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वूलेन कपड़ों की शॉपिंग के लिए रांची वासियों की पहली पसंद है ये बाजार, लोगों को रहता है इसका इंतजार - ranchi news

ठंड का मौसम आते ही लोगों को रांची के इस बाजार का रहता है इंतजार (Market for wollen clothes Shooping in Ranchi). तिब्बत से आए लोग इस बाजार में ऊनी कपड़े बेचते हैं. यह बाजार लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है. पढ़े रिपोर्ट.

Market for wollen clothes Shooping in Ranchi
Market for wollen clothes Shooping in Ranchi
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Published : Nov 4, 2022, 12:55 PM IST

Updated : Nov 4, 2022, 2:11 PM IST

रांची: ठंड का मौसम आते ही ऊनी कपड़ों का बाजार सजने लगता है, लोग ऊनी कपड़े की खरीदारी शुरू कर देते हैं. राजधानी रांची में भी ऊनी कपड़ों के लिए प्रसिद्ध पोतला मार्केट सज चुका है (Market for wollen clothes Shooping in Ranchi). जहां बाहर से आए कारोबारी अपना स्टॉल लगाकर सामान बेचते नजर आ रहे हैं.

यह भी पढें: छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्स, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन होंगे मुख्य अतिथि

पोताला मार्केट राजधानी का सबसे प्रसिद्ध बाजार है (Potla Market of Ranchi). यह बाजार साल में एक बार लगता है. इस बाजार में स्टॉल लगाने वाले ज्यादा व्यापारी वैसे हैं जो मूलतः तिब्बत के रहने वाले हैं और वर्ष 1959 से ही शरणार्थी के रूप में भारत के हिमाचल प्रदेश में रह रहे हैं.

देखें वीडियो

पोतला बाजार में अपना स्टॉल लगाकर ऊनी कपड़े बेच रहे त्शरिंग थिनले (Tsring Thinley) बताते हैं कि वे लोग वर्ष 1959 में ही शरणार्थी के रूप में भारत आए थे. भारत पहुंचने के बाद इन लोगों ने अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए रांची का रुख किया. पिछले कई दशक से हिमाचल से तिब्बतियन समाज झारखंड की राजधानी रांची में पहुंचकर बाजार लगाते हैं और यहां पर हुए कारोबार से अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.


त्शरिंग थिनले बताते हैं कि पिछले कई वर्षों से कचहरी स्थित जयपाल सिंह स्टेडियम में यह बाजार लगता था. जहां पर लाखों की संख्या में लोग आकर सामान खरीदते थे. लेकिन पिछले दो वर्षों से नगर निगम और जिला प्रशासन की तरफ से जयपाल सिंह स्टेडियम में बाजार लगाने की अनुमति नहीं मिल रही है. जिस वजह से उन्हें लालपुर और हटिया क्षेत्र में बाजार लगाना पड़ रहा है.



हिमाचल प्रदेश से बाजार लगाने पहुंची डीचेन बताती हैं कि पिछले 2 वर्षों से कोरोना के कारण अच्छे तरीके से बाजार नहीं लगा पाते थे. जिस वजह से उन्हें कारोबार में भी नुकसान हुआ लेकिन इस साल उन्हें बेहतर मौका मिला है. दो साल के बाद इस वर्ष सभी व्यापारी यह उम्मीद जता रहे हैं कि इस साल ज्यादा से ज्यादा लोग खरीदारी करने पहुंचेंगे इसलिए सभी कारोबारी ज्यादा से ज्यादा संख्या में और बेहतर डिजाइन के कपड़े लेकर बाजार लगाने पहुंचे हैं.



वहीं बाजार में पहुंचे ग्राहकों ने बताया कि पोताला मार्केट एक ऐसा बाजार है जहां पर गरीब से गरीब और अमीर से अमीर लोग खरीदारी करने पहुंचते हैं. इस बाजार में मध्यम वर्ग के परिवार भी खरीदारी करने पहुंचते हैं और बेहतर क्वालिटी के साथ सुंदर डिजाइन के कपड़े खरीद पाते हैं.



पोताला बाजार में दुकान लगाने वाले दुकानदारों और ग्राहकों ने बताया कि जगह नहीं मिलने के कारण इस वर्ष दुकानदारों को परेशानी जरूर हुई है. इसलिए सभी दुकानदारों ने इस वर्ष राजधानी के लालपुर और हटिया क्षेत्र में दो बाजार लगाया हैं.



