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कोई यूं ही नहीं बन जाता माही, कामयाबी के लिए करनी पड़ती है कड़ी मेहनत

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Published : Jul 7, 2020, 5:13 AM IST

Updated : Jul 7, 2020, 10:08 AM IST

महेंद्र सिंह धोनी का आज 39वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस अवसर पर उनके प्रशंसक उन्हें ढेर सारी शुभाकामनाएं दे रहे हैं. रांची के राजकुमार के प्रशंसक उन्हें जल्द नीली जर्सी में देखना चाहते हैं. उनके जन्मदिन के अवसर पर ईटीवी भारत की ओर से भी उन्हें ढेर सारी शुभाकामनाएं.

Mahendra Singh Dhoni is celebrating 38th birthday
माही का 38वां जन्मदिन

रांची: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ. माही यूं ही महेंद्र सिंह धोनी नहीं बने. महेंद्र सिंह धोनी ने हर उस परेशानी को झेला है जो एक लोअर मिडल क्लास के घर का लड़का झेलता है. वह चाहे स्कूल फीस के लिए क्लास में खड़ा करवाने की बात हो, या फिर नई शर्ट लेने की जिद पूरी होने में 10 दिन का समय लगना हो. आज पान सिंह धोनी और देवकी देवी के बेटे महेंद्र सिंह धोनी का जन्मदिन है. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 39वां जन्मदिवस मना रहे हैं.

देखें पूरी खबर

7 नंबर माही के लिए है लकी

नंबर सेवन, महेंद्र सिंह धोनी का लकी नंबर है और उनका जन्मदिन भी 7 जुलाई को ही है और यह दिन महेंद्र सिंह धोनी के फैंस के लिए भी काफी खास है. एमएस धोनी क्रिकेट जगत का वह नाम है, जिसे कोई भूल नहीं सकता. सब कुछ कर गुजरने का जोश और जज्बा हो, आत्मविश्वास सातवें आसमान पर हो तो कुछ भी किया जा सकता है. महेंद्र सिंह धोनी ऐसे ही भारतीय क्रिकेट टीम के सफल कप्तान नहीं बने. एक छोटे शहर से गली-मुहल्लों में क्रिकेट खेलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच जाना इतना आसान नहीं है. माही से महेंद्र सिंह धोनी का सफर तय करने में उन्होंने कड़ी मेहनत की. मैदान में धोनी के हर फैसले को हर क्रिकेटर और क्रिकेट प्रेमियों ने सराहा है. केप्टन कुल के नाम से नवाजे गए महेंद्र सिंह धोनी ने E-25 क्वार्टर से निकलकर आज सिमलिया स्थित कई एकड़ में बसे फार्म हाउस तक का सफर तय किया है.

7 जुलाई को हुआ था माही का जन्म

7 जुलाई 1981 को रांची में जन्मे महेंद्र सिंह धोनी ने हर उस परेशानी को झेला है, जो एक मिडिल क्लास के घर का बच्चा झेलता है. उत्तराखंड से आकर रांची में बसे उनके पिता पान सिंह की कमाई बस इतनी ही थी कि वह 5 सदस्यीय परिवार को चला सके और यह जितना आसान रील लाइफ में देख कर लगता है वह रियल लाइफ में नहीं है. महेंद्र सिंह धोनी अपने दम पर अपने प्रदर्शन के बदौलत विश्व के शिखर तक पहुंचे हैं और आज अंतरराष्ट्रीय पटल पर उनके नाम का डंका बजता है.

महेंद्र सिंह धोनी फुटबॉलर से बने क्रिकेटर

कभी पीछे मुड़कर नहीं देखने वाले माही ने अपने जीवन में खेल की शुरुआत स्कूल टीम के साथ की थी. फुटबॉल के गोलकीपर महेंद्र सिंह धोनी कब क्रिकेट के बेहतरीन विकेटकीपर बन गए यह उनके स्कूल टाइम के कोच ही जानते हैं. वहीं उनके जानने वाले और 1996 से लेकर 2004 तक कोच रहे चंचल भट्टाचार्य भी उनके सभी खूबियों को बखूबी जानते हैं. मेकॉन स्थित H-122 क्वार्टर में सबसे पहले महेंद्र सिंह धोनी अपने पूरे परिवार के साथ रहने आए थे. हालांकि इस क्वार्टर में ज्यादा दिनों तक वो नहीं रहे. वो बहुत जल्द ही E-25 में शिफ्ट हो गए. इसी क्वार्टर से उनका क्रिकेट का सफर शुरू हुआ था.

