रांची: राज्य में वाहनों की बढ़ती संख्या और उससे प्रदूषित हो रहे वातावरण को देखते हुए परिवहन विभाग की तरफ से सभी पेट्रोल पंप पर प्रदूषण जांच केंद्र खुलवाया गया है. यह आदेश जारी किया गया है कि जितने भी पेट्रोल पंप हैं वहां प्रदूषण जांच केंद्र होना अनिवार्य है. जांच केंद्र होगा तभी पेट्रोल पंप का लाइसेंस रीन्यूअल किया जाएगा. जांच केंद्र नहीं रहने पर पेट्रोल पंप का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. सरकार के आदेश के बाद पंप संचालकों ने प्रदूषण जांच केंद्र तो लगवा लिया लेकिन वाहन जांच के लिए यहां बहुत कम लोग पहुंचते हैं.
गाड़ियों की नहीं होती जांच, संचालकों को हो रहा नुकसान
झारखंड पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के प्रवक्ता प्रमोद कुमार बताते हैं कि सरकार ने पेट्रोल पंप मालिकों के लिए तो सख्त कानून बना दिए हैं लेकिन लोगों के लिए कोई कानून नहीं है. गाड़ियों के पॉल्यूशन सर्टिफिकेट की जांच नहीं होती है तो लोग इस पर ध्यान भी नहीं देते हैं. इससे जांच केंद्र के संचालकों को काफी नुकसान हो रहा है. वहीं, जगह-जगह प्रदूषण जांच केंद्र खुलने से वाहन चालकों को काफी राहत है. लोगों का कहना है कि ज्यादा पॉल्यूशन सेंटर होगा तो काम भी जल्दी हो जाएगा. पहले काफी देर तक इंतजार करना पड़ता था.
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ग्रामीण क्षेत्र में बने पॉल्यूशन सेंटर की स्थिति खराब
प्रदूषण जांच केंद्र के कई संचालकों ने परिवहन विभाग से आग्रह किया कि नियमित रूप से लोगों के बीच प्रदूषण सर्टिफिकेट बनवाने की अपील की जाए और सख्ती बरती जाए ताकि लोग प्रदूषण जांच केंद्र पर पहुंच कर अपने वाहन का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाएं. इससे संचालकों को लाभ भी होगा और गाड़ियां भी पॉल्यूशन फ्री रहेगी. कई संचालकों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में बने पॉल्यूशन सेंटर की स्थिति काफी खराब है क्योंकि वहां कोई भी पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाने नहीं आता. ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को प्रशासन की तरफ से न तो जागरूक किया जाता है और न ही चेकिंग अभियान चलाकर सख्ती बरती जाती है. ऐसे में पॉल्यूशन जांच केंद्रों पर काम करने वाले लोगों को काफी नुकसान होता है. मशीन लगाने के बावजूद वे बेकार बैठे रहते हैं.
पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनाने का रेट
वाहन | रेट |
दो पहिया वाहन | 50 रुपए |
तीन पहिया वाहन | 80 रुपए |
चार पहिया वाहन | 120 रुपए |
भारी वाहन | 300 रुपए |
पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाने को लेकर सजग नहीं हैं लोग
जिला परिवहन पदाधिकारी प्रवीण प्रकाश ने बताया कि राजधानीवासियों को स्वस्थ रखने के लिए और वाहनों से निकलने वाली जहरीली धुएं से लोगों को बचाने के लिए सभी पेट्रोल पंप पर प्रदूषण जांच केंद्र को अनिवार्य किया गया है. समय-समय पर जांच अभियान चलाया जाता है ताकि लोग सजग रहें और अपने वाहनों का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाएं. इसके लिए मोटरयान निरीक्षक, जिला परिवहन पदाधिकारी और सभी ट्रैफिक पुलिस को समय-समय पर पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जांच करने की अनुमति दी गई है. राजधानी में 162 प्रदूषण जांच केंद्र हैं और हर दिन दो से तीन हजार गाड़ियों का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनता है. राजधानी में गाड़ियों की संख्या लाखों में है. आंकड़ों को देखें तो साफ पता चलता है कि लोग पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाने को लेकर सजग नहीं है.
पॉल्यूशन जांच केंद्र के संचालकों ने बताया कि राजधानी में दो पहिया वाहन का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनाने का रेट 50 रुपए है जिसमें 20 रुपए सरकार को टैक्स दे देते हैं. 15 रुपए पेट्रोल पंप मालिकों को देना पड़ता है. इस व्यापार में ज्यादा लाभ नहीं है.