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मोदी सरकार के बड़े फैसलों में 'की-रोल' में झारखंड के कई IAS अधिकारी, 370 और शिक्षा नीति से रहा सीधा जुड़ाव

झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारियों ने मोदी कार्यकाल में लिए गए बड़े फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पहला निर्णय जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाने से जुड़ा हुआ रहा. वहीं, दूसरा फैसला नई शिक्षा नीति, 2020 से जुड़ा है.

Jharkhand cadre officers Rajiv Gauba and Amit Khare
झारखंड कैडर के अधिकारी राजीव गौबा और अमित खरे
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Published : Jul 31, 2020, 3:46 PM IST

Updated : Jul 31, 2020, 7:48 PM IST

रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी एनडीए 2.0 के कार्यकाल में अब तक लिए गए दो महत्वपूर्ण निर्णय में झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पहला निर्णय जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाने से जुड़ा हुआ रहा. वहीं, दूसरा फैसला नई शिक्षा नीति, 2020 से जुड़ा है. देश के लोकतांत्रिक इतिहास में यह दोनों निर्णय चर्चा का विषय बना हुआ है. सबसे बड़ी बात यह है कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरी बार देश की कमान संभाली और इस तरह के निर्णय लिए, उस दौरान झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी 'की-रोल' में रहे. जम्मू कश्मीर से जब 370 हटाने का निर्णय जब केंद्र सरकार ने लिया तब 1982 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी राजीव गौबा गृह सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे थे. वहीं, जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 बनी तब केंद्र में मानव संसाधन मंत्रालय में 1985 कैडर के झारखंड कैडर के अधिकारी अमित खरे की महत्वपूर्ण भूमिका है. खरे के पास ना केवल उच्च शिक्षा बल्कि स्कूली शिक्षा विभाग की भी जिम्मेदारी थी.

Jharkhand cadre officers Rajiv Gauba and Amit Khare
झारखंड कैडर के अधिकारी राजीव गौबा और अमित खरे

ये भी पढ़ें: राजधानी में एएसआई कामेश्वर रविदास की हत्या से सनसनी, एक गिरफ्तार

पूर्ववर्ती सरकार में मुख्य सचिव थे गौबा
झारखंड कैडर के अधिकारी राजीव गौबा प्रदेश में पूर्ववर्ती बीजेपी शासन काल में मुख्य सचिव रहे, उनके कार्यकाल की चर्चा अभी भी स्टेट ब्यूरोक्रेसी में की जाती है. इतना ही नहीं मुख्य सचिव के पद से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए राजीव गौबा शहरी विकास मंत्रालय में भी काफी सक्रिय भूमिका में रहे. वहीं, 1985 बैच के आईएएस अधिकारी अमित खरे झारखंड में अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं. मुख्य रूप से एकीकृत बिहार में हुए चारा घोटाला को उजागर करने में खरे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हालांकि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार में वह राज्य के विकास आयुक्त भी रहे. नोटबंदी के दौरान उनके प्रयासों की वजह से राज्य में आम लोगों को काफी कम परेशानियां झेलनी पड़ी थी.

केंद्र में महत्वपूर्ण भूमिका में हैं झारखंड कैडर के ये अफसर
बता दें कि गौबा और खरे के अलावा भी झारखंड कैडर के कुछ ऐसे आईएएस अधिकारी हैं, जो फिलहाल केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. उनमें सबसे पहला नाम एनएन सिन्हा का आता है. 1987 बैच के आईएएस अधिकारी सिन्हा को फिलहाल ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी. 1990 बैच के एमएस भाटिया और एसकेजी रहाटे भी फिलहाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. भाटिया 15वें वित्त आयोग में हैं, जबकि रहाटे और ऊर्जा विभाग में एडिशनल सेक्रेटरी के पद पर तैनात हैं. वहीं, निधि खरे भी उपभोक्ता मामले में एडिशनल सेक्रेटरी के पद पर हैं. 1993 बैच के आईएएस अधिकारी निधि, अमित खरे की पत्नी हैं. वहीं, 1995 बैच के अधिकारी सत्येंद्र सिंह केंद्र सरकार के खान मंत्रालय संयुक्त सचिव के पद पर तैनात हैं.

अमित खरे की रही अहम भूमिका

बता दें कि नई शिक्षा नीति 2020 को अमलीजामा पहनाने में उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. अमित खरे भारतीय प्रशासनिक सेवा के झारखंड कैडर के अधिकारी हैं. केंद्र सरकार ने उन्हें पिछले साल अक्टूबर में स्कूली शिक्षा विभाग और दिसंबर में उच्च शिक्षा विभाग का जिम्मा दिया था. उन्होंने मानव संसाधन मंत्रालय में तैनाती के साथ ही नई शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में तेजी से काम किया. विशेषज्ञों, राज्य सरकारों, पंचायत प्रतिनिधियों और आम लोगों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर एक ऐसी शिक्षा नीति को मूर्त रूप दिया है. इसमें भारतीय परंपराओं, संस्कृति और भाषा का ध्यान रखते हुए बदलते समाज की जरुरतों के हिसाब से बनाया गया है. नई शिक्षा नीति में बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल और जरूरी क्षमताओं को विकसित करने पर खास फोकस किया गया है. अमित खरे के लिए 34 साल बाद लागू हो रहे इस नीति को अंतिम रूप देना आसान नहीं था. उनके सामने एक मुकम्मल नीति तैयार करने की जिम्मेवारी थी. जो सभी के लिए उपयोगी हो सके.

रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी एनडीए 2.0 के कार्यकाल में अब तक लिए गए दो महत्वपूर्ण निर्णय में झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पहला निर्णय जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाने से जुड़ा हुआ रहा. वहीं, दूसरा फैसला नई शिक्षा नीति, 2020 से जुड़ा है. देश के लोकतांत्रिक इतिहास में यह दोनों निर्णय चर्चा का विषय बना हुआ है. सबसे बड़ी बात यह है कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरी बार देश की कमान संभाली और इस तरह के निर्णय लिए, उस दौरान झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी 'की-रोल' में रहे. जम्मू कश्मीर से जब 370 हटाने का निर्णय जब केंद्र सरकार ने लिया तब 1982 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी राजीव गौबा गृह सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे थे. वहीं, जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 बनी तब केंद्र में मानव संसाधन मंत्रालय में 1985 कैडर के झारखंड कैडर के अधिकारी अमित खरे की महत्वपूर्ण भूमिका है. खरे के पास ना केवल उच्च शिक्षा बल्कि स्कूली शिक्षा विभाग की भी जिम्मेदारी थी.

Jharkhand cadre officers Rajiv Gauba and Amit Khare
झारखंड कैडर के अधिकारी राजीव गौबा और अमित खरे

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पूर्ववर्ती सरकार में मुख्य सचिव थे गौबा
झारखंड कैडर के अधिकारी राजीव गौबा प्रदेश में पूर्ववर्ती बीजेपी शासन काल में मुख्य सचिव रहे, उनके कार्यकाल की चर्चा अभी भी स्टेट ब्यूरोक्रेसी में की जाती है. इतना ही नहीं मुख्य सचिव के पद से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए राजीव गौबा शहरी विकास मंत्रालय में भी काफी सक्रिय भूमिका में रहे. वहीं, 1985 बैच के आईएएस अधिकारी अमित खरे झारखंड में अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं. मुख्य रूप से एकीकृत बिहार में हुए चारा घोटाला को उजागर करने में खरे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हालांकि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार में वह राज्य के विकास आयुक्त भी रहे. नोटबंदी के दौरान उनके प्रयासों की वजह से राज्य में आम लोगों को काफी कम परेशानियां झेलनी पड़ी थी.

केंद्र में महत्वपूर्ण भूमिका में हैं झारखंड कैडर के ये अफसर
बता दें कि गौबा और खरे के अलावा भी झारखंड कैडर के कुछ ऐसे आईएएस अधिकारी हैं, जो फिलहाल केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. उनमें सबसे पहला नाम एनएन सिन्हा का आता है. 1987 बैच के आईएएस अधिकारी सिन्हा को फिलहाल ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी. 1990 बैच के एमएस भाटिया और एसकेजी रहाटे भी फिलहाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. भाटिया 15वें वित्त आयोग में हैं, जबकि रहाटे और ऊर्जा विभाग में एडिशनल सेक्रेटरी के पद पर तैनात हैं. वहीं, निधि खरे भी उपभोक्ता मामले में एडिशनल सेक्रेटरी के पद पर हैं. 1993 बैच के आईएएस अधिकारी निधि, अमित खरे की पत्नी हैं. वहीं, 1995 बैच के अधिकारी सत्येंद्र सिंह केंद्र सरकार के खान मंत्रालय संयुक्त सचिव के पद पर तैनात हैं.

अमित खरे की रही अहम भूमिका

बता दें कि नई शिक्षा नीति 2020 को अमलीजामा पहनाने में उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. अमित खरे भारतीय प्रशासनिक सेवा के झारखंड कैडर के अधिकारी हैं. केंद्र सरकार ने उन्हें पिछले साल अक्टूबर में स्कूली शिक्षा विभाग और दिसंबर में उच्च शिक्षा विभाग का जिम्मा दिया था. उन्होंने मानव संसाधन मंत्रालय में तैनाती के साथ ही नई शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में तेजी से काम किया. विशेषज्ञों, राज्य सरकारों, पंचायत प्रतिनिधियों और आम लोगों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर एक ऐसी शिक्षा नीति को मूर्त रूप दिया है. इसमें भारतीय परंपराओं, संस्कृति और भाषा का ध्यान रखते हुए बदलते समाज की जरुरतों के हिसाब से बनाया गया है. नई शिक्षा नीति में बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल और जरूरी क्षमताओं को विकसित करने पर खास फोकस किया गया है. अमित खरे के लिए 34 साल बाद लागू हो रहे इस नीति को अंतिम रूप देना आसान नहीं था. उनके सामने एक मुकम्मल नीति तैयार करने की जिम्मेवारी थी. जो सभी के लिए उपयोगी हो सके.

Last Updated : Jul 31, 2020, 7:48 PM IST

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