23 दिसंबर 2004 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में रखा कदम

डीएवी श्यामली स्कूल ग्राउंड से शुरू होकर मेकॉन स्टेडियम, हरमू मैदान और झारखंड के सभी मैदानों में गली-कूचों में खेल चुके महेंद्र सिंह धोनी का इंटरनेशनल क्रिकेट में 23 दिसंबर 2004 को पदार्पण हुआ. उन्होंने 2004 में बांग्लादेश के विरुद्ध वनडे मैच खेला था. वहीं T20 में उनका पदार्पण 1 दिसंबर 2006 में हआ था. दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध उस मैच में धोनी खेले थे. जैसे-जैसे महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट में सफल होते गए उनका क्रिकेट करियर का ग्राफ भी परवान चढ़ता गया और फिर महेंद्र सिंह धोनी ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा. हर मैच और टूर्नामेंट को जितना माही का लक्ष्य था. स्कूल टाइम से ही महेंद्र सिंह धोनी को जीत की लालच थी, चाहे वह सपाट मैदान हो, स्टेडियम हो, या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम. एक के बाद एक टूर्नामेंट और मैच को जितना महेंद्र सिंह धोनी का लक्ष्य बनता गया और लक ने भी हमेशा उनका साथ दिया.

माही को लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि

महेंद्र सिंह धोनी मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि भी प्राप्त कर चुके हैं. पद्म भूषण, पद्म श्री, राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी माही सम्मानित हो चुके हैं. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और भारत के सबसे सफल एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय कप्तान रह चुके धोनी भारतीय एकदिवसीय टीम के सबसे कुल कप्तानों में से जाने जाते हैं. महेंद्र सिंह धोनी की बैडमिंटन और फुटबॉल में भी रुचि थी. महेंद्र सिंह धोनी ने डीएवी श्यामली से पढ़ाई की है. जो वर्तमान में जवाहर विद्या मंदिर के से नाम से जाना जाता है. माही ने इंटर स्कूल प्रतियोगिता में बैडमिंटन और फुटबॉल में स्कूल का प्रतिनिधित्व भी किया था, जहां उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था. इस कारण वे जिला और क्लब लेवल में चुने गए थे.

फुटबॉल में धोनी रह चुके हैं गोलकीपर

धोनी अपने फुटबॉल टीम के गोलकीपर भी रह चुके हैं, लोकल क्रिकेट क्लब में क्रिकेट खेलने के लिए उनके फुटबॉल कोच ने भेजा था. हालांकि उन्होंने कभी क्रिकेट नहीं खेला था, फिर भी धोनी ने अपने विकेट कीपिंग के कौशल से सबको प्रभावित किया और कमांडो क्रिकेट क्लब के 1994 से 1998 में नियमित विकेटकीपर बने. 1997- 98 सीजन के विनू मांकड़ ट्रॉफी अंडर-16 चैंपियनशिप में चुने गए, जहां उन्होंने उम्दा प्रदर्शन किया. दसवीं कक्षा के बाद ही धोनी ने क्रिकेट की ओर विशेष ध्यान दिया और बाद में वे एक अच्छे विकेटकीपर बनकर उभरे.

रेलवे में निभाई टीटीई की भूमिका

साल 2003 में धोनी ने खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन टिकट चेकर के तौर पर भी काम किया. धोनी ने अपने प्रोफेशनल क्रिकेट कैरियर की शुरुआत सन 1998 में बिहार अंडर-19 टीम से की. 1999 -2000 में धोनी ने बिहार रणजी टीम में खेलकर अपना पदार्पण किया. देवधर ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी, इंडिया ए टूर में गए. जहां अपने प्रदर्शन के बदौलत उन पर राष्ट्रीय टीम चयन समिति ने ध्यान दिया. साल 2004 में एक टीम चयन समिति के बैठक में सौरव गांगुली से पूछा गया था कि टीम में विकेटकीपर किसे बनाएंगे, तब सौरव गांगुली ने कहा था कि मैं एमएस धोनी को विकेटकीपर बनाना चाहूंगा. 2004 में धोनी ने बांग्लादेश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया, तब से लेकर अब तक धोनी क्रिकेट में लंबा सफर तय कर चुके हैं.

