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जियो टैगिंग में कई प्रखंड गायब, पीएम आवास प्लस योजना के लाभुक प्रभावित, MORD को है जानकारी

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Published : Dec 15, 2021, 8:27 PM IST

झारखंड के कई प्रखंड हैं जो जियो टैगिंग में गायब है. पीएम आवास प्लस योजना के लाभुक इससे प्रभावित हो रहे हैं. इसकी सूचना केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग को दी जा चुकी है. लेकिन इस समस्या को सुलझाने में किए जा रहे विलंब का खामियाजा लाभुकों को झेलना पड़ रहा है.

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रांची: धनबाद, पूर्वी सिंहभूम और गोड्डा के कई प्रखंड ऐसे हैं जिनका नक्शा जियो टैगिंग पर उपलब्ध नहीं है. इसकी वजह से लाभुकों को पीएम आवास प्लस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

ये भी पढ़ें- PM Awas Yojana: दो हजार लाभुकों का गृह प्रवेश, सम्मानित हुए 13 प्रखंडों के 65 लोग

दरअसल, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने साल 2018-19 में सर्वे कराया था. इसका मकसद था वैसे जरूरतमंदों को चिन्हित करना जिनका नाम एसईसीसी यानी सोसियो इकोनॉमिक कास्ट सेंसस में छूट गया था. इसकी वजह से बड़ी संख्या में जरूरतमंदों को पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था. इस सर्वे के आधार पर 12 लाख लाभुक जोड़े गए थे. इन लोगों का डिटेल वेबलिंक और मोबाइल एप से जोड़ा गया था लेकिन किसी तकनीकी वजह से जियो टैगिंग नहीं हो पाया. इसकी वजह से अप्रैल 2021 से धनबाद, पूर्वी सिंहभूम और गोड्डा के कुछ प्रखंडों के लाभुकों को लाभ नहीं मिल पा रहा है.

ईटीवी भारत को मिली जानकारी के मुताबिक इसकी सूचना केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग को दी जा चुकी है. लेकिन इस समस्या को सुलझाने में किए जा रहे विलंब का खामियाजा लाभुकों को झेलना पड़ रहा है. खास बात है कि पीएम आवास प्लस योजना के तहत वर्ष 2021-22 के लिए 4.03 लाख लाभुकों को आवास मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है.

आपको बता दें कि झारखंड में 2011 के सर्वे में एसईसीसी के तहत 19 लाख लाभुक चयनित हुए थे. बाद में स्क्रिनिंग के दौरान 12 लाख लाभुकों की सूची तैयार हुई थी. लेकिन अक्सर शिकायत मिलती थी कि बहुत से लाभुकों को सूची में नहीं जोड़ा जा सका है. इसके मद्देनजर केंद्र सरकार की पहल पर 2018-19 में सर्वे कर नई सूची तैयार की गई थी. सूत्रों ने बताया कि इस मामले को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के दोनों विभागों के पदाधिकारियों के बीच कई बार चर्चा हो चुकी है. जल्द ही समस्या के समाधान की उम्मीद जतायी जा रही है.

रांची: धनबाद, पूर्वी सिंहभूम और गोड्डा के कई प्रखंड ऐसे हैं जिनका नक्शा जियो टैगिंग पर उपलब्ध नहीं है. इसकी वजह से लाभुकों को पीएम आवास प्लस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

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दरअसल, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने साल 2018-19 में सर्वे कराया था. इसका मकसद था वैसे जरूरतमंदों को चिन्हित करना जिनका नाम एसईसीसी यानी सोसियो इकोनॉमिक कास्ट सेंसस में छूट गया था. इसकी वजह से बड़ी संख्या में जरूरतमंदों को पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था. इस सर्वे के आधार पर 12 लाख लाभुक जोड़े गए थे. इन लोगों का डिटेल वेबलिंक और मोबाइल एप से जोड़ा गया था लेकिन किसी तकनीकी वजह से जियो टैगिंग नहीं हो पाया. इसकी वजह से अप्रैल 2021 से धनबाद, पूर्वी सिंहभूम और गोड्डा के कुछ प्रखंडों के लाभुकों को लाभ नहीं मिल पा रहा है.

ईटीवी भारत को मिली जानकारी के मुताबिक इसकी सूचना केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग को दी जा चुकी है. लेकिन इस समस्या को सुलझाने में किए जा रहे विलंब का खामियाजा लाभुकों को झेलना पड़ रहा है. खास बात है कि पीएम आवास प्लस योजना के तहत वर्ष 2021-22 के लिए 4.03 लाख लाभुकों को आवास मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है.

आपको बता दें कि झारखंड में 2011 के सर्वे में एसईसीसी के तहत 19 लाख लाभुक चयनित हुए थे. बाद में स्क्रिनिंग के दौरान 12 लाख लाभुकों की सूची तैयार हुई थी. लेकिन अक्सर शिकायत मिलती थी कि बहुत से लाभुकों को सूची में नहीं जोड़ा जा सका है. इसके मद्देनजर केंद्र सरकार की पहल पर 2018-19 में सर्वे कर नई सूची तैयार की गई थी. सूत्रों ने बताया कि इस मामले को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के दोनों विभागों के पदाधिकारियों के बीच कई बार चर्चा हो चुकी है. जल्द ही समस्या के समाधान की उम्मीद जतायी जा रही है.

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