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गांधी थे इस खास स्कूल के प्रेरणास्त्रोत, फिर भी उनकी 150वीं जयंती मनाने से रह गया वंचित - महात्मा गांधी की 150वीं जयंतीट

रांची के डोरंडा स्थित निवारनपुर में 1938 में स्थापित क्षितिज मूक-बधिर स्कूल की स्थापना के पीछे गांधी प्रेरणास्त्रोत रहे हैं. लेकिन इसे विडंबना ही कहिए कि आज वही स्कूल बापू की 150वीं जयंती मनाने से वंचित रह गया है. इसका कारण है स्कूल के शिक्षकों को 8 महीने से सरकार ने वेतन का भुगतान नहीं किया है.

क्षितिज मूक-बधिर स्कूल
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Published : Oct 2, 2019, 5:04 PM IST

रांची: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रेरणास्वरुप देश-विदेश कई स्कूल-कॉलेजों की स्थापना की गई है. रांची के डोरंडा स्थित निवारनपुर में भी एक ऐसा ही स्कूल है, जिसके प्रेरणा स्रोत बापू रहे हैं. यह स्कूल है क्षितिज मूक-बधिर स्कूल, जिसकी स्थापना क्षितिज चंद्र बोस ने 1938 में की थी. बता दें कि इस स्कूल की स्थापना मूक-बधिर और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के उद्देश्य से की गई थी.

देखें पूरी खबर


गांधी आए थे स्कूल की स्थापना के दिन
इस स्कूल के बारे में यह भी कहा जाता है कि स्कूल के उद्घाटन के मौके पर महात्मा गांधी खुद पहुंचे थे. हालांकि इसके ठोस प्रमाण नहीं हैं. लेकिन क्षितिज चंद्र बोस के कई लेख में यह जिक्र है कि महात्मा गांधी ही स्कूल खोलने के लिए उनकी प्रेरणा थे.

ये भी पढ़ें- ईटीवी भारत की ओर से देश के सर्वश्रेष्ठ गायकों ने बापू को दी संगीतमय श्रद्धांजलि


स्कूल में नहीं मनाई गई गांधी की 150वीं जयंती
बता दें कि क्षितिज मूक-बधिर स्कूल में प्रत्येक वर्ष गांधीजी की याद में उनकी जयंती और पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. लेकिन इस वर्ष यह आयोजन यहां नहीं हो पाया है. जो व्यक्ति इस स्कूल स्थापना का प्रेरणास्त्रोत बना, उसी व्यक्ति को बच्चे श्रद्धांजली देने तक से वंचित रह गए. इसका कारण बना सरकार का स्कूल के प्रति उदासीन रवैया.


8 महीने से नहीं मिला है वेतन
सरकार की उदासीनता के कारण इस स्कूल के शिक्षकों को 8 महीने से वेतन नहीं मिला है. स्कूल में पैसे का आलम यह है कि लगभग 54 हजार रुपये मिड डे मील का बकाया राशि भी अब तक स्कूल को भुगतान नहीं किया गया है. दान के रुपयों से बच्चों का भरण-पोषण हो रहा है.

ये भी पढ़ें- गांधी @150 : ईटीवी भारत की पहल को मिल रही सराहना


डीएसई को किया जा रहा है गुमराह
इस मामले पर जब ईटीवी भारत ने स्कूल के प्रधानाध्यापक एके. लाल से बात की तो उन्होंने कहा कि डीएसई को इस मामले में गुमराह किया जा रहा है. 1938 से यह स्कूल चल रहा है. हर बार नए पदाधिकारी के आने के बाद वेतन को लेकर प्रताड़ना झेलनी पड़ती है जबकि मुख्यमंत्री की अनुशंसा के बाद इसे सहायता प्राप्त स्कूल से आठवीं तक अपग्रेड करते हुए अल्पसंख्यक विद्यालय का दर्जा दिया गया था. वहीं, कैबिनेट ने स्कूल के लिए 3 पद स्वीकृत किए गए थे लेकिन अब तक इस स्कूल का ना तो कायाकल्प हुआ और ना ही इस ओर किसी भी शिक्षा पदाधिकारी ने सही तरीके से ध्यान दिया. बहुत दुखद है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर स्कूल में वीरानी छाई है.

रांची: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रेरणास्वरुप देश-विदेश कई स्कूल-कॉलेजों की स्थापना की गई है. रांची के डोरंडा स्थित निवारनपुर में भी एक ऐसा ही स्कूल है, जिसके प्रेरणा स्रोत बापू रहे हैं. यह स्कूल है क्षितिज मूक-बधिर स्कूल, जिसकी स्थापना क्षितिज चंद्र बोस ने 1938 में की थी. बता दें कि इस स्कूल की स्थापना मूक-बधिर और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के उद्देश्य से की गई थी.

देखें पूरी खबर


गांधी आए थे स्कूल की स्थापना के दिन
इस स्कूल के बारे में यह भी कहा जाता है कि स्कूल के उद्घाटन के मौके पर महात्मा गांधी खुद पहुंचे थे. हालांकि इसके ठोस प्रमाण नहीं हैं. लेकिन क्षितिज चंद्र बोस के कई लेख में यह जिक्र है कि महात्मा गांधी ही स्कूल खोलने के लिए उनकी प्रेरणा थे.