सरदार जी का स्पोर्ट्स दुकान माही के लिए है खास

महेंद्र सिंह धोनी के पर्सनल लाइफ में वैसे तो कई दोस्त हैं, लेकिन कुछ दोस्त खास हैं. उनके एक दोस्त ने ही उन्हें हेलीकॉप्टर शॉट खेलना सिखाया था. राजधानी रांची के सुजाता चौक स्थित प्राइम स्पोर्ट्स के सरदार जी को भला कौन भूल सकता है. इसी स्पोर्ट्स दुकान से धोनी बैट लिया करते थे और उनके इस दोस्त की अहम भूमिका धोनी के स्ट्रगल के समय रही है और धोनी को सफल बनाने भी में भी इनका हाथ रहा है. सरदार जी के प्राइम स्पोर्ट्स दुकान धोनी का एक अड्डा भी था, जहां माही प्रतिदिन आते थे और नए-नए बैट देखते थे.

इसे भी पढ़ें:- धोनी और साक्षी की शादी की 10वीं सालगिरह पर फैंस ने दी बधाइयां

5 सदस्यीय है धोनी का परिवार

माही के परिवार में पिता पान सिंह, मां देवकी देवी के अलावा धोनी का एक भाई नरेंद्र सिंह धोनी और बहन जयंती भी है. एमएस धोनी की बहन जयंती अपने भाई के काफी करीब हैं. जयंती एक टीचर हैं, वह अक्सर क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान साक्षी के साथ चीयर करती भी दिखाई देती हैं. वहीं महेंद्र सिंह धोनी के भाई नरेंद्र सिंह धोनी फिलहाल राजनीति में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. वह भी रांची में ही रहते हैं.

रफ्तार के शौकीन महेंद्र सिंह धोनी

महेंद्र सिंह धोनी जितने शानदार क्रिकेटर हैं. उतने ही रफ्तार और एडवेंचर के शौकीन हैं. शौक की झलक कैप्टन कूल के नाम से फेमस धोनी के हर अंदाज में नजर आती है. उनके कार और मोटरसाइकिल का कलेक्शन गजब का है. धोनी के पास एक शानदार ऑडी Q7 है, जो उनकी पसंदीदा कारों में से एक है. उन्होंने हमर H2 कार भी खरीदा है. उन्होंने यह कार 2009 में खरीदी थी. अपने होम टाउन रांची के सड़कों पर इस गाड़ी को वह अक्सर दौड़ाते दिखते हैं. ऐसे और भी कई बेहतरीन मॉडल के कार उनके पास है. मोटरसाइकिल की बात करें तो धोनी के संग्रह की पहली मोटरसाइकिल कनफेडरेट हेलकैट x132 है, जो काफी शानदार है और महंगी भी है. कावासाकी निंजा, यामाहा आरडी 350, कावासाकी निंजा जेडएक्स 14r, हार्ले डेविडसन फैट बॉय, यामाहा आर एक्स 100, जैसे बाइक की कलेक्शन महेंद्र सिंह धोनी के पास है.

माही को जन्मदिन की बधाई
धोनी का क्रिकेट में जलवा शुरू होने के बाद. वो अंतरराष्ट्रीय पटल पर छा चुके थे. E-25 से अब महेंद्र सिंह धोनी हरमू स्थित राज्य सरकार की ओर से दिए गए जमीन पर बने ड्रीम हाउस शौर्य पहुंच चुके थे. हालांकि अब महेंद्र सिंह धोनी रिंग रोड स्थित सिमलिया के वारा में अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं और उसी फार्म हाउस में धोनी शिफ्ट हो गए हैं. E-25 छोड़कर धोनी 2009 में अपने पूरे परिवार के साथ हरमू रोड स्थित शौर्य में रहने पहुंचे थे. हालांकि वर्ष 2017 के मई महीने में अक्षय तृतीया के दिन महेंद्र सिंह धोनी का पता बदल गया. धोनी का पूरा परिवार अपने नए घर में शिफ्ट हो गए. इसे रांची के रिंग रोड पर लगभग सात एकड़ से अधिक जमीन पर बनाया गया है. इस फार्महाउस को तैयार करने में लगभग 3 साल का वक्त लग गया. उनके दोस्तों ने ही घर शिफ्टिंग में मदद की और आज महेंद्र सिंह धोनी अपना 39वां जन्मदिवस इसी घर में मना रहे हैं. ईटीवी भारत की ओर से भी महेंद्र सिंह धोनी को उनके जन्म दिवस की ढेरों बधाई.

