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प्रवासी मजदूरों की जीविका पर लॉकडाउन का पड़ रहा गहरा असर, दाने-दाने को हैं मोहताज

कोरोना वायरस के कहर को लेकर पूरे देश भर में लॉकडाउन जारी है, जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव प्रवासी मजदूरों के ऊपर पड़ रहा है. तमाम प्रवासी मजदूर अपने प्रदेश लौटने को लेकर व्याकुल हैं. लंबे समय से रोजगार ठप हो जाने के कारण प्रवासी मजदूरों के बीच काफी समस्या उत्पन्न हो गई है.

प्रवासी मजदूरों के जीविका
migrant laborers of Jharkhand
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Published : May 15, 2020, 4:49 PM IST

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कहर को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव प्रवासी मजदूरों के ऊपर पड़ रहा है. सरकार लॉकडाउन 2.0 के दौरान राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को भोजन और राशन की व्यवस्था उपलब्ध कराने में लगी थी, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन 3.0 लागू हुआ तमाम प्रवासी मजदूर अपने प्रदेश लौटने को लेकर व्याकुल हो गए.

देखें स्पेशल खबर

प्रदेश जाने की खुशी

लंबे समय से रोजगार ठप हो जाने के कारण प्रवासी मजदूरों के बीच काफी समस्या उत्पन्न हो गई है. ऐसे में अब वो किसी तरह अपने घर लौटना चाह रहे हैं. हालांकि सरकार ने प्रवासी मजदूर और छात्र-छात्राओं को लाने की कवायद तेज कर दी है, लेकिन इसके बावजूद अब कई राज्यों में लोग फंसे हुए हैं. कई बार तो ऐसा होता है कि लोग अपने प्रदेश जाने के लिए खुशी से बस का इंतजार करते हैं, लेकिन अंत में उदास होकर ही लौटना पड़ जाता है.

ये भी पढ़ें-केंद्र के आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से बेबाक बातचीत

लॉकडाउन की वजह से कामधंधा ठप

झारखंड में फंसे प्रवासी मजदूर चाहे वो बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, हरियाणा या चंडीगढ़ का हो, हर कोई अपने प्रदेश लौटना चाहता है. अपने प्रदेश लौटने की खुशी सबसे ज्यादा बंगाल पुरुलिया के मजदूर को हो रही है. उनका कहना है कि वो ठेला लगाकर अपनी जीविका उपार्जन करते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से कामधंधा ठप हो गया है.

राशन खरीदने के लिए भी नहीं हैं पैसे

मजदूरों का कहना है बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनलोगों के लिए 100 दिन का रोजगार मुहैया कराने का वादा किया है. अब जब वो अपने राज्य वापस लौटेंगे तो सरकार की ओर से चलाई जा रही योजना का उन्हें लाभ मिलेगा. कुछ हो ना हो राशन कार्ड से के माध्यम से कम से कम अनाज तो मिल जाएगा. यहां तो कोई भी ऐसी सुविधा नहीं है. दूसरा मामला मध्य प्रदेश के रहने वाले 4 परिवारों की है जो झारखंड में ठेले पर पानी-पूड़ी बेच कर अपना जीवन यापन करते थे, लेकिन अब इन लोगों के पास राशन खरीदने को पैसे नहीं है, इसलिए अब सिर्फ ये अपने घर जाना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें-इकनॉमिक पैकेज का बीजेपी ने किया स्वागत, पूर्व सीएम रघुवर दास ने बताया सराहनीय कदम

झारखंड में कई जगहों पर फंसे हैं मजदूर

मध्य प्रदेश की रहने वाली एक महिला बताती है कि जितने भी पैसे कमाए थे. सब इस लॉकडाउन में खाने-पीने में खर्च हो गए. अब उनके पास खाने की भी समस्या हो रही है. उसका कहना है कि वह किसी तरह अपने घर वापस लौट जाए. झोला बस्ता लेकर अपने परिवार के साथ सड़क पर निकल गई है कि सरकार उनके लिए बस भेजने के लिए प्रबंध की है, लेकिन अंत में निराशा हाथ लगी. प्रवासी मजदूरों को उनके प्रदेश भेजने के लिए झारखंड सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. इसके बावजूद अभी कई प्रवासी मजदूर कई जगहों पर फंसे हुए हैं.

