रांची: झारखंड विधानसभा बजट सत्र का आज पांचवां दिन है. आज वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव 12 बजे विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगे. रामेश्वर उरांव लगातार चौथी बार बजट पेश कर रहे हैं.
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गुरुवार को झारखंड विधानसभा में सरकार की ओर से आर्थिक संर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया गया. 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021-22 में झारखंड का विकास दर 8.2 प्रतिशत था. जो कि इस साल 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, वहीं साल 2023-24 के लिए विकास दर 7.4 प्रतिशत अनुमानित है. इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में विकास की रफ्तार कमजोर होती दिख रही है.
बजट सत्र के चौथे दिन कांग्रेस की विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (FPO) का मुद्दा उठाया और पूछा कि राज्य में FPO का गठन कई राज्यों की तुलना में इतना कम क्यों है. इस सवाल के जवाब में कृषिमंत्री बादल ने कहा कि नाबार्ड द्वारा एफपीओ योजना की स्कीम झारखंड में भी लागू है. इस स्कीम के तहत छोटे और सीमांत किसानों को एकीकृत कर कंपनी या कॉपरेटिव अधिनियम के तहत रजिस्ट्रेशन कराया जाता है ताकि वे संगठित होकर इनपुट की खरीद कर किसानों को उपलब्ध कराएं और कृषि उपज को E-NAM एवं अन्य माध्यम से बाजार तक पहुंचा कर सही मूल्य दिलवाए.
कृषि मंत्री ने कहा कि वर्ष 2015-16 में नाबार्ड द्वारा एपीओ का गठन किया जा रहा है जिसमें पहले चरण में भारत सरकार के प्रोड्यूस फंड के तहत 57 एफपीओ का गठन किया गया था. इसके बाद नाबार्ड के पीओडीएफ आईडी फंड से 87 एफपीओ का गठन 2018-19 से किया गया है. इस फंड में एफपीओ (FPO) को ट्रेनिंग, CEO को वेतन, ऑफिस का खर्च, गठित करने की संस्था इत्यादि में मदद किया जाता है इसके अलावा एफपीओ को बिजनेस बढ़ाने के लिए 5,00,000 रुपए तक की मदद भी दी जाती है तथा मार्केटिंग के लिए मोबाइल बैन भी विभाग की ओर से दिया जाता है. उन्होंने बताया कि झारखंड राज्य में भारत सरकार के 10,000 एफपीओ की सेंट्रल सेक्टर योजना में 68 एफपीओ का गठन किया गया है जिन्हें 5 वर्षों तक मदद किया जाएगा.
नेहा शिल्पी तिर्की ने आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों का जिक्र करते हुए पूछा कि अपने राज्य में इतनी कम संख्या में एफपीओ गठन क्यों हुआ है. इस सवाल पर बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य में नाबार्ड के अलावा एजेंसी भी एपीओ का गठन करती है. E-nam के तहत 257 FPO का गठन किया गया है. झारखंड के 262 प्रखंडों में हर प्रखंड में 02-02 FPO बनाने की योजना है, इसके लिए केंद्र की सरकार पर दवाब डाला गया है.