दुकानदारों ने बताया कि रांची में बाजार लगाना उन्हें बहुत अच्छा लगता है. रांची के लोगों को भी उनके इस बाजार का इंतजार रहता है इसीलिए हर वर्ष किसी भी हालत में सभी दुकानदार अपना दुकान लगाने रांची जरूर पहुंचते हैं. गौरतलब है कि रांची के इस बाजार में सिर्फ सामान ही सस्ते में नहीं मिलते बल्कि दो प्रदेशों के लोग एक दूसरे के साथ अपनी संस्कृति और भावनाओं का भी आदान प्रदान करते हैं.

रांची: ठंड का मौसम आते ही ऊनी कपड़ों का बाजार सजने लगता है, लोग ऊनी कपड़े की खरीदारी शुरू कर देते हैं. राजधानी रांची में भी ऊनी कपड़ों के लिए प्रसिद्ध पोतला मार्केट सज चुका है (Market for wollen clothes Shooping in Ranchi). जहां बाहर से आए कारोबारी अपना स्टॉल लगाकर सामान बेचते नजर आ रहे हैं.

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पोताला मार्केट राजधानी का सबसे प्रसिद्ध बाजार है (Potla Market of Ranchi). यह बाजार साल में एक बार लगता है. इस बाजार में स्टॉल लगाने वाले ज्यादा व्यापारी वैसे हैं जो मूलतः तिब्बत के रहने वाले हैं और वर्ष 1959 से ही शरणार्थी के रूप में भारत के हिमाचल प्रदेश में रह रहे हैं.

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पोतला बाजार में अपना स्टॉल लगाकर ऊनी कपड़े बेच रहे त्शरिंग थिनले (Tsring Thinley) बताते हैं कि वे लोग वर्ष 1959 में ही शरणार्थी के रूप में भारत आए थे. भारत पहुंचने के बाद इन लोगों ने अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए रांची का रुख किया. पिछले कई दशक से हिमाचल से तिब्बतियन समाज झारखंड की राजधानी रांची में पहुंचकर बाजार लगाते हैं और यहां पर हुए कारोबार से अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.


त्शरिंग थिनले बताते हैं कि पिछले कई वर्षों से कचहरी स्थित जयपाल सिंह स्टेडियम में यह बाजार लगता था. जहां पर लाखों की संख्या में लोग आकर सामान खरीदते थे. लेकिन पिछले दो वर्षों से नगर निगम और जिला प्रशासन की तरफ से जयपाल सिंह स्टेडियम में बाजार लगाने की अनुमति नहीं मिल रही है. जिस वजह से उन्हें लालपुर और हटिया क्षेत्र में बाजार लगाना पड़ रहा है.



हिमाचल प्रदेश से बाजार लगाने पहुंची डीचेन बताती हैं कि पिछले 2 वर्षों से कोरोना के कारण अच्छे तरीके से बाजार नहीं लगा पाते थे. जिस वजह से उन्हें कारोबार में भी नुकसान हुआ लेकिन इस साल उन्हें बेहतर मौका मिला है. दो साल के बाद इस वर्ष सभी व्यापारी यह उम्मीद जता रहे हैं कि इस साल ज्यादा से ज्यादा लोग खरीदारी करने पहुंचेंगे इसलिए सभी कारोबारी ज्यादा से ज्यादा संख्या में और बेहतर डिजाइन के कपड़े लेकर बाजार लगाने पहुंचे हैं.



वहीं बाजार में पहुंचे ग्राहकों ने बताया कि पोताला मार्केट एक ऐसा बाजार है जहां पर गरीब से गरीब और अमीर से अमीर लोग खरीदारी करने पहुंचते हैं. इस बाजार में मध्यम वर्ग के परिवार भी खरीदारी करने पहुंचते हैं और बेहतर क्वालिटी के साथ सुंदर डिजाइन के कपड़े खरीद पाते हैं.



पोताला बाजार में दुकान लगाने वाले दुकानदारों और ग्राहकों ने बताया कि जगह नहीं मिलने के कारण इस वर्ष दुकानदारों को परेशानी जरूर हुई है. इसलिए सभी दुकानदारों ने इस वर्ष राजधानी के लालपुर और हटिया क्षेत्र में दो बाजार लगाया हैं.



दुकानदारों ने बताया कि रांची में बाजार लगाना उन्हें बहुत अच्छा लगता है. रांची के लोगों को भी उनके इस बाजार का इंतजार रहता है इसीलिए हर वर्ष किसी भी हालत में सभी दुकानदार अपना दुकान लगाने रांची जरूर पहुंचते हैं. गौरतलब है कि रांची के इस बाजार में सिर्फ सामान ही सस्ते में नहीं मिलते बल्कि दो प्रदेशों के लोग एक दूसरे के साथ अपनी संस्कृति और भावनाओं का भी आदान प्रदान करते हैं.

Last Updated : Nov 4, 2022, 2:11 PM IST
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