रांची: लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जयंती ( Lok Nayak Jai Prakash Narayan birth anniversary ) के अवसर पर मंगलवार को कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस दौरान सभी ने खुद को जेपी का अनुयायी बताया और उनके सपनों को साकार करने की बात कही. इसी कड़ी में भाजपा प्रदेश कार्यालय रांची में प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद दीपक प्रकाश की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित कर भारतरत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण तथा नानाजी देशमुख की जयंती पर उन्हें याद किया गया.
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सभागार में लोगों को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने कहा कि जयप्रकाश नारायण एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने आजादी की लड़ाई के साथ साथ दूसरी आजादी की लड़ाई भी लड़ी थी. आज दो-दो महापुरूषों की जयंती हम मना रहे हैं, आज भी देश में जयप्रकाश नारायण के जीवन मूल्यों की प्रासंगिकता है. उन्होंने कहा कि जेपी ने हमेशा नेशन फर्स्ट के सिद्धान्त को महत्व दिया, जब देश गुलाम था तो उन्होंने सशक्त आंदोलन के माध्यम से देश को आजादी दिलाने का सपना देखा.
जेपी का झारखंड से था लगावः दीपक प्रकाश ने कहा कि जेपी का झारखंड से भी गहरा संबंध रहा है. वे 1942 में हजारीबाग जेल में भी रहे थे. निराश मन से कभी भी कोई बड़ा काम नहीं होता है. अगर जय प्रकाश नारायण निराश हो जाते तो कभी भी भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े आंदोलन को खड़ा नहीं कर पाते. उन्होंने कहा कि जय प्रकाश नारायण भूदान आंदोलन से भी जुड़े और उनके नेतृत्व में ही झारखंड में सबसे ज्यादा भूमि दान में दी गई थी. जेपी ने चंबल के डकैतों का आत्मसमर्पण कराया एवं उन्हें मुख्यधारा में लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया था.
सांसद दीपक प्रकाश ने कहा कि जयप्रकाश नारायण का जो सपना था आज उसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरा कर रहे हैं. आज मोदी के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है. भ्रष्टाचारी आज जेल में डाले जा रहे हैं. जेपी का सपना था शैक्षणिक ढांचे में बदलाव करने का, आज उसे मोदी सरकार नई शिक्षा नीति में बदलाव कर उसे पूरा कर रही है.
गांधी और नेहरू की अनुपस्थिति में जेपी ने आजादी की लड़ाई का नेतृत्व किया: कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश के संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह ने कहा कि जब महात्मा गांधी एवं प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू जेल चले गए थे, उस समय आजादी की लड़ाई की जिम्मेदारी जयप्रकाश नारायण ने अपने कंधे पर उठाई. कर्मवीर सिंह ने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने जब अंग्रेजों को राजस्व दिए जाने का विरोध किया तो उन्हें अंग्रेजों ने पकड़ कर जेल भेज दिया था और वे नौ महीने तक जेल में रहे. जब वे जेल से बाहर आए तो महात्मा गांधी एवं सुभाषचंद्र बोस के बीच के मनमुटाव को समाप्त कराया था. आज जरूरत है कि समाज का हर वर्ग जयप्रकाश की जीवनी को पढ़े और उनके सिद्धांत को अपने जीवन में आत्मसात करे. कार्यक्रम को रांची के विधायक सीपी सिंह, सूर्यमणि सिंह ने भी संबोधित किया.