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विधानसभा सत्रः विधायकों ने की वार्षिक कोष बढ़ाने की मांग, कई अन्य मुद्दों पर भी सरकार को घेरा

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Published : Mar 19, 2020, 3:58 PM IST

Updated : Mar 19, 2020, 4:41 PM IST

विधानसभा के बजट सत्र में विपक्षी विधायकों ने सरकार को कई मुद्दों पर सरकार को घेरा. विपक्ष का कहना है कि सरकार उनके प्रश्नों का समुचित जवाब देने के बजाए गोलमोल उत्तर दे रही है. विपक्ष ने सरकार पर जमकर सवालों की बौछार की.

विधानसभा
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रांची: झारखंड विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में विधायकों ने एक सुर में अपना वार्षिक विधायक कोष बढ़ाने की मांग की है. इसकी शुरुआत करते हुए बरही से कांग्रेस के विधायक उमाशंकर अकेला ने कहा कि विधायकों को उनके क्षेत्र में कई तरह के विकास कार्य करने होते हैं, जिसके लिए चार करोड़ प्रतिवर्ष मिलने वाली राशि पर्याप्त नहीं है.

उन्होंने कहा कि यह राशि बढ़ाकर 10 करोड़ प्रतिवर्ष कर देनी चाहिए. वहीं बीजेपी के किशुन दास ने कहा कि दिल्ली में एक लाख की आबादी पर 10 करोड़ रुपये दिए जाते हैं. ऐसे में यहां भी यह राशि बढ़कर 10 करोड़ रुपये कर देनी चाहिए.

अकेला के समर्थन में 15 अन्य विधायकों ने भी अपनी बात रखी और कहा कि यह राशि बढ़ाकर 10 करोड़ कर देनी चाहिए. यह मामला जीरो आवर में उठा. इससे पहले सदस्यों ने अपने सवाल के एवज में दिए गए जवाब पर भी आपत्ति जताई.

प्रश्नकाल के दौरान धनबाद से विधायक राज सिन्हा के सवाल पर मिले जवाब को लेकर उन्होंने साफ कहा कि इस तरह का जवाब स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने कहा कि उन्हें जो जवाब दिया गया है वह गलत है.

ऐसे में उन अधिकारियों के प्रति जिम्मेदारी फिक्स करनी चाहिए, जो इस तरह का जवाब देते हैं. राज सिन्हा ने जल संसाधन विभाग में कार्यपालक अभियंता के पदों को लेकर सवाल उठाया था.

हालांकि इस पर संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि 2 महीने के अंदर इस विषय पर निर्णय ले लिया जाएगा. वही आजसू के लंबोदर महतो के बिजली से जुड़े हुए सवाल पर सरयू राय ने भी सरकार को घेरा.

राय ने कहा कि सरकार का उत्तर भ्रामक है. एक तरफ जहां सरकार उत्तर में एक 2,100 मेगा वाट बिजली की जरूरत लिख रही है, वहीं दूसरी तरफ 2,625 मेगा वाट के वितरण का दावा कर रही है.

ऐसे में सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि 4,000 मेगावाट ऊर्जा कहां जा रही है. उन्होंने कहा कि सदन में अधिकारी जिस तरह से उत्तर दे रहे हैं. वह सही नहीं है. दरअसल लंबोदर महतो ने सवाल उठाया था कि राज्य में हर दिन पीक आवर में 2,400 मेगावाट बिजली की उपलब्धता है, जबकि 68 लाख घरों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए 5,000 मेगा वाट की आवश्यकता है. वहीं प्रदीप यादव ने कहा कि सरकार मान रही है कि गलती हुई है.

सत्तारूढ़ विधायक स्टीफन मरांडी ने भी जताई आपत्ति

वही स्टीफन मरांडी ने कहा कि जब मंत्री विभागीय पदाधिकारियों के साथ प्रश्नों की समीक्षा करते हैं. उस दौरान भी उन्हें तय करना चाहिए कि जवाब संतोषजनक है या नहीं. वहीं झामुमो के मथुरा महतो ने ओरमाझी जू में पशु चिकित्सक के खिलाफ हत्या के मामले का सवाल उठाया.

यह भी पढ़ेंः विधानसभा सत्रः भूख से मौत के मामले में विपक्ष का सरकार पर हमला, 10 लाख का मुआवजा देने की मांग

इस पर मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि उनका ट्रांसफर कर दिया जाएगा. दरअसल चिड़ियाघर में कार्यरत राजेंद्र महतो ने पिछले दिनों आत्महत्या कर ली थी. उनकी पत्नी ने वहां तैनात चिकित्सक और अन्य कर्मियों के खिलाफ भी मामला दर्ज कराया था.

