्द से जल्द लॉकडाउन की घोषणा की जाए.
राज्य में 15 से 20 दिनों के लिए लॉकडाउन करे सरकार
झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी और आम लोगों ने भी लॉकडाउन पर सहमति जताई है. मेयर ने पहले भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कोरोना की रोकथाम के लिए कई बिंदुओं पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया था, लेकिन इस दिशा में अबतक कोई पहल नहीं की गई. उन्होंने एक बार फिर कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार को रांची समेत पूरे राज्य में 15 से 20 दिनों के लिए लॉकडाउन करने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि संपूर्ण लॉकडाउन किए बिना शारीरिक दूरी और मुंह पर मास्क लगाने के निर्देशों का अनुपालन कराना संभव नहीं है, क्योंकि शहर में सभी प्रकार के हाट, बाजार, दुकान, सभी प्रकार के सरकारी और निजी ऑफिस समेत अन्य संस्थान खोल दिए गए हैं.
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लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने की आवश्यकता
वहीं, मेयर आशा लकड़ा ने कहा है कि राज्य सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं है. जिस प्रकार प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में कोरोना संक्रमित मरीज पाए जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली को दुरुस्त करने की जरूरत है. सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के मुख्य अधिकारियों, सिविल सर्जन समेत राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और विभागीय मंत्री के साथ मुख्यमंत्री को समीक्षा कर कोविड केयर सेंटर, क्वॉरेंटाइन सेंटर और कोरोना जांच में तेजी लाने की जरूरत है. साथ ही राज्य के सभी सदर अस्पतालों में दवा की कमी और लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है.