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खादी एवं सरस मेले में आकर्षण का केंद्र बनी लाह की चूड़ियां, LIVE बैंगल्स बनाकर दे रहे हैं दुकानदार

रांची के मोरहाबादी मैदान में खादी एवं सरस मेला चल रहा है (Khadi and Saras fair at Morhabadi Maidan Ranchi), जहां लाह की चूड़ियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई है (Lacquer bangles became center of attraction). खास बात यह है कि लाह की चूड़ियों के स्टॉल पर महज 20 मिनट में ही महिलाओं की मनपसंद रंगबिरंगी चूड़ियां वहीं बनाकर दी जा रही है.

Lacquer bangles became center of attraction
लाह की चूड़ियां बनाते कारीगर
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Published : Jan 7, 2023, 8:51 PM IST

Updated : Jan 7, 2023, 10:57 PM IST

देखें संवाददाता उपेंद्र कुमार की रिपोर्ट

रांची: राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव का आयोजन किया गया है (Khadi and Saras fair at Morhabadi Maidan Ranchi). जहां देश-प्रदेश के साढ़े तीन सौ से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं. वहीं हर दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. राज्य खादी ग्रामोद्योग आयोग, ग्रामीण विकास विभाग और राज्य के लघु उद्योग विभाग के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव में सबसे खास और आकर्षण के केंद्र में वह स्टॉल हैं (Lacquer bangles became center of attraction), जहां न सिर्फ लाह से चूड़ियां बनाने का लाइव डेमो दिखाया जा रहा है, बल्कि मनपसंद चूड़ियां 20 मिनट के अंदर बनाकर बेची भी जा रही है.

ये भी पढ़ें: कभी रेजा का काम करती थी शोभा, आज रोजगार दीदी से होती है पहचान

मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम बोर्ड की सहायता से लगाए गए इस स्टाल में एक से बढ़कर एक चूड़ियां चंदन, चंदू अंसारी जैसे कारीगर बना रहे हैं. वहीं राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव में महिलाएं चाहे जिस उम्र और सोसाईटी की हों, वह अपने आंखों के सामने, अपनी फरमाइश के अनुसार चूड़ियां बनवाती हैं. इसके लिए 20 से 30 मिनट तक वह स्टॉल पर इंतजार भी करती हैं और मनपसंद लाह की चूड़ियां लेकर ही घर जाती हैं.


रोजगार के साथ-साथ झारखंड की पहचान भी है लाह: झारखंड की लाह से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला हुआ है. लाह से उत्पाद का निर्माण करने वाले कारीगरों के जीवनयापन का भी यह साधन है. राज्य में वन विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी मिलकर ग्रामीण स्तर पर लाह से चूड़ियां और अन्य उपयोगी वस्तुओं के निर्माण का प्रशिक्षण दे रहे हैं, ताकि राज्य की ग्रामीण आबादी को न सिर्फ गांव में ही रोजगार मिल जाए, बल्कि उनके आकर्षक उत्पाद सस्ते और बेहतरीन होने की वजह से राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान भी बनाए. राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव में हाथों हाथ बनाकर बेची जा रही लाह की चूड़ियों की विशेषता भी यही है कि ये न सिर्फ सुंदर और आकर्षक हैं बल्कि सस्ती भी है.


विश्व में भारत लाह का सबसे बड़ा उत्पादक, देश में झारखंड सबसे आगे: भारत विश्व में जहां लाह का सबसे बड़ा उत्पादक देश है तो देश में कुल लाह का आधा उत्पादन सिर्फ झारखंड में होता है. मुख्य रूप से दो तरह के लाह का उत्पादन झारखंड के किसान एक साल में चार बार करते हैं, जिसमें बड़ा हिस्सा पलाश के वृक्षों पर होने वाले रंगीनी किस्म के कीड़े से होने वाला लाह का होता है.

