रांची: जिले के कांके अंचल स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पीछे की सरकारी जमीन घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को पीई दर्ज कर इसकी जांच करने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंजूरी दे दी है. भष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को अधिकतम 45 दिनों के भीतर इस घोटाले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है. सरकारी जमीन और जुमार नदी को अतिक्रमित करने और बेचने से संबंधित तैयारी में शामिल सरकारी पदाधिकारी, कर्मचारी और जमीन माफिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए.
मीडिया के जरिए सामने आया मामला
मीडिया के जरिए सरकारी जमीन घोटाले से संबंधित यह मामला सामने आया है. मीडिया ने इस बात को उजागर किया था कि कांके लॉ कॉलेज से सटे रिंग रोड के किनारे करीब 25 एकड़ जमीन को प्लॉटिंग कर बेचने की तैयारी की जा रही है, साथ ही भूमाफिया ने जुमार नदी के किनारे को मिट्टी डालकर भरने और जेसीबी से समतल करने का कार्य कर रहे हैं. यहां लगभग 20.59 एकड़ जमीन गैर मजररूआ प्रकृति की है, जिसमें 20.20 एकड़ भूमि खतियान में नदी के रूप में दर्ज है.
ये भी पढ़ें-भारत बंद के समर्थन में रेलवे के रनिंग कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन, रांची रेल मंडल में नहीं दिखा असर
मिट्टी भरवाकर समतलीकरण का कार्य
रांची उपायुक्त ने यह मामला सामने आने के बाद अपर समाहर्ता, भू हदबंदी से इसकी जांच कराई. अपर समाहर्ता ने जांच के बाद उपायुक्त को अपनी रिपोर्ट सौंपी. इस रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि यहां की कुछ खाता संख्या के अंतर्गत आने वाले कुछ प्लॉट बकास्त भूइहरी जमीन खतिहान में दर्ज हैं और खाता संख्या 142 प्लॉट संख्या 2309 गैर मजरुआ मालिक प्रकृति की भूमि है, जो बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के लिए अर्जित है, साथ ही लगभग 20.59 एकड़ जमीन गैर मजरुआ मालिक प्रकृति की है. नदी के रूप में दर्ज 20.20 एकड़ जमीन के अंश भग पर रिवर व्यू गार्डेन के प्रोपराइटर कमलेश कुमार की ओर से मिट्टी भरवाकर समतलीकरण का कार्य कराया जा रहा है.
ये भी पढ़ें-खूंटी: PLFI एरिया कमांडर गिरफ्तार, नक्सली दस्तावेज और लेटर पेड बरामद
कांके के अंचल अधिकारी की संलिप्पता
उपायुक्त ने इस जमीन घोटाले की जांच कराकर रिपोर्ट भू-राजस्व विभाग को सौंपा. इसमें उन्होंने प्रतिवेदित किया है कि जमीन माफिया की ओर से सरकारी जमीन के अतिक्रमण में कांके अंचल के अंचल पदाधिकारी की संलिप्ता से इन्कार नहीं किया जा सकता है. सरकारी जमीन का संरक्षण होने के बावजूद भी अंचल अधिकारी की ओर से सरकारी जमीन और नदी को भरने के मामले को नजरअंदाज करना कहीं न कहीं उनके शामिल होने को इंगित करता है. इतना ही नहीं, कांके अंचल अधिकारी ने इस साल 10 नवंबर को ई- मेल के माध्यम से प्रतिबंधित भूमि की जो सूची उपलब्ध कराई है, उसमें उपरोक्त सरकारी भूमि को प्रतिबंधित सूची में नहीं डाला गया है, जिसमें भू माफियाओं ने कब्जा कर रहे हैं.
अंचल अधिकारी को निलंबित करने की अनुशंसा
उपायुक्त ने प्रतिवेदित रिपोर्ट के माध्यम से कांके के अंचल अधिकारी अनिल कुमार के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की है. उन्होंने रिपोर्ट में कहा कि कांके अंचल अधिकारी से इस जमीन घोटाले के मामले में स्पष्टीकरण की मांग की है, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है. यह उनकी स्वेच्छाचारिता, अनुशासनहीनता और उच्च अधिकारी के आदेश की अवहेलना है. अतः कांके अंचल अधिकारी को निलंबित करते हुए उनकी सेवा कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग को वापस की जा सकती है.