रांची: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ. माही यूं ही महेंद्र सिंह धोनी नहीं बने. महेंद्र सिंह धोनी ने हर उस परेशानी को झेला है जो एक लोअर मिडल क्लास के घर का लड़का झेलता है. वह चाहे स्कूल फीस के लिए क्लास में खड़ा करवाने की बात हो, या फिर नई शर्ट लेने की जिद पूरी होने में 10 दिन का समय लगना हो. आज पान सिंह धोनी और देवकी देवी के बेटे महेंद्र सिंह धोनी का जन्मदिन है. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 39वां जन्मदिवस मना रहे हैं.

देखें पूरी खबर

7 नंबर माही के लिए है लकी

नंबर सेवन, महेंद्र सिंह धोनी का लकी नंबर है और उनका जन्मदिन भी 7 जुलाई को ही है और यह दिन महेंद्र सिंह धोनी के फैंस के लिए भी काफी खास है. एमएस धोनी क्रिकेट जगत का वह नाम है, जिसे कोई भूल नहीं सकता. सब कुछ कर गुजरने का जोश और जज्बा हो, आत्मविश्वास सातवें आसमान पर हो तो कुछ भी किया जा सकता है. महेंद्र सिंह धोनी ऐसे ही भारतीय क्रिकेट टीम के सफल कप्तान नहीं बने. एक छोटे शहर से गली-मुहल्लों में क्रिकेट खेलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच जाना इतना आसान नहीं है. माही से महेंद्र सिंह धोनी का सफर तय करने में उन्होंने कड़ी मेहनत की. मैदान में धोनी के हर फैसले को हर क्रिकेटर और क्रिकेट प्रेमियों ने सराहा है. केप्टन कुल के नाम से नवाजे गए महेंद्र सिंह धोनी ने E-25 क्वार्टर से निकलकर आज सिमलिया स्थित कई एकड़ में बसे फार्म हाउस तक का सफर तय किया है.

7 जुलाई को हुआ था माही का जन्म

7 जुलाई 1981 को रांची में जन्मे महेंद्र सिंह धोनी ने हर उस परेशानी को झेला है, जो एक मिडिल क्लास के घर का बच्चा झेलता है. उत्तराखंड से आकर रांची में बसे उनके पिता पान सिंह की कमाई बस इतनी ही थी कि वह 5 सदस्यीय परिवार को चला सके और यह जितना आसान रील लाइफ में देख कर लगता है वह रियल लाइफ में नहीं है. महेंद्र सिंह धोनी अपने दम पर अपने प्रदर्शन के बदौलत विश्व के शिखर तक पहुंचे हैं और आज अंतरराष्ट्रीय पटल पर उनके नाम का डंका बजता है.

महेंद्र सिंह धोनी फुटबॉलर से बने क्रिकेटर

कभी पीछे मुड़कर नहीं देखने वाले माही ने अपने जीवन में खेल की शुरुआत स्कूल टीम के साथ की थी. फुटबॉल के गोलकीपर महेंद्र सिंह धोनी कब क्रिकेट के बेहतरीन विकेटकीपर बन गए यह उनके स्कूल टाइम के कोच ही जानते हैं. वहीं उनके जानने वाले और 1996 से लेकर 2004 तक कोच रहे चंचल भट्टाचार्य भी उनके सभी खूबियों को बखूबी जानते हैं. मेकॉन स्थित H-122 क्वार्टर में सबसे पहले महेंद्र सिंह धोनी अपने पूरे परिवार के साथ रहने आए थे. हालांकि इस क्वार्टर में ज्यादा दिनों तक वो नहीं रहे. वो बहुत जल्द ही E-25 में शिफ्ट हो गए. इसी क्वार्टर से उनका क्रिकेट का सफर शुरू हुआ था.

