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किसान संगठनों के आह्वान पर वामदलों का राजभवन मार्च, तीन सदस्यीय शिष्टमंडल ने राज्यपाल से की मुलाकात

कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. कई राजनीतिक दलों ने भी किसानों के आंदोलन का साथ दिया है. रांची में वामदलों के नेताओं ने कृषि कानून वापस लेने की मांग को लेकर राजभवन मार्च किया. उन्होंने राज्यपाल को पांच सूत्री मांग का ज्ञापन सौंपा.

Left parties march to governor house in ranchi
कृषि कानून के खिलाफ राजभवन मार्च
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Published : Dec 14, 2020, 7:48 PM IST

रांची: कृषि कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े देश के अन्नदाताओं का आंदोलन जारी है. किसान ने केंद्र सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है. देश के कई विपक्षी दलों ने भी किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है. रांची में कई संगठनों ने कृषि कानून के खिलाफ में राजभवन मार्च का आयोजन किया.

देखें पूरी खबर

मोदी सरकार पर निशाना
सीपीआई (एम), सीपीआई, सीपीआई (एमएल), मासस, एसयूसीआई((सी) और फारवर्ड ब्लॉक के अलावा विभिन्न सामाजिक, जन संगठन और ट्रेड यूनियनों ने कृषि कानून के खिलाफ एकजुटता दिखाई. वामदलों का एक तीन सदस्यीय शिष्टमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर राष्ट्रपति के नाम 5सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा. मौके पर सीपीआई के पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता ने कहा कि पिछले 19 दिनों से किसान दिल्ली के ठंड में पड़े हुए हैं, मोदी सरकार सिर्फ वार्ता कर रही है, किसानों के आंदोलन को कभी खलिस्तान सार्थक तो कभी नक्सलियों का साथ की बात कह रही है, हम किसानों के साथ हर कदम खड़े रहेंगे.

अंबानी और अडाणी ग्रुप के सामानों का बहिष्कार
राजभवन के पास आयोजित सभा को किसान संगठनों के नेताओं के अलावा वामदलों के नेताओं गोपीकांत बक्सी, भुवनेश्वर मेहता, जनार्दन प्रसाद, विधायक विनोद सिंह, एसयूसीआई के मिंटू पासवान, मासस के सुशांत मुखर्जी और फारवर्ड ब्लॉक के राकेश और झारखंड राज्य किसान सभा (एआईकेएस) के सुफल महतो के अलावा सामाजिक और जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया. सभा में एक प्रस्ताव पारित कर आम जनता से अडाणी और अंबानी समूह के उत्पादित चीजों का बहिष्कार किए जाने की अपील की गई.

इसे भी पढे़ं: 54 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाएगी सरकार, 260 निर्माणाधीन योजनाओं पर फोकस


कई नेता रहे मौजूद
राजभवन मार्च के दौरान सीटू के प्रकाश विप्लव, सुखनाथ लोहरा, भवन सिंह, आरपी सिंह, एटक के अशोक यादव, ऐक्टू के शुभेंदु सेन, एआईवाईएफ के अजय सिंह, डीवाईएफआई के सुरेश मुंडा, एफएमआरएआई के अनिवाण बोस, बेफी के एमएल सिंह, इप्टा के उमेश नजीर एआईसीडब्लूएफआई के भुवनेश्वर केवट, एआईएसएफ के लोकेश, एसएफआई के मोनाजीर, आइसा की नौरीन महिला संगठनों से वीणा लिंडा, फरजाना फारुकी और रेणू प्रकाश और आदिवासी अधिकार मंच के प्रफुल्ल लिंडा समेत सामाजिक और जनसंगठनों के कई लोग मौजूद थे.

रांची: कृषि कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े देश के अन्नदाताओं का आंदोलन जारी है. किसान ने केंद्र सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है. देश के कई विपक्षी दलों ने भी किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है. रांची में कई संगठनों ने कृषि कानून के खिलाफ में राजभवन मार्च का आयोजन किया.

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सीपीआई (एम), सीपीआई, सीपीआई (एमएल), मासस, एसयूसीआई((सी) और फारवर्ड ब्लॉक के अलावा विभिन्न सामाजिक, जन संगठन और ट्रेड यूनियनों ने कृषि कानून के खिलाफ एकजुटता दिखाई. वामदलों का एक तीन सदस्यीय शिष्टमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर राष्ट्रपति के नाम 5सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा. मौके पर सीपीआई के पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता ने कहा कि पिछले 19 दिनों से किसान दिल्ली के ठंड में पड़े हुए हैं, मोदी सरकार सिर्फ वार्ता कर रही है, किसानों के आंदोलन को कभी खलिस्तान सार्थक तो कभी नक्सलियों का साथ की बात कह रही है, हम किसानों के साथ हर कदम खड़े रहेंगे.

अंबानी और अडाणी ग्रुप के सामानों का बहिष्कार
राजभवन के पास आयोजित सभा को किसान संगठनों के नेताओं के अलावा वामदलों के नेताओं गोपीकांत बक्सी, भुवनेश्वर मेहता, जनार्दन प्रसाद, विधायक विनोद सिंह, एसयूसीआई के मिंटू पासवान, मासस के सुशांत मुखर्जी और फारवर्ड ब्लॉक के राकेश और झारखंड राज्य किसान सभा (एआईकेएस) के सुफल महतो के अलावा सामाजिक और जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया. सभा में एक प्रस्ताव पारित कर आम जनता से अडाणी और अंबानी समूह के उत्पादित चीजों का बहिष्कार किए जाने की अपील की गई.

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कई नेता रहे मौजूद
राजभवन मार्च के दौरान सीटू के प्रकाश विप्लव, सुखनाथ लोहरा, भवन सिंह, आरपी सिंह, एटक के अशोक यादव, ऐक्टू के शुभेंदु सेन, एआईवाईएफ के अजय सिंह, डीवाईएफआई के सुरेश मुंडा, एफएमआरएआई के अनिवाण बोस, बेफी के एमएल सिंह, इप्टा के उमेश नजीर एआईसीडब्लूएफआई के भुवनेश्वर केवट, एआईएसएफ के लोकेश, एसएफआई के मोनाजीर, आइसा की नौरीन महिला संगठनों से वीणा लिंडा, फरजाना फारुकी और रेणू प्रकाश और आदिवासी अधिकार मंच के प्रफुल्ल लिंडा समेत सामाजिक और जनसंगठनों के कई लोग मौजूद थे.

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