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रांची के कई गांव मूलभूत सुविधाओं से महरूम, सीएम हाउस से महज 3 किमी दूर है ये गांव

राजधानी रांची में मुख्यमंत्री आवास से महज 3 किलोमीटर स्थित दर्जनों गांव मूलभूत सुविधा से महरूम हैं. यहां ग्रामीण जान हथेली पर रखकर शहर तक का करते सफर हैं. इतना वक्त गुजर गया लेकिन आज तक इस गांव पर किसी जनप्रतिनिधि और ना ही महकमे की मेहर हुई.

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बदहाल गांव
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Published : Dec 1, 2020, 2:10 PM IST

रांचीः राजधानी रांची में कांके विधानसभा के कांके प्रखंड के जयपुर पंचायत के दर्जनों गांव जन सुविधाओं का मुद्दा राजनीतिक चुनावी मुद्दे के बिछड़ गया है. विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन बीजेपी सरकार ने ग्रामीणों को विकास से जुड़ने के लिए पक्की सड़क का सपना दिखाया था. उन सपनों को अब तक साकार नहीं किया जा सका है. आलम यह है कि मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी होने के बावजूद दर्जनों गांव के ग्रामीण विकास से दूर हो गए हैं.

SPECIAL REPORT: गांव की बदहाली की पूरी रिपोर्ट

चुनावी मुद्दा ही बनकर रह गया पुल

साल 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी चुनावी लाभ लेने के लिए ग्रामीणों से पुल बनाने का वादा किया था, जिसका ग्रामीणों ने सहयोग दिया, लोगों का जनसमर्थन हासिल करने के लिए तत्कालीन बीजेपी सरकार ने पुल का निर्माण कार्य तो शुरू किया. फिर उसे आधा-अधूरा ही छोड़ दिया गया. जिससे ग्रामीणों का सीधा संपर्क शहर से टूट गया. पिछले 1 साल से भी अधिक समय से इस क्षेत्र की ग्राम जान हथेली में रखकर जर्जर सड़क से आवागमन करने को मजबूर है. यह मुख्य सड़क है जो कई गांव को शहर से जोड़ती है. कई दशकों से यहां पोल और पक्की सड़क थी, जिससे आवागमन करने में ग्रामीणों को कोई परेशानी नहीं हो रही थी. बावजूद पुराना पुल तोड़कर करोड़ों की लागत से नई पुलिया का निर्माण कार्य शुरू किया था, जो राजनीति की भेंट चढ़ गया है.

लोगों ने खुद से बनाया काम चलाऊ सड़क

सड़क स्थानीय लोगों ने खुद के अंशदान और श्रमदान से काम चलाऊ सड़क बनाई है जो आज जर्जर हालत में है. ग्रामीण जान हथेली में रखकर आवागमन करने को मजबूर हैं. जिसकी वजह से आए दिन घटना दुर्घटना घटती रहती है. ग्रामीणों की परेशानी उस वक्त 2 गुना बढ़ जाती है, जब किसी मरीज को अस्पताल ले जाना होता है. पर अब तक इसके जिम्मेदार विभाग और ना जनप्रतिनिधि कोई ठोस पहल नहीं कर रही है, इससे ग्रामीणों की परेशानी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.

शिकायतों के बाद भी कोई नहीं सुन रहा

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को अगर पुलिया का निर्माण नहीं कर आना था, तो पुराना पुलिया को क्यों तोड़ा. ग्रामीणों का कहना है कि इसको लेकर कई बार जनप्रतिनिधि को भी लिखित शिकायत की गई है लेकिन ना तो सरकार सुनती है और ना ही स्थानीय जनप्रतिनिधि.

इसे भी पढ़ें- रांचीः नगर निगम की लापरवाही दे रही मौत को दावत, खुले नालों की कोई ठोस व्यवस्था नहीं


विधायक ने दिया भरोसा

मुख्यमंत्री आवास के नजदीक जयपुर पंचायत के दर्जनों गांव के साथ भेदभाव हो रहा है. ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा से महरूम रखा जा रहा है. दरअसल यह जगह शहरी और ग्रामीण इलाका का बॉर्डर है. एक इलाका ग्रामीण क्षेत्र में पड़ता है तो दूसरा इलाका नगर निगम का क्षेत्र में आता है. नगर निगम क्षेत्र में चमचमाती पक्की सड़क बना दी गई है लेकिन गांव को इससे दूर रखा गया है.

आधा-अधूरा बनी पुलिया को लेकर कांके विधानसभा के विधायक समरी लाल ने पुल का निर्माण में कार्य पूरा नहीं होने पर सूबे की महागठबंधन सरकार पर लगाते हुए कहा कि मौजूदा सरकार सभी विकास के कार्य को वर्तमान में रोक दिया है जिसकी वजह से लोग जान हथेली में आवागमन कर रहे हैं. ग्रामीणों की शिकायत मिली है, जल्दी विभाग इसकी जानकारी लेकर संवेदक को बुलाकर काम शुरू कराया जाएगा.