चूड़ियों के अलावा दवा, फर्नीचर पॉलिश सहित कई उद्योगों में होता है लाह का उपयोग: लाह एक बेहद उपयोगी वन उत्पाद है. मुख्य रूप से झारखंड में पलाश के वृक्षों पर इसकी खेती की जाती है और लाह का उपयोग दवा बनाने के साथ साथ, फर्नीचर का पॉलिश बनाने, श्रृंगार और सजावट की वस्तुओं को बनाने, फलों को टिकाऊ बनाने के लिए कोटिंग करने सहित कई जगहों पर होता है.

देखें संवाददाता उपेंद्र कुमार की रिपोर्ट

रांची: राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव का आयोजन किया गया है (Khadi and Saras fair at Morhabadi Maidan Ranchi). जहां देश-प्रदेश के साढ़े तीन सौ से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं. वहीं हर दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. राज्य खादी ग्रामोद्योग आयोग, ग्रामीण विकास विभाग और राज्य के लघु उद्योग विभाग के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव में सबसे खास और आकर्षण के केंद्र में वह स्टॉल हैं (Lacquer bangles became center of attraction), जहां न सिर्फ लाह से चूड़ियां बनाने का लाइव डेमो दिखाया जा रहा है, बल्कि मनपसंद चूड़ियां 20 मिनट के अंदर बनाकर बेची भी जा रही है.

ये भी पढ़ें: कभी रेजा का काम करती थी शोभा, आज रोजगार दीदी से होती है पहचान

मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम बोर्ड की सहायता से लगाए गए इस स्टाल में एक से बढ़कर एक चूड़ियां चंदन, चंदू अंसारी जैसे कारीगर बना रहे हैं. वहीं राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव में महिलाएं चाहे जिस उम्र और सोसाईटी की हों, वह अपने आंखों के सामने, अपनी फरमाइश के अनुसार चूड़ियां बनवाती हैं. इसके लिए 20 से 30 मिनट तक वह स्टॉल पर इंतजार भी करती हैं और मनपसंद लाह की चूड़ियां लेकर ही घर जाती हैं.


रोजगार के साथ-साथ झारखंड की पहचान भी है लाह: झारखंड की लाह से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला हुआ है. लाह से उत्पाद का निर्माण करने वाले कारीगरों के जीवनयापन का भी यह साधन है. राज्य में वन विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी मिलकर ग्रामीण स्तर पर लाह से चूड़ियां और अन्य उपयोगी वस्तुओं के निर्माण का प्रशिक्षण दे रहे हैं, ताकि राज्य की ग्रामीण आबादी को न सिर्फ गांव में ही रोजगार मिल जाए, बल्कि उनके आकर्षक उत्पाद सस्ते और बेहतरीन होने की वजह से राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान भी बनाए. राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव में हाथों हाथ बनाकर बेची जा रही लाह की चूड़ियों की विशेषता भी यही है कि ये न सिर्फ सुंदर और आकर्षक हैं बल्कि सस्ती भी है.


विश्व में भारत लाह का सबसे बड़ा उत्पादक, देश में झारखंड सबसे आगे: भारत विश्व में जहां लाह का सबसे बड़ा उत्पादक देश है तो देश में कुल लाह का आधा उत्पादन सिर्फ झारखंड में होता है. मुख्य रूप से दो तरह के लाह का उत्पादन झारखंड के किसान एक साल में चार बार करते हैं, जिसमें बड़ा हिस्सा पलाश के वृक्षों पर होने वाले रंगीनी किस्म के कीड़े से होने वाला लाह का होता है.

चूड़ियों के अलावा दवा, फर्नीचर पॉलिश सहित कई उद्योगों में होता है लाह का उपयोग: लाह एक बेहद उपयोगी वन उत्पाद है. मुख्य रूप से झारखंड में पलाश के वृक्षों पर इसकी खेती की जाती है और लाह का उपयोग दवा बनाने के साथ साथ, फर्नीचर का पॉलिश बनाने, श्रृंगार और सजावट की वस्तुओं को बनाने, फलों को टिकाऊ बनाने के लिए कोटिंग करने सहित कई जगहों पर होता है.

Last Updated : Jan 7, 2023, 10:57 PM IST
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