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झारखंड में लोकायुक्त का पद खाली, कैसे होगी करप्शन के केसों की सुनवाई

लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार के करीब दो हजार से अधिक केस की सुनवाई ठप पड़ गई है. पहले कोरोना के कारण सुनवाई बाधित थी उसके बाद लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय के असामयिक निधन के बाद से सुनवाई पूरी तरह ठप है.

Jharkhand Lokayukta
झारखंड लोकायुक्त कार्यालय
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Published : Jul 23, 2021, 7:45 PM IST

रांची: झारखंड लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार से जुड़े तकरीबन दो हजार से अधिक मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है. पहले कोरोना के कारण सुनवाई बाधित थी और अब लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय के निधन के कारण सुनवाई ठप हो गया है.

ये भी पढ़ें- 48 वर्ष पुराने बिहार के लोकायुक्त एक्ट के सहारे झारखंड, कैसे भ्रष्टाचार पर लगेगा अंकुश

लोकायुक्त कार्यालय के सचिव संजय कुमार की मानें तो लोकायुक्त का पद रिक्त होने से केसों की सुनवाई और जजमेंट का काम नहीं हो रहा है. बांकी कार्य लोकायुक्त अधिनियम के तहत संचालित हो रहे हैं. बहरहाल नये लोकायुक्त के मनोनयन तक यहां केसों की सुनवाई शुरू होने की संभावना नहीं है. जाहिर तौर पर राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में फैले भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की सुनवाई फिलहाल खटाई में पड़ता हुआ दिख रहा है.

देखें पूरी खबर
नए लोकायुक्त का होगा मनोनयन

लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय का कार्यकाल फरवरी 2022 तक था. कोरोना संक्रमित होने के बाद उनकी असामयिक निधन 29 जून को दिल्ली एम्स में हो गया था. उनके असामयिक निधन के बाद से राज्य में लोकायुक्त का पद खाली है. लोकायुक्त के रिक्त पद को भरने के लिए राज्य सरकार को नये लोकायुक्त मनोनीत करना होगा. लोकायुक्त का मनोनयन पांच वर्षों के लिए होता है जिसका चयन मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और नेता प्रतिपक्ष के द्वारा की जाती है. संवैधानिक व्यवस्था के तहत हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी को लोकायुक्त के रुप में पांच वर्षों के लिए नियुक्त किया जाता है. ऐसे में नये लोकायुक्त का मनोनयन होने तक स्वभाविक रुप से केसों की सुनवाई बाधित रहेगी.

रांची: झारखंड लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार से जुड़े तकरीबन दो हजार से अधिक मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है. पहले कोरोना के कारण सुनवाई बाधित थी और अब लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय के निधन के कारण सुनवाई ठप हो गया है.

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लोकायुक्त कार्यालय के सचिव संजय कुमार की मानें तो लोकायुक्त का पद रिक्त होने से केसों की सुनवाई और जजमेंट का काम नहीं हो रहा है. बांकी कार्य लोकायुक्त अधिनियम के तहत संचालित हो रहे हैं. बहरहाल नये लोकायुक्त के मनोनयन तक यहां केसों की सुनवाई शुरू होने की संभावना नहीं है. जाहिर तौर पर राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में फैले भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की सुनवाई फिलहाल खटाई में पड़ता हुआ दिख रहा है.

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लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय का कार्यकाल फरवरी 2022 तक था. कोरोना संक्रमित होने के बाद उनकी असामयिक निधन 29 जून को दिल्ली एम्स में हो गया था. उनके असामयिक निधन के बाद से राज्य में लोकायुक्त का पद खाली है. लोकायुक्त के रिक्त पद को भरने के लिए राज्य सरकार को नये लोकायुक्त मनोनीत करना होगा. लोकायुक्त का मनोनयन पांच वर्षों के लिए होता है जिसका चयन मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और नेता प्रतिपक्ष के द्वारा की जाती है. संवैधानिक व्यवस्था के तहत हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी को लोकायुक्त के रुप में पांच वर्षों के लिए नियुक्त किया जाता है. ऐसे में नये लोकायुक्त का मनोनयन होने तक स्वभाविक रुप से केसों की सुनवाई बाधित रहेगी.

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