रांची: एक तरफ कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया परेशान है, तो दूसरी तरफ इस बात पर चर्चा हो रही है कि क्या वाकई चीन के वुहान से निकला यह वायरस चमगादड़ की वजह से इंसानों में आया है. इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध भी चल रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आदिवासी बहुल झारखंड के कुछ लोग भी चमगादड़ को पकड़ कर न सिर्फ उससे जड़ी-बूटी तैयार करते हैं, बल्कि उसे खाते भी हैं ?
रांची यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और पर्यावरणविद् डॉ नीतीश प्रियदर्शी से ईटीवी भारत की टीम ने झारखंड के परिपेक्ष में चमगादड़ से जुड़े सवालों को लेकर बातचीत की. डॉक्टर नीतीश प्रियदर्शी ने इस मसले पर क्या कहा यह बताने से पहले आपको यह जानना जरूरी है, कि रांची के मोराबादी मैदान स्थित चिल्ड्रन पार्क में यूकेलिप्टस के पेड़ों पर सैकड़ों की संख्या में चमगादड़ झूल रहे हैं, जो कोरोना की वजह से कहीं न कहीं खौफ पैदा करते हैं. बंद पड़े इस पार्क में जब हमारी टीम अंदर गई तो पेड़ों पर झूलते चमगादड़ को देखकर सन्न रह गयी. यहां एक दो चमगादड़ नहीं बल्कि दर्जनों पेड़ों पर सैकड़ों की संख्या में चमगादड़ झूल रहे थे. पार्क के गार्ड ने बताया कि शाम के वक्त यही चमगादड़ उड़ने लगते हैं. हालांकि अभी तक यहां आने वाले किसी पर्यटक को इनसे कोई खतरा नहीं हुआ है.
इसे भी पढ़ें:- झारखंड में शुक्रवार को भी पाये गये 3 नए कोरोना के पॉजिटिव मरीज, कुल संख्या हुई 32
झारखंड में चमगादड़ पर रिसर्च की जरुरत
रांची यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और पर्यावरणविद डॉक्टर नीतीश प्रियदर्शी ने कहा कि वह ऐसे कई लोगों को जानते हैं, जिन्होंने उनसे खुद कहा है कि वह चमगादड़ खाते हैं. आमतौर पर लोगों में यह धारणा है कि चमगादड़ का मांस खाने से एंटीबॉडी मजबूत होता है, जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि चमगादड़ में वायरस मौजूद होता है, जिसकी वजह से अगर कोई चमगादर किसी इंसान को काटता है तो उसे एंटी रेबीज इंजेक्शन देना पड़ता है.
नागालैंड के मीमी गांव में चमगादड़ खाते हैं लोग
डॉक्टर नीतीश प्रियदर्शी ने कहा कि नागालैंड के एक गांव में चमगादड़ खाने की परंपरा रही है. इससे जुड़ा एक त्यौहार भी है जिसे लोग धूमधाम से मनाते हैं. कहा यह भी जाता है कि इस गांव के लोगों में किसी तरह की बीमारी नहीं होती जिस पर लोग शोध भी कर रहे हैं. उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि नागालैंड के इस गांव में चीन के वुहान से भी शोधकर्ता आए थै. ऐसी स्थिति में झारखंड में भी चमकादड़ पर रिसर्च करना बहुत जरूरी है.
पशु चिकित्सक डॉ अजय का सुझाव
रांची के ओरमांझी स्थित बिरसा मुंडा चिड़ियाघर में पदस्थापित डॉक्टर अजय ने कहा कि बहुत पहले आईसीएमआर की तरफ से एक रिसर्च रिपोर्ट आई थी, जिसमें झारखंड के 4 राज्यों का जिक्र था. इस रिपोर्ट में यह बताया गया था कि चमगादड़ में बैट वायरस मौजूद होता है. हालांकि कोरोनावायरस के साथ चमगादड़ के संबंध का कोई पुख्ता प्रमाण अब तक नहीं मिला है, लेकिन चूंकि झारखंड में बड़ी संख्या में चमगादड़ पाए जाते हैं लिहाजा इस पर शोध करना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि यह जानना जरूरी है कि झारखंड में चमगादड़ की कितनी प्रजातियां हैं और चमगादड़ खाने वालों इम्यून पर इसका किस तरह प्रभाव पड़ता है. फौरी तौर पर तो एक लैब टेस्ट कराना तो अत्यंत आवश्यक है.