रांचीः झारखंड में कुपोषण एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप में अभी-भी चिंता बढ़ा रहा है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की कुपोषण पर रिपोर्ट बताती है कि मामूली सुधार के बावजूद राज्य में 05 वर्ष से कम उम्र वाले 36 लाख 64 हजार बच्चों में से 42% यानि 15 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं तो उसमें भी 9.1% यानि 03 लाख के करीब बच्चे अति गंभीर कुपोषण के शिकार हैं.
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झारखंड में कुपोषण के आंकड़े चिंताजनक हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के अनुसार अति गंभीर कुपोषण की वजह से राज्य में बड़ी संख्या में बच्चों का ठीक ढंग से शारीरिक और मानसिक रूप से विकास नहीं हो पा रहा है. वहीं उनमें मृत्यु का खतरा भी सामान्य बच्चों से 11 गुणा तक अधिक हो जाता है. स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर SAM चाइल्ड के टेक्निकल कंसल्टेंट रीमा बताती हैं कि पहले से ही राज्य में कुपोषण की स्थिति गंभीर है और कोरोना की वजह से कुपोषण से होने वाले खतरे और करीब 14% अधिक बढ़ गए हैं.
क्या कहते हैं राज्य में कुपोषण के आंकड़ेः NFHS- 5 के अनुसार राज्य में सरायकेला-खरसावां में सबसे अधिक गंभीर कुपोषित बच्चे 23% हैं. वहीं खूंटी, रांची, पूर्वी सिंहभूम में 16.8% हैं. गिरिडीह में यह 14.5% है, पश्चिमी सिंहभूम में 12.9%, गोड्डा में 11.2%, दुमका में 11% और लोहरदगा में 10% बच्चे अति गंभीर रूप से कुपोषित हैं. अति गंभीर कुपोषित बच्चों के मामले में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 5 वर्ष तक के कुल बच्चों में से जहां 9.1% बच्चे अति गंभीर कुपोषण के शिकार हैं. वहीं बिहार में यह आंकड़ा 8.8%, ओड़िशा में 6.1%, छत्तीसगढ़ में 7.5% और पश्चिम बंगाल में 7.1% है.