23 दिसंबर 2004 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में रखा कदम

डीएवी श्यामली स्कूल ग्राउंड से शुरू होकर मेकॉन स्टेडियम, हरमू मैदान और झारखंड के सभी मैदानों में गली-कूचों में खेल चुके महेंद्र सिंह धोनी का इंटरनेशनल क्रिकेट में 23 दिसंबर 2004 को पदार्पण हुआ. उन्होंने 2004 में बांग्लादेश के विरुद्ध वनडे मैच खेला था. वहीं T20 में उनका पदार्पण 1 दिसंबर 2006 में हआ था. दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध उस मैच में धोनी खेले थे. जैसे-जैसे महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट में सफल होते गए उनका क्रिकेट करियर का ग्राफ भी परवान चढ़ता गया और फिर महेंद्र सिंह धोनी ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा. हर मैच और टूर्नामेंट को जितना माही का लक्ष्य था. स्कूल टाइम से ही महेंद्र सिंह धोनी को जीत की लालच थी, चाहे वह सपाट मैदान हो, स्टेडियम हो, या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम. एक के बाद एक टूर्नामेंट और मैच को जितना महेंद्र सिंह धोनी का लक्ष्य बनता गया और लक ने भी हमेशा उनका साथ दिया.

माही को लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि

महेंद्र सिंह धोनी मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि भी प्राप्त कर चुके हैं. पद्म भूषण, पद्म श्री, राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी माही सम्मानित हो चुके हैं. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और भारत के सबसे सफल एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय कप्तान रह चुके धोनी भारतीय एकदिवसीय टीम के सबसे कुल कप्तानों में से जाने जाते हैं. महेंद्र सिंह धोनी की बैडमिंटन और फुटबॉल में भी रुचि थी. महेंद्र सिंह धोनी ने डीएवी श्यामली से पढ़ाई की है. जो वर्तमान में जवाहर विद्या मंदिर के से नाम से जाना जाता है. माही ने इंटर स्कूल प्रतियोगिता में बैडमिंटन और फुटबॉल में स्कूल का प्रतिनिधित्व भी किया था, जहां उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था. इस कारण वे जिला और क्लब लेवल में चुने गए थे.

फुटबॉल में धोनी रह चुके हैं गोलकीपर

धोनी अपने फुटबॉल टीम के गोलकीपर भी रह चुके हैं, लोकल क्रिकेट क्लब में क्रिकेट खेलने के लिए उनके फुटबॉल कोच ने भेजा था. हालांकि उन्होंने कभी क्रिकेट नहीं खेला था, फिर भी धोनी ने अपने विकेट कीपिंग के कौशल से सबको प्रभावित किया और कमांडो क्रिकेट क्लब के 1994 से 1998 में नियमित विकेटकीपर बने. 1997- 98 सीजन के विनू मांकड़ ट्रॉफी अंडर-16 चैंपियनशिप में चुने गए, जहां उन्होंने उम्दा प्रदर्शन किया. दसवीं कक्षा के बाद ही धोनी ने क्रिकेट की ओर विशेष ध्यान दिया और बाद में वे एक अच्छे विकेटकीपर बनकर उभरे.

रेलवे में निभाई टीटीई की भूमिका

साल 2003 में धोनी ने खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन टिकट चेकर के तौर पर भी काम किया. धोनी ने अपने प्रोफेशनल क्रिकेट कैरियर की शुरुआत सन 1998 में बिहार अंडर-19 टीम से की. 1999 -2000 में धोनी ने बिहार रणजी टीम में खेलकर अपना पदार्पण किया. देवधर ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी, इंडिया ए टूर में गए. जहां अपने प्रदर्शन के बदौलत उन पर राष्ट्रीय टीम चयन समिति ने ध्यान दिया. साल 2004 में एक टीम चयन समिति के बैठक में सौरव गांगुली से पूछा गया था कि टीम में विकेटकीपर किसे बनाएंगे, तब सौरव गांगुली ने कहा था कि मैं एमएस धोनी को विकेटकीपर बनाना चाहूंगा. 2004 में धोनी ने बांग्लादेश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया, तब से लेकर अब तक धोनी क्रिकेट में लंबा सफर तय कर चुके हैं.