दुर्भाग्य है कि विकास की दावा करने वाले दशकों से बीजेपी विधायक और सांसद क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. बावजूद इसके ग्रामीणों की समस्या को दूर नहीं किया जा सका है. चुनावी लाभ लेने के पास हमेशा से गांव की जन समस्याओं को भुला दिया जाता है और जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है. ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा के जनप्रतिनिधियों और विभाग के पास चक्कर लगाना पड़ता है.

रांचीः राजधानी रांची में कांके विधानसभा के कांके प्रखंड के जयपुर पंचायत के दर्जनों गांव जन सुविधाओं का मुद्दा राजनीतिक चुनावी मुद्दे के बिछड़ गया है. विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन बीजेपी सरकार ने ग्रामीणों को विकास से जुड़ने के लिए पक्की सड़क का सपना दिखाया था. उन सपनों को अब तक साकार नहीं किया जा सका है. आलम यह है कि मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी होने के बावजूद दर्जनों गांव के ग्रामीण विकास से दूर हो गए हैं.

SPECIAL REPORT: गांव की बदहाली की पूरी रिपोर्ट

चुनावी मुद्दा ही बनकर रह गया पुल

साल 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी चुनावी लाभ लेने के लिए ग्रामीणों से पुल बनाने का वादा किया था, जिसका ग्रामीणों ने सहयोग दिया, लोगों का जनसमर्थन हासिल करने के लिए तत्कालीन बीजेपी सरकार ने पुल का निर्माण कार्य तो शुरू किया. फिर उसे आधा-अधूरा ही छोड़ दिया गया. जिससे ग्रामीणों का सीधा संपर्क शहर से टूट गया. पिछले 1 साल से भी अधिक समय से इस क्षेत्र की ग्राम जान हथेली में रखकर जर्जर सड़क से आवागमन करने को मजबूर है. यह मुख्य सड़क है जो कई गांव को शहर से जोड़ती है. कई दशकों से यहां पोल और पक्की सड़क थी, जिससे आवागमन करने में ग्रामीणों को कोई परेशानी नहीं हो रही थी. बावजूद पुराना पुल तोड़कर करोड़ों की लागत से नई पुलिया का निर्माण कार्य शुरू किया था, जो राजनीति की भेंट चढ़ गया है.

लोगों ने खुद से बनाया काम चलाऊ सड़क

सड़क स्थानीय लोगों ने खुद के अंशदान और श्रमदान से काम चलाऊ सड़क बनाई है जो आज जर्जर हालत में है. ग्रामीण जान हथेली में रखकर आवागमन करने को मजबूर हैं. जिसकी वजह से आए दिन घटना दुर्घटना घटती रहती है. ग्रामीणों की परेशानी उस वक्त 2 गुना बढ़ जाती है, जब किसी मरीज को अस्पताल ले जाना होता है. पर अब तक इसके जिम्मेदार विभाग और ना जनप्रतिनिधि कोई ठोस पहल नहीं कर रही है, इससे ग्रामीणों की परेशानी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.

शिकायतों के बाद भी कोई नहीं सुन रहा

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को अगर पुलिया का निर्माण नहीं कर आना था, तो पुराना पुलिया को क्यों तोड़ा. ग्रामीणों का कहना है कि इसको लेकर कई बार जनप्रतिनिधि को भी लिखित शिकायत की गई है लेकिन ना तो सरकार सुनती है और ना ही स्थानीय जनप्रतिनिधि.

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विधायक ने दिया भरोसा

मुख्यमंत्री आवास के नजदीक जयपुर पंचायत के दर्जनों गांव के साथ भेदभाव हो रहा है. ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा से महरूम रखा जा रहा है. दरअसल यह जगह शहरी और ग्रामीण इलाका का बॉर्डर है. एक इलाका ग्रामीण क्षेत्र में पड़ता है तो दूसरा इलाका नगर निगम का क्षेत्र में आता है. नगर निगम क्षेत्र में चमचमाती पक्की सड़क बना दी गई है लेकिन गांव को इससे दूर रखा गया है.

आधा-अधूरा बनी पुलिया को लेकर कांके विधानसभा के विधायक समरी लाल ने पुल का निर्माण में कार्य पूरा नहीं होने पर सूबे की महागठबंधन सरकार पर लगाते हुए कहा कि मौजूदा सरकार सभी विकास के कार्य को वर्तमान में रोक दिया है जिसकी वजह से लोग जान हथेली में आवागमन कर रहे हैं. ग्रामीणों की शिकायत मिली है, जल्दी विभाग इसकी जानकारी लेकर संवेदक को बुलाकर काम शुरू कराया जाएगा.

दुर्भाग्य है कि विकास की दावा करने वाले दशकों से बीजेपी विधायक और सांसद क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. बावजूद इसके ग्रामीणों की समस्या को दूर नहीं किया जा सका है. चुनावी लाभ लेने के पास हमेशा से गांव की जन समस्याओं को भुला दिया जाता है और जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है. ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा के जनप्रतिनिधियों और विभाग के पास चक्कर लगाना पड़ता है.

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