सरकार की योजनाओं का मिलेगा लाभ

भारतीय जनता ट्रेड यूनियन के सचिव हरिनाथ साहू की माने तो कांके प्रखंड में लगभग प्रवासी मजदूर करीब 1 हजार की संख्या में फंसे हुए हैं. ऐसे में इन लोगों को इनके राज्य पहुंचाने का दायित्व उनलोगों का बनता है. उन्होंने कहा कि जल्दी ये लोग अपने घर पहुंचेंगे और वहां के सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं का इन लोगों को भरपूर लाभ मिलेगा.

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कहर को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव प्रवासी मजदूरों के ऊपर पड़ रहा है. सरकार लॉकडाउन 2.0 के दौरान राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को भोजन और राशन की व्यवस्था उपलब्ध कराने में लगी थी, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन 3.0 लागू हुआ तमाम प्रवासी मजदूर अपने प्रदेश लौटने को लेकर व्याकुल हो गए.

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प्रदेश जाने की खुशी

लंबे समय से रोजगार ठप हो जाने के कारण प्रवासी मजदूरों के बीच काफी समस्या उत्पन्न हो गई है. ऐसे में अब वो किसी तरह अपने घर लौटना चाह रहे हैं. हालांकि सरकार ने प्रवासी मजदूर और छात्र-छात्राओं को लाने की कवायद तेज कर दी है, लेकिन इसके बावजूद अब कई राज्यों में लोग फंसे हुए हैं. कई बार तो ऐसा होता है कि लोग अपने प्रदेश जाने के लिए खुशी से बस का इंतजार करते हैं, लेकिन अंत में उदास होकर ही लौटना पड़ जाता है.

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लॉकडाउन की वजह से कामधंधा ठप

झारखंड में फंसे प्रवासी मजदूर चाहे वो बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, हरियाणा या चंडीगढ़ का हो, हर कोई अपने प्रदेश लौटना चाहता है. अपने प्रदेश लौटने की खुशी सबसे ज्यादा बंगाल पुरुलिया के मजदूर को हो रही है. उनका कहना है कि वो ठेला लगाकर अपनी जीविका उपार्जन करते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से कामधंधा ठप हो गया है.

राशन खरीदने के लिए भी नहीं हैं पैसे

मजदूरों का कहना है बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनलोगों के लिए 100 दिन का रोजगार मुहैया कराने का वादा किया है. अब जब वो अपने राज्य वापस लौटेंगे तो सरकार की ओर से चलाई जा रही योजना का उन्हें लाभ मिलेगा. कुछ हो ना हो राशन कार्ड से के माध्यम से कम से कम अनाज तो मिल जाएगा. यहां तो कोई भी ऐसी सुविधा नहीं है. दूसरा मामला मध्य प्रदेश के रहने वाले 4 परिवारों की है जो झारखंड में ठेले पर पानी-पूड़ी बेच कर अपना जीवन यापन करते थे, लेकिन अब इन लोगों के पास राशन खरीदने को पैसे नहीं है, इसलिए अब सिर्फ ये अपने घर जाना चाहते हैं.

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झारखंड में कई जगहों पर फंसे हैं मजदूर

मध्य प्रदेश की रहने वाली एक महिला बताती है कि जितने भी पैसे कमाए थे. सब इस लॉकडाउन में खाने-पीने में खर्च हो गए. अब उनके पास खाने की भी समस्या हो रही है. उसका कहना है कि वह किसी तरह अपने घर वापस लौट जाए. झोला बस्ता लेकर अपने परिवार के साथ सड़क पर निकल गई है कि सरकार उनके लिए बस भेजने के लिए प्रबंध की है, लेकिन अंत में निराशा हाथ लगी. प्रवासी मजदूरों को उनके प्रदेश भेजने के लिए झारखंड सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. इसके बावजूद अभी कई प्रवासी मजदूर कई जगहों पर फंसे हुए हैं.

सरकार की योजनाओं का मिलेगा लाभ

भारतीय जनता ट्रेड यूनियन के सचिव हरिनाथ साहू की माने तो कांके प्रखंड में लगभग प्रवासी मजदूर करीब 1 हजार की संख्या में फंसे हुए हैं. ऐसे में इन लोगों को इनके राज्य पहुंचाने का दायित्व उनलोगों का बनता है. उन्होंने कहा कि जल्दी ये लोग अपने घर पहुंचेंगे और वहां के सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं का इन लोगों को भरपूर लाभ मिलेगा.

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