सरदार जी का स्पोर्ट्स दुकान माही के लिए है खास

महेंद्र सिंह धोनी के पर्सनल लाइफ में वैसे तो कई दोस्त हैं, लेकिन कुछ दोस्त खास हैं. उनके एक दोस्त ने ही उन्हें हेलीकॉप्टर शॉट खेलना सिखाया था. राजधानी रांची के सुजाता चौक स्थित प्राइम स्पोर्ट्स के सरदार जी को भला कौन भूल सकता है. इसी स्पोर्ट्स दुकान से धोनी बैट लिया करते थे और उनके इस दोस्त की अहम भूमिका धोनी के स्ट्रगल के समय रही है और धोनी को सफल बनाने भी में भी इनका हाथ रहा है. सरदार जी के प्राइम स्पोर्ट्स दुकान धोनी का एक अड्डा भी था, जहां माही प्रतिदिन आते थे और नए-नए बैट देखते थे.

इसे भी पढ़ें:- धोनी और साक्षी की शादी की 10वीं सालगिरह पर फैंस ने दी बधाइयां

5 सदस्यीय है धोनी का परिवार

माही के परिवार में पिता पान सिंह, मां देवकी देवी के अलावा धोनी का एक भाई नरेंद्र सिंह धोनी और बहन जयंती भी है. एमएस धोनी की बहन जयंती अपने भाई के काफी करीब हैं. जयंती एक टीचर हैं, वह अक्सर क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान साक्षी के साथ चीयर करती भी दिखाई देती हैं. वहीं महेंद्र सिंह धोनी के भाई नरेंद्र सिंह धोनी फिलहाल राजनीति में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. वह भी रांची में ही रहते हैं.

रफ्तार के शौकीन महेंद्र सिंह धोनी

महेंद्र सिंह धोनी जितने शानदार क्रिकेटर हैं. उतने ही रफ्तार और एडवेंचर के शौकीन हैं. शौक की झलक कैप्टन कूल के नाम से फेमस धोनी के हर अंदाज में नजर आती है. उनके कार और मोटरसाइकिल का कलेक्शन गजब का है. धोनी के पास एक शानदार ऑडी Q7 है, जो उनकी पसंदीदा कारों में से एक है. उन्होंने हमर H2 कार भी खरीदा है. उन्होंने यह कार 2009 में खरीदी थी. अपने होम टाउन रांची के सड़कों पर इस गाड़ी को वह अक्सर दौड़ाते दिखते हैं. ऐसे और भी कई बेहतरीन मॉडल के कार उनके पास है. मोटरसाइकिल की बात करें तो धोनी के संग्रह की पहली मोटरसाइकिल कनफेडरेट हेलकैट x132 है, जो काफी शानदार है और महंगी भी है. कावासाकी निंजा, यामाहा आरडी 350, कावासाकी निंजा जेडएक्स 14r, हार्ले डेविडसन फैट बॉय, यामाहा आर एक्स 100, जैसे बाइक की कलेक्शन महेंद्र सिंह धोनी के पास है.

माही को जन्मदिन की बधाई
धोनी का क्रिकेट में जलवा शुरू होने के बाद. वो अंतरराष्ट्रीय पटल पर छा चुके थे. E-25 से अब महेंद्र सिंह धोनी हरमू स्थित राज्य सरकार की ओर से दिए गए जमीन पर बने ड्रीम हाउस शौर्य पहुंच चुके थे. हालांकि अब महेंद्र सिंह धोनी रिंग रोड स्थित सिमलिया के वारा में अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं और उसी फार्म हाउस में धोनी शिफ्ट हो गए हैं. E-25 छोड़कर धोनी 2009 में अपने पूरे परिवार के साथ हरमू रोड स्थित शौर्य में रहने पहुंचे थे. हालांकि वर्ष 2017 के मई महीने में अक्षय तृतीया के दिन महेंद्र सिंह धोनी का पता बदल गया. धोनी का पूरा परिवार अपने नए घर में शिफ्ट हो गए. इसे रांची के रिंग रोड पर लगभग सात एकड़ से अधिक जमीन पर बनाया गया है. इस फार्महाउस को तैयार करने में लगभग 3 साल का वक्त लग गया. उनके दोस्तों ने ही घर शिफ्टिंग में मदद की और आज महेंद्र सिंह धोनी अपना 39वां जन्मदिवस इसी घर में मना रहे हैं. ईटीवी भारत की ओर से भी महेंद्र सिंह धोनी को उनके जन्म दिवस की ढेरों बधाई.

Last Updated : Jul 7, 2020, 10:08 AM IST
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