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स्कूल में नहीं मनाई गई गांधी की 150वीं जयंती
बता दें कि क्षितिज मूक-बधिर स्कूल में प्रत्येक वर्ष गांधीजी की याद में उनकी जयंती और पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. लेकिन इस वर्ष यह आयोजन यहां नहीं हो पाया है. जो व्यक्ति इस स्कूल स्थापना का प्रेरणास्त्रोत बना, उसी व्यक्ति को बच्चे श्रद्धांजली देने तक से वंचित रह गए. इसका कारण बना सरकार का स्कूल के प्रति उदासीन रवैया.


8 महीने से नहीं मिला है वेतन
सरकार की उदासीनता के कारण इस स्कूल के शिक्षकों को 8 महीने से वेतन नहीं मिला है. स्कूल में पैसे का आलम यह है कि लगभग 54 हजार रुपये मिड डे मील का बकाया राशि भी अब तक स्कूल को भुगतान नहीं किया गया है. दान के रुपयों से बच्चों का भरण-पोषण हो रहा है.

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डीएसई को किया जा रहा है गुमराह
इस मामले पर जब ईटीवी भारत ने स्कूल के प्रधानाध्यापक एके. लाल से बात की तो उन्होंने कहा कि डीएसई को इस मामले में गुमराह किया जा रहा है. 1938 से यह स्कूल चल रहा है. हर बार नए पदाधिकारी के आने के बाद वेतन को लेकर प्रताड़ना झेलनी पड़ती है जबकि मुख्यमंत्री की अनुशंसा के बाद इसे सहायता प्राप्त स्कूल से आठवीं तक अपग्रेड करते हुए अल्पसंख्यक विद्यालय का दर्जा दिया गया था. वहीं, कैबिनेट ने स्कूल के लिए 3 पद स्वीकृत किए गए थे लेकिन अब तक इस स्कूल का ना तो कायाकल्प हुआ और ना ही इस ओर किसी भी शिक्षा पदाधिकारी ने सही तरीके से ध्यान दिया. बहुत दुखद है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर स्कूल में वीरानी छाई है.

Intro:राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से प्रेरित होकर राजधानी रांची के डोरंडा स्थित निवारनपुर में क्षितिज चंद्र बोस ने क्षितिज मुक बधिर स्कूल की स्थापना 1938 में किया था और इस स्कूल में प्रत्येक वर्ष गांधीजी की याद में उनके जयंती और पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था .लेकिन इस वर्ष यहां आयोजन नहीं हो पाया. सरकार की उदासीनता के कारण इस स्कूल के शिक्षकों को 8 महीने से वेतन नहीं मिला है .दान के रुपयों से बच्चों का भरण पोषण हो रहा है .लगभग 54 हजार रुपये मिड डे मील का बकाया राशि भी अब तक भुगतान नहीं हुई है.


Body:राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के प्रेरणा से राजधानी रांची के निवारण पूर्व में क्षितिज मुक बधिर स्कूल की स्थापना 1938 में क्षितिज चंद्र बोस ने करवाई थी .ऐसा भी कहा जाता है कि इस स्कूल के उद्घाटन के मौके पर महात्मा गांधी खुद पहुंचे थे .लेकिन कोई ठोस साक्ष्य नहीं होने के कारण इस पर मतभेद है .लेकिन क्षितिज चंद्र बोस के कई लेख में यह जिक्र है कि महात्मा गांधी जी ने ही स्कूल को खोलने के लिए क्षितिज बाबू को प्रेरणा दिया था. प्रत्येक वर्ष इस स्कूल परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जयंती और पुण्यतिथि के अवसर पर मुख बधिर बच्चों द्वारा विशेष कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाती थी. लेकिन 150वीं जयंती के अवसर पर स्कूल विरान पड़ा है .वजह है इस स्कूल में कार्यरत शिक्षकों के वेतन का मामला अटक गया है .मिड डे मील का बकाया राशि 54 हजार रुपये अब तक राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा इन्हें नहीं दिया गया है .दान से ही स्कूल अभी भी संचालित है .यहां मुख बधिर ,आर्थिक रूप से कमजोर तबके के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है .करीब 8 महीने का वेतन इस स्कूलों के शिक्षकों का लटका हुआ है .इस मामले पर जब हमारी टीम ने स्कूल के प्रधानाध्यापक ए के लाल से बातचीत की तो उन्होंने कहा डीएसई को इस मामले में गुमराह किया जा रहा है. 1938 से यह स्कूल चल रहा है. हर बार नया पदाधिकारी आने के बाद वेतन को लेकर प्रताड़ना झेलनी पड़ती है .जबकि मुख्यमंत्री की अनुशंसा के बाद इसे सहायता प्राप्त स्कूल से आठवीं तक अपग्रेड करते हुए अल्पसंख्यक विद्यालय का दर्जा दिया गया था .कैबिनेट द्वारा स्कूल के लिए 3 पद स्वीकृत किए गए थे .लेकिन अब तक इस स्कूल का ना तो कायाकल्प हुआ और ना ही इस ओर किसी भी शिक्षा पदाधिकारी ने सही तरीके से ध्यान दिया और आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जयंती के अवसर पर शिक्षक वेतन के लिए विभाग के समक्ष हाथ फैलाने को मजबूर है यह विडंबना ही तो है.

मामले को लेकर जब शिक्षा विभाग से और विभागीय अधिकारियों से यह जानने की कोशिश की गई कि आखिर इनके वेतन क्यों रोका गया है तो उन्होंने कैमरे के समक्ष स्पष्ट जवाब देने से मना कर दिया.


Conclusion:बाइट-एके लाल, प्रधान अध्यापक ,क्षितिज मुक बधिर स्कूल।
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