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कुष्ठ रोग झारखंड की एक बड़ी समस्या, 5 फीसदी से ज्यादा लोग आज भी पीड़ित

देश में महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के दिन ही कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है. राजधानी में भी इस मौके पर लोगों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग कई तरह के कार्यक्रम चला रही है. नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बताया कि कुष्ठ से ग्रसित रोगी से घृणा नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें इलाज के लिए उचित जानकारी देना चाहिए.

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Published : Jan 30, 2020, 6:58 PM IST

Leprosy is major problem of Jharkhand
कुष्ठ रोग झारखंड की एक बड़ी समस्या

रांची: आज विश्व कुष्ठ रोग दिवस है. इस मौके पर राजधानी में भी कुष्ठ रोगियों को साक्षर और जागृत करने के लिए सदर अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग ने कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें स्कूली छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक कर लोगों को जागरूक किया. नुक्कड़ नाटक के जरिये सभी ने बताया कि कुष्ठ से ग्रसित रोगी से घृणा ना करें, बल्कि उन्हें इलाज के लिए उचित जानकारी दें.

देखे पूरी खबर

कार्यक्रम के मौके पर डिस्ट्रिक्ट लेप्रोसी अधिकारी डॉ प्रतिभा नारायण ने बताया कि कुष्ठ से ग्रसित रोगियों के लिए लोगों के मन में कई भ्रांतियां फैली हुई है, उन भ्रांतियों को कम करने के लिए महात्मा गांधी के पुण्यतिथि के अवसर पर स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान चलाया गया है, जिसके माध्यम से लोगों को जागृत किया जा रहा है, ताकि जिस प्रकार चेचक और पोलियो जैसी बीमारी पर हमने काबू पाया है, उसी प्रकार कुष्ठ बीमारी पर भी झारखंड पूर्णरूपेण काबू पा सकें.

इसे भी पढ़ें:- 30 जनवरी का इतिहास : जब मौत के कुहासे ने शाम में ही पूरे देश को स्याह कर दिया

सदर अस्पताल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट एस मंडल बताते हैं कि कुष्ठ रोग का इलाज हो सकता है, कुष्ठ से लोगों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है, बस लोगों को इसमें जागरूक होने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आज भी झारखंड के ग्रामीण इलाकों में लाखों लोग कुष्ठ बीमारी से ग्रसित पाए जा रहे हैं, जो निश्चित रूप से एक बड़ी चुनौती है.

कुष्ठ रोग का इलाज हर सरकारी संस्थानों में मुफ्त में किया जाता है और इसकी दवा एमडीटी की खुराक सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त उपलब्ध है.
कुष्ठ बीमारी के लक्षण

  1. दाग का होना.
  2. दाग में सूनापन.
  3. दाग में दर्द या खुजलाहट नहीं होना.
  4. चमड़े का मोटा होना.
  5. चमड़े का रंग लाल होना.
  6. चमड़े में छोटा गांठ निकल जाना.
  7. हाथ अथवा पैर में कमजोरी या विकृति पैदा होना.

कुष्ठ के मरीजों के इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने सहिया और आंगनवाड़ी सेविका को कई जिम्मेदारियां दी हैं
1. संदेहास्पद मरीजों को तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाने की जिम्मेदारी.
2. इलाजरत रोगी का नियमित रूप से देखभाल भी सहिया के जिम्में सौपी गई है.
3.झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में कुष्ठ रोगियों की संख्या ज्यादा देखी जाती है, इसीलिए स्वास्थ विभाग में कार्यरत सहिया को ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण करने और ऐसे रोगियों को ढूंढ कर उचित इलाज कराने की भी जिम्मेदारी दी गई है.

आपको बता दें कि हर वर्ष 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है.

रांची: आज विश्व कुष्ठ रोग दिवस है. इस मौके पर राजधानी में भी कुष्ठ रोगियों को साक्षर और जागृत करने के लिए सदर अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग ने कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें स्कूली छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक कर लोगों को जागरूक किया. नुक्कड़ नाटक के जरिये सभी ने बताया कि कुष्ठ से ग्रसित रोगी से घृणा ना करें, बल्कि उन्हें इलाज के लिए उचित जानकारी दें.

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कार्यक्रम के मौके पर डिस्ट्रिक्ट लेप्रोसी अधिकारी डॉ प्रतिभा नारायण ने बताया कि कुष्ठ से ग्रसित रोगियों के लिए लोगों के मन में कई भ्रांतियां फैली हुई है, उन भ्रांतियों को कम करने के लिए महात्मा गांधी के पुण्यतिथि के अवसर पर स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान चलाया गया है, जिसके माध्यम से लोगों को जागृत किया जा रहा है, ताकि जिस प्रकार चेचक और पोलियो जैसी बीमारी पर हमने काबू पाया है, उसी प्रकार कुष्ठ बीमारी पर भी झारखंड पूर्णरूपेण काबू पा सकें.

