रांचीः झारखंड को नक्सलवाद नासूर के रूप में मिला. राज्य गठन के बाद नक्सलियों का आतंक बढ़ा ही. कई बार नक्सली हमले में कई जवानों को अपनी जान गवानी पड़ी तो कई जवान घायल भी हुए हैं. हालांकि सरकार की नीति और पुलिस की कार्रवाई की वजह से धीरे-धीरे नक्सलवाद का सफाया हो रहा है. फिर भी नक्सली छिटपुट घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं. ऐसी ही घटना घटी बुधवार को, जब नकस्लियों के बिछाए आईईडी के ब्लास्ट होने से चाईबासा में सीआरपीएफ के छह जवान घायल हो गए. आइए एक नजर डालते हैं झारखंड में हुए अब तक के बड़े नक्सली हमले पर
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11 जनवरी 2023 यानि बुधवार को झारखंड के चाईबासा में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान आईईडी विस्फोट में सीआरपीएफ के 6 जवान घायल हो गए. सभी को एयरलिफ्ट कर रांची इलाज के लिए लाया गया. जहां सभी की हालत खतरे से बाहर है. इससे पहले 18 नवंबर 2022 को नक्सल विरोधी अभियान के दौरान लातेहार में माओवादियों द्वारा लगाए गए 120 आईईडी को बरामद किया गया था. बुढ़ा पहाड़ इलाके में माओवादियों की नापाक साजिश को सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया.
28 मई 2019 को सरायकेला में माओवादियों के हमले में 11 सुरक्षकर्मी घायल हो गए थे. 27 जून 2018 को गढ़वा में माओवादियों के हमले में झारखंड जगुआर के 6 जवान शहीद हो गए थे. 27 जनवरी 2016 में पलामू में नक्सली हमले में सात पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. 2 जुलाई 2013 में दुमका में माओवादियों के हमले में एसपी समेत 6 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. 21 जनवरी 2012 में गढ़वा के बारीगंवा जंगल के पास नक्सलियों द्वारा किए गए विस्फोट में भंडरिय थाना प्रभारी समेत 13 पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे, जबकि दो अन्य घायल हुए थे.
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3 दिसंबर 2011 में लातेहार में माओवादियों ने सांसद इंदर सिंह नामधारी के काफिले पर हमला किया था. जिसमें 11 पुलिसकर्मी और नागरिक की मौत हो गई थी. 16 जुलाई 2010 को माओवादियों के बिछाए बारुदी सुरंग विस्फोट में 5 पुलिसकर्मी शहीद हुुए थे. 10 जून 2009 को सारंडा में सर्च के दौ रात जवानों पर नक्सिलयों पर हमला किया. 16 जून 2009 को माओवादियों ने बारुदी सुरंग में विस्फोट कर 11 पुलिस की हत्या कर दी. एक अन्य हमले में पलामू में 4 पुलिसकर्मी मारे गए जबकि दो गंभीर रूप से घायल हो गए.
1 जून 2006 को पश्चिम सिंहभूम में माओवादियों के हमले में 12 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई. 7 अप्रैल 2004 में पश्चिम सिंहभूम जिले में हुई मुठभेड़ और नक्सलियो के सीरियल ब्लास्ट में 26 पुलिसकर्मी शहीद हो गए. 20 दिसंबर 2002 में पश्चिम सिंहभूम के मनोहरपुर में माओवादियों ने घात लगाकर हमला किया. जिसमें 18 पुलिसकर्मी शहीद हो गए, जबकि 20 घायल हो गए. 8 मई 2002 में कोडरमा में एमसीसी और पीपुल्स वार ग्रुप के नक्सलियों ने गश्ती वाहन को उड़ा दिया. जिसमें 14 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई, जबिक 10 घायल हो गए.
4 फरवरी 2002 को चतरा के जोरीघाट में एमसीसी ने हमला कर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी. 19 दिसंबर 2001 में पश्चिम सिंहभूम के बिटकिलसोया मे 19 पुलिसकर्मी मारे गए. 31 अक्टूबर 2001 में एमसीसी के हमले में तोपचांची में झारखंड मिलिट्री पुलिस के 12 सिपाही समेत 13 लोग मारे गए. जबकि 4 गंभीर रूप से घायल हो गए.