रांची: एक ओर आवास बोर्ड नई दुकान और फ्लैट बनाकर राजस्व संग्रह की तैयारी में है. वहीं दूसरी ओर पिछले दस साल से बनकर तैयार मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स यूं ही पड़ा हुआ है. राजधानी के बीचोबीच हरमू में बने इस मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स का उद्देश्य यह था कि खुले आसमान के नीचे सब्जी और अन्य दुकान लगाने वाले लोगों को छत मुहैया करायी जा सके. जिससे उनकी परेशानी दूर हो सके.
दुखद पहलू यह है कि आवंटन लेने के बावजूद दुकानदारों ने एक दिन भी इसमें दुकान नहीं लगाई. बल्कि इसका इस्तेमाल वे गोदाम के रूप में कर रहे हैं और पहले की तरह खुले आसमान में हरमू बाजार में सब्जी बेचने का काम करते हैं. ऐसे में रखरखाव नहीं होने की वजह तीन मंजिला इस बिल्डिंग की हालत दयनीय हो चुकी है. यहां गंदगी का अंबार लग गया है. इसके अलावा उसमें असमाजिक तत्वों का अड्डा आम हो चुका है.
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता जयशंकर चौधरी कहते हैं कि जिस उद्देश्य के साथ यह वेजिटेबल मार्केट कॉम्प्लेक्स बना वह पूरा नहीं हो पाया. दस साल बीतने के बाद भी आवास बोर्ड इसमें बने बैक्वेट हॉल को चालू नहीं करा पाया. कुछ दुकानें सब्जी विक्रेताओं को आवंटित हुए मगर वे वहां यहां आना नहीं चाहते. अब तो बिल्डिंग की स्थिति भी जर्जर हो चुकी है. आवश्यकता इस बात की है कि इसे फिर से तैयार किया जाए जिससे बैक्वेट हॉल को गरीब गुरबों की शादी या अन्य सामाजिक कार्य के लिए इस्तेमाल किया जा सके.
आवंटन रद्द कर केस करने की तैयारी में जुटा आवास बोर्ड: 2013 में बना मार्केटिंग कॉम्पलेक्स का उद्घाटन पूर्व मंत्री योगेंद्र साहू ने किया था. तीन मंजिला इस मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स में ग्राउंड और पहले तल्ले का आवंटन वेंडर्स को किया गया है. जबकि तीसरे फ्लोर पर कम्युनिटी हॉल है और 11 दुकानें हैं, जो आज तक आवंटित नहीं है. जबकि पूरी बिल्डिंग में 200 से अधिक दुकान हैं. पिछले दिनों आवास बोर्ड के अध्यक्ष संजय लाल पासवान ने बदहाल पड़े इस मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स को देखने गए थे. जब जमीनी हकीकत देख तो पता चला की लाखों की लागत से बना इस मार्केटिंग परिसर का क्या हाल है.
हाउसिंग बोर्ड ने इसके लिए जिम्मेदार आवंटियों को मानते हुए नोटिस जारी कर दुकान में शिफ्ट होने का आदेश दिया है. यदि ऐसा नहीं होता है तो आवास बोर्ड आवंटन रद्द करते हुए संबंधित व्यक्ति पर केस करने का निर्णय लिया है. बोर्ड के अध्यक्ष संजय लाल पासवान ने कहा है कि खुले आसमान के नीचे दुकान लगाने वाले लोगों की सुविधा के लिए ही आवास बोर्ड ने यह व्यवस्था दी थी. ऐसे में यदि वह अपने दुकान में शिफ्ट नहीं करते हैं तो कार्रवाई निश्चित रूप से होगी.