वहीं प्रश्नकाल के दौरान भानु प्रताप शाही ने डोमनी बराज का मामला भी उठाया जिस पर संसदीय कार्य मंत्री आलम ने उन्हें भी लोगों से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में मदद करने को कहा.

रांची: झारखंड विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में विधायकों ने एक सुर में अपना वार्षिक विधायक कोष बढ़ाने की मांग की है. इसकी शुरुआत करते हुए बरही से कांग्रेस के विधायक उमाशंकर अकेला ने कहा कि विधायकों को उनके क्षेत्र में कई तरह के विकास कार्य करने होते हैं, जिसके लिए चार करोड़ प्रतिवर्ष मिलने वाली राशि पर्याप्त नहीं है.

उन्होंने कहा कि यह राशि बढ़ाकर 10 करोड़ प्रतिवर्ष कर देनी चाहिए. वहीं बीजेपी के किशुन दास ने कहा कि दिल्ली में एक लाख की आबादी पर 10 करोड़ रुपये दिए जाते हैं. ऐसे में यहां भी यह राशि बढ़कर 10 करोड़ रुपये कर देनी चाहिए.

अकेला के समर्थन में 15 अन्य विधायकों ने भी अपनी बात रखी और कहा कि यह राशि बढ़ाकर 10 करोड़ कर देनी चाहिए. यह मामला जीरो आवर में उठा. इससे पहले सदस्यों ने अपने सवाल के एवज में दिए गए जवाब पर भी आपत्ति जताई.

प्रश्नकाल के दौरान धनबाद से विधायक राज सिन्हा के सवाल पर मिले जवाब को लेकर उन्होंने साफ कहा कि इस तरह का जवाब स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने कहा कि उन्हें जो जवाब दिया गया है वह गलत है.

ऐसे में उन अधिकारियों के प्रति जिम्मेदारी फिक्स करनी चाहिए, जो इस तरह का जवाब देते हैं. राज सिन्हा ने जल संसाधन विभाग में कार्यपालक अभियंता के पदों को लेकर सवाल उठाया था.

हालांकि इस पर संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि 2 महीने के अंदर इस विषय पर निर्णय ले लिया जाएगा. वही आजसू के लंबोदर महतो के बिजली से जुड़े हुए सवाल पर सरयू राय ने भी सरकार को घेरा.

राय ने कहा कि सरकार का उत्तर भ्रामक है. एक तरफ जहां सरकार उत्तर में एक 2,100 मेगा वाट बिजली की जरूरत लिख रही है, वहीं दूसरी तरफ 2,625 मेगा वाट के वितरण का दावा कर रही है.

ऐसे में सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि 4,000 मेगावाट ऊर्जा कहां जा रही है. उन्होंने कहा कि सदन में अधिकारी जिस तरह से उत्तर दे रहे हैं. वह सही नहीं है. दरअसल लंबोदर महतो ने सवाल उठाया था कि राज्य में हर दिन पीक आवर में 2,400 मेगावाट बिजली की उपलब्धता है, जबकि 68 लाख घरों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए 5,000 मेगा वाट की आवश्यकता है. वहीं प्रदीप यादव ने कहा कि सरकार मान रही है कि गलती हुई है.

सत्तारूढ़ विधायक स्टीफन मरांडी ने भी जताई आपत्ति

वही स्टीफन मरांडी ने कहा कि जब मंत्री विभागीय पदाधिकारियों के साथ प्रश्नों की समीक्षा करते हैं. उस दौरान भी उन्हें तय करना चाहिए कि जवाब संतोषजनक है या नहीं. वहीं झामुमो के मथुरा महतो ने ओरमाझी जू में पशु चिकित्सक के खिलाफ हत्या के मामले का सवाल उठाया.

यह भी पढ़ेंः विधानसभा सत्रः भूख से मौत के मामले में विपक्ष का सरकार पर हमला, 10 लाख का मुआवजा देने की मांग

इस पर मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि उनका ट्रांसफर कर दिया जाएगा. दरअसल चिड़ियाघर में कार्यरत राजेंद्र महतो ने पिछले दिनों आत्महत्या कर ली थी. उनकी पत्नी ने वहां तैनात चिकित्सक और अन्य कर्मियों के खिलाफ भी मामला दर्ज कराया था.

वहीं प्रश्नकाल के दौरान भानु प्रताप शाही ने डोमनी बराज का मामला भी उठाया जिस पर संसदीय कार्य मंत्री आलम ने उन्हें भी लोगों से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में मदद करने को कहा.

Last Updated : Mar 19, 2020, 4:41 PM IST
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