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मार्क्सवाद में नक्सलवाद का कोई स्थान नहींः भाकपा (माले) - Naxalbari of West Bengal

वामपंथ के जनक कार्ल मार्क्स की बुधवार को 203वीं जयंती मनाई गई. उनकी जंयती के अवसर पर भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन कुमार ने कहा कि मार्क्सवाद में नक्सलवाद का कोई स्थान नहीं है.

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मार्क्सवाद में नक्सलवाद का कोई स्थान नहींः
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Published : May 5, 2021, 9:22 PM IST

Updated : May 5, 2021, 10:34 PM IST

रांचीः वामपंथ के जनक कार्ल मार्क्स की बुधवार को 203वीं जयंती मनाई गई. कार्ल मार्क्स की जयंती के अवसर पर ईटीवी संवाददाता भुवन किशोर झा ने माले के राज्य सचिव जनार्दन कुमार से खास बातचीत की है. पेश है रिपोर्टः-

माले के राज्य सचिव से बातचीत

यह भी पढ़ेंःगिरिडीहः कार्ल मार्क्स के विचार आज भी प्रासंगिक : भाकपा माले
जनार्दन कुमार कहते हैं कि पश्चित बंगाल के नक्सलबाड़ी से किसान विद्रोह के रूप में आंदोलन शुरू हुआ, जिसने अब नक्सलवाद का रूप ले लिया है. आज नक्सलवाद का विकृत रूप चल रहा है. माले के राज्य सचिव जनार्दन कुमार ने कहा कि नक्सलबाड़ी आंदोलन से ही माले का जन्म हुआ है, लेकिन हमारी विचारधारा अलग है. हथियार के बल पर कभी भी आंदोलन को नहीं जीता जा सकता और यह मार्क्सवाद नहीं है, बल्कि हम जनता के सवालों पर जन आंदोलन के जरिये हम बदलाव के लिए संघर्षरत हैं.

मार्क्सवाद का आज भी है औचित्य

जनार्दन कुमार ने कहा कि कितने राज्यों में मार्क्सवादियों का राज है या नहीं. इससे मार्क्सवाद का औचित्य तय नहीं किया जा सकता है. कोरोना संक्रमण काल में सबसे ज्यादा कम्युनिस्ट सेवाभाव से जुड़े हुए हैं. प. बंगाल में भाजपा को रोकने के लिए हमारा नारा था नो वोट टू भाजपा, जिसमें हम सफल हुए हैं. उन्होंने कहा कि कई जगहों पर वामपंथी पीछे जा रहे हैं, लेकिन महामारी के इस समय में भी केरल की जनता ने वामपंथियों को समर्थन दिया है. बिहार में भी पिछले चुनाव में वाम दलों ने अच्छी उपस्थिति दर्ज की है.

रांचीः वामपंथ के जनक कार्ल मार्क्स की बुधवार को 203वीं जयंती मनाई गई. कार्ल मार्क्स की जयंती के अवसर पर ईटीवी संवाददाता भुवन किशोर झा ने माले के राज्य सचिव जनार्दन कुमार से खास बातचीत की है. पेश है रिपोर्टः-

माले के राज्य सचिव से बातचीत

यह भी पढ़ेंःगिरिडीहः कार्ल मार्क्स के विचार आज भी प्रासंगिक : भाकपा माले
जनार्दन कुमार कहते हैं कि पश्चित बंगाल के नक्सलबाड़ी से किसान विद्रोह के रूप में आंदोलन शुरू हुआ, जिसने अब नक्सलवाद का रूप ले लिया है. आज नक्सलवाद का विकृत रूप चल रहा है. माले के राज्य सचिव जनार्दन कुमार ने कहा कि नक्सलबाड़ी आंदोलन से ही माले का जन्म हुआ है, लेकिन हमारी विचारधारा अलग है. हथियार के बल पर कभी भी आंदोलन को नहीं जीता जा सकता और यह मार्क्सवाद नहीं है, बल्कि हम जनता के सवालों पर जन आंदोलन के जरिये हम बदलाव के लिए संघर्षरत हैं.

मार्क्सवाद का आज भी है औचित्य

जनार्दन कुमार ने कहा कि कितने राज्यों में मार्क्सवादियों का राज है या नहीं. इससे मार्क्सवाद का औचित्य तय नहीं किया जा सकता है. कोरोना संक्रमण काल में सबसे ज्यादा कम्युनिस्ट सेवाभाव से जुड़े हुए हैं. प. बंगाल में भाजपा को रोकने के लिए हमारा नारा था नो वोट टू भाजपा, जिसमें हम सफल हुए हैं. उन्होंने कहा कि कई जगहों पर वामपंथी पीछे जा रहे हैं, लेकिन महामारी के इस समय में भी केरल की जनता ने वामपंथियों को समर्थन दिया है. बिहार में भी पिछले चुनाव में वाम दलों ने अच्छी उपस्थिति दर्ज की है.

Last Updated : May 5, 2021, 10:34 PM IST
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