रांचीः बिहार की तर्ज पर अब झारखंड में भी थानों के मालखाने के लिए अलग से पुलिस अफसर तैनात होंगे. झारखंड पुलिस मुख्यालय में इसको लेकर सहमति बन गई है और शीघ्र ही मालखाना प्रभारी को लेकर राज्य पुलिस मुख्यालय की ओर से अधिसूचना जारी की जाएगी.
यह भी पढ़ेंःझारखंड सीआईडी मुख्यालय में दोबारा कोरोना विस्फोट, 60 कर्मी पाए गए पॉजिटिव
दारोगा लालजी यादव की खुदकुशी के बाद झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने डीजीपी से मांग की थी कि थानेदारों को मालखाना प्रभारी के तौर पर दारोगा रैंक के अधिकारी की अलग से पोस्टिंग की जाए. एसोसिएशन की मांग पर पुलिस मुख्यालय में सहमति बन गई है और जल्द ही पुलिस मुख्यालय की ओर से अधिसूचना जारी होने की संभावना है. बता दें कि राज्यभर के थानों के मालखाने का प्रभार कनीय अफसरों को दे दिया जाता है. इससे काफी दिक्कतों का सामान करना पड़ता है. पुलिसकर्मियों का वेतन तो रोक ही दिया जाता है, रिटायरमेंट के बाद भी पुलिसकर्मियों को पेंशन मिलने में परेशानी होती है.
मालखाने के रखरखाव की जिम्मेदारी थानेदार की होती है. जबकि थानेदार के पास थाने का बहुत ज्यादा काम होता है. पुलिस एसोसिएसन ने तर्क दिया था कि मालखाने का रखरखाव नियमित होना चाहिए. लेकिन थानेदारों पर वर्क लोड अधिक होता है. जिससे मालखाने का रखरखाव ठीक से नहीं हो पाता है. जिला स्थानांतरित होने पर ऐसे अफसरों को एलसीपी नहीं मिला है और वेतन निकासी में भी परेशानी होती है.
पुलिस एसोसिएशन ने सुझाया था कि प्रत्येक थाने के मालखाना के लिए एक दारोगा स्तर के पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति मालखाना प्रभारी के तौर पर की जाए. एक थाने में दो साल मालखाना प्रभारी का काम करने के बाद ही उस पदाधिकारी को तीसरे साल पसंद के थाने में पोस्टिंग दी जाए. बिहार में प्रत्येक थाने में मालखाना प्रभारी की व्यवस्था है. पुलिस मुख्यालय से निलंबन के मामलों में भी नियम सम्मत कार्रवाइ की मांग एसोसिएशन ने की है. लालजी यादव के मामले में भी उच्चस्तरीय जांच के लिए डीजीपी को पत्र लिखा गया है.
पुलिसकर्मियों के बीच काम के बढ़ते तनाव और छुट्टियों से जुड़े मामलों में झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पत्राचार किया है. पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह और महामंत्री अक्षय कुमार राय ने राज्य के अलग अलग हिस्सों में पुलिस एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ बैठक की. एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी है कि पुलिसकर्मियों को त्योहारों में काम करना होता है. वहीं सरकार के दूसरे विभागों की तुलना में पुलिसकर्मियों को 48 शनिवार, 48 रविवार और 34 दिनों के राजपत्रित अवकाश मिलाकर 120 दिनों की अतिरिक्त सेवा देनी पड़ती है. प्रत्येक कार्य दिवस पर 12 से 16 घंटे का काम करना होता है. लेकिन 30 दिनों के वेतन के बदले 20 दिन की क्षतिपूर्ति अवकाश समान्त कर दिया गया. एसोसिएशन ने कहा है कि पुलिस विभाग में कार्यों के दबाव और कार्यों की प्रकृति की वजह से पुलिसकर्मी मानसिक दबाव में होते हैं. इस स्थिति में अवकाश नहीं मिलने पर अप्रिय घटनाएं यदाकदा हो जाती हैं.