इसे भी पढ़ें:- 30 जनवरी का इतिहास : जब मौत के कुहासे ने शाम में ही पूरे देश को स्याह कर दिया

सदर अस्पताल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट एस मंडल बताते हैं कि कुष्ठ रोग का इलाज हो सकता है, कुष्ठ से लोगों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है, बस लोगों को इसमें जागरूक होने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आज भी झारखंड के ग्रामीण इलाकों में लाखों लोग कुष्ठ बीमारी से ग्रसित पाए जा रहे हैं, जो निश्चित रूप से एक बड़ी चुनौती है.

कुष्ठ रोग का इलाज हर सरकारी संस्थानों में मुफ्त में किया जाता है और इसकी दवा एमडीटी की खुराक सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त उपलब्ध है.
कुष्ठ बीमारी के लक्षण

  1. दाग का होना.
  2. दाग में सूनापन.
  3. दाग में दर्द या खुजलाहट नहीं होना.
  4. चमड़े का मोटा होना.
  5. चमड़े का रंग लाल होना.
  6. चमड़े में छोटा गांठ निकल जाना.
  7. हाथ अथवा पैर में कमजोरी या विकृति पैदा होना.

कुष्ठ के मरीजों के इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने सहिया और आंगनवाड़ी सेविका को कई जिम्मेदारियां दी हैं
1. संदेहास्पद मरीजों को तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाने की जिम्मेदारी.
2. इलाजरत रोगी का नियमित रूप से देखभाल भी सहिया के जिम्में सौपी गई है.
3.झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में कुष्ठ रोगियों की संख्या ज्यादा देखी जाती है, इसीलिए स्वास्थ विभाग में कार्यरत सहिया को ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण करने और ऐसे रोगियों को ढूंढ कर उचित इलाज कराने की भी जिम्मेदारी दी गई है.

आपको बता दें कि हर वर्ष 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है.

Intro:विश्व कुष्ठ रोग दिवस के मौके पर राजधानी में भी कुष्ठ रोगियों को साक्षर एवं जागृत करने के लिए सदर अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में स्कूली छात्रों के द्वारा नुक्कड़ नाटक कर कुष्ठ रोगियों को लेकर लोगों को जागृत की गई जिसमें बताया गया कि कुष्ठ से ग्रसित रोगी से घृणा ना करें बल्कि उन्हें इलाज के लिए उचित जानकारी दें।


Body:मौके पर डिस्ट्रिक्ट लेप्रोसी ऑफिसर डॉ प्रतिभा नारायण बताती हैं कि कुष्ठ से ग्रसित रोगियों के लिए लोगों के मन में कई भ्रांतियां फैली हुई है उन भ्रांतियों को कम करने के लिए महात्मा गांधी के पुण्यतिथि के अवसर पर स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान के माध्यम से लोगों को जागृत किया जा रहा है ताकि जिस प्रकार चेचक एवं पोलियो जैसी बीमारी पर हमने काबू पाया है उसी प्रकार कुष्ठ बीमारी पर भी झारखंड पूर्णरूपेण काबू पा सकें।

सदर अस्पताल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट एस मंडल बताते हैं कि कुष्ठ का इलाज हो सकता है,कुष्ठ से लोगों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है बस लोगों को इसमें जागरूक होने की जरूरत है। आज भी झारखंड के ग्रामीण इलाकों में लाखों लोग कुष्ठ बीमारी से ग्रसित पाये जा रहे हैं जो निश्चित रूप से एक बड़ी चुनौती है।

कुष्ठ का इलाज हर सरकारी संस्थानों में मुफ्त में किया जाता है और इसकी दवा एमडीटी की ख़ुराक सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त उपलब्ध हैं।


Conclusion:कुष्ठ बीमारी के लक्षण।
दाग का होना।
दाग में सूनापन।
दाग में दर्द या खुजलाहट नहीं होना।
चमड़े का मोटा होना, चमड़े का रंग लाल होना, चमड़े में छोटा गांठ निकल जाना।
हाथ अथवा पैर में कमजोरी या विकृति पैदा होना।

कुष्ठ के मरीजों के इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सहिया एवं आंगनवाड़ी सेविका को कई जिम्मेदारियां दी गयी है।
1.संदेहास्पद मरीजों को तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है।
2.इलाजरत रोगी का नियमित रूप से देखभाल भी सहिया के जिम्में सौपी गयी है।
3.झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में कुष्ठ रोगियों की संख्या ज्यादा देखी जाती है इसीलिए स्वास्थ विभाग में कार्यरत सहिया को ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण करने एवं ऐसे रोगियों को ढूंढ कर उचित इलाज कराने की भी जिम्मेदारी दी गई है।

आपको बता दें कि हर वर्ष 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है।

बाइट- प्रतिभा नारायण, डिस्ट्रिक्ट लेप्रोसी अधिकारी।
बाइट- डॉ एस मंडल, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट, सदर अस्पताल।
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