रांचीः बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाई कोर्ट से बेल मिल चुकी है. इसके बाद भी उनकी रिहाई में काफी कठिनाई आ रही है. फिलहाल उन्हें 1 सप्ताह और इंतजार करना होगा. इसकी वजह है कि निचली अदालत में काम नहीं हो रहा है और इसकी वजह से लालू बेल बांड नहीं भर पा रहे हैं.
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2 मई तक अधिवक्ता काम रखेंगे बंद
झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने आपात बैठक कर कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए एक अहम निर्णय लिया है. झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने पूर्व में 1 सप्ताह के लिए अपने अधिवक्ता और अधिवक्ता लिपिक को किसी भी प्रकार की अदालती कार्यवाही से अलग रहने का निर्देश दिया था. 25 अप्रैल रविवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने फिर एक बैठक की और 2 मई तक अधिवक्ता और अधिवक्ता लिपिक को अदालती कार्य से अलग रहने का निर्देश दिया है.
इस निर्णय से लालू की जेल से रिहाई फिलहाल संभव नहीं
स्टेट बार काउंसिल के इस निर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि अधिवक्ता या अधिवक्ता लिपिक इस निर्देश के खिलाफ अगर अदालती कार्य में भाग लेते हैं, तो उनके खिलाफ नियम पूर्वक कार्रवाई की जाएगी. झारखंड स्टेट बार काउंसिल के इस निर्णय से अब लालू प्रसाद की जेल से रिहाई संभव नहीं दिख रही है. उन्हें 2 मई तक इंतजार करना होगा.
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कोरोना की वजह से नहीं भर पा रहे हैं बांड
लालू को जेल से बेल 17 अप्रैल को मिल चुका है. लेकिन राज्य में कोरोना के बढ़ते हुए मामले को देखते हुए मिनी लॉकडाउन लगाया गया है, हालांकि स्टेट बार काउंसिल ने खुद ही कोरोना के बढ़ते हुए मामले को देखते हुए कामकाज बंद रखने का फैसला किया था. स्टेट बार काउंसिल ने 25 अप्रैल तक के लिए यह रोक लगाई थी. जिसे एक हफ्ते के लिए आगे बढ़ा दिया गया है. दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के मामले में लालू को 24 मार्च 2018 को 2 धाराओं में 7-7 साल की सजा और 60 लाख रुपए जुर्माने की सजा दी गई थी. इस मामले में उन्हें 17 अप्रैल 2021 को जमानत मिली है.