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रांचीः सफाई के लिए बुनियादी ढांचा ही नहीं, कैसे जीतेंगे महामारी से लड़ाई

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Published : Sep 24, 2020, 6:04 AM IST

किसी भी शहर में साफ-सफाई व्यवस्था के लिए सीवर-ड्रेनेज की व्यवस्था, नालियां साफ होना और कचरा-सीवेज के निस्तारण के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जरूरी है पर रांची नगर निगम अब तक इन बुनियादी सुविधाओं को नहीं जुटा सका है. पहले फेज में नौ वार्ड के लिए 2015 में शुरू किया गया सीवर ड्रेनेज प्रोजेक्ट ही अधर में लटका है. ऐसे में आगे की योजना की स्थिति का अनुमान लगा सकते हैं, निगम के पास अपना एसटीपी तक नहीं है. इसके संक्रामक बीमारी से लड़ाई पर सवाल उठ रहे हैं.

lack of infrastructure for sanitation in ranchi
रांची में सफाई के लिए बुनियादी ढांचा नहीं

रांचीः शहर के लोगों के सिर पर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है पर इसके प्रसार को रोकने के लिए सबसे जरूरी सफाई और सेनेटाइजेशन व्यवस्था ही यहां बहुत ठीक नहीं है. नगर निगम अभी तक राजधानी के सभी मोहल्लों में सीवर लाइन तक नहीं बिछा सका है. इसके अलावा सीवरेज के ट्रीटमेंट के लिए एसटीपी भी नगर निगम के पास नहीं है. इससे यहां की सफाई व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं, जो वायरस के प्रकोप के खतरे को तो बढ़ा ही रहा है. दूसरी संक्रामक बीमारियों के लिए भी रास्ता खोल रहा है.

देखें पूरी खबर

ऐसा नहीं है कि नगर निगम ने शहर में सीवर लाइन बिछाने के लिए सोचा नहीं है पर योजनाएं अफसरों की लापरवाही की वजह से अब तक जमीन पर नहीं उतर पाईं. वर्ष 2015 से शहर के नौ वार्ड के लिए शुरू किया गया सीवरेज ड्रेनेज प्रोजेक्ट अभी भी अधर में लटका है. अभी तक फेज एक के लक्ष्य के मुताबिक भी वार्डों में सीवर लाइन नहीं बिछाई जा सकी. 5 वर्षों बाद भी मात्र 37 प्रतिशत कार्य ही उसका पूरा हुआ है, जबकि इसके तहत एक एसटीपी भी बनना था. ऐसे में रांची में वर्तमान में घरों से निकलने वाला अपशिष्ट खुली नालियों में ही बह रहा है. यह परिस्थिति संक्रमण के खतरे को बढ़ाने वाली है.

सीवर लाइन के साथ चल रही पानी की लाइन

जानकारों की मानें तो जिन जगहों पर सीवर लाइन बिछ भी गई है, ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण व होने से सीवर लाइन को घरों से जोड़ा नहीं गया है. साथ ही वाटर सप्लाई की पाइप भी नालियों के साथ-साथ घरों तक पहुंची है, जो खतरनाक साबित हो सकता है.इस संबंध में मेयर आशा लकड़ा कहना है कि फिलहाल कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए विशेष सफाई अभियान चलाया जा रहा है, ताकि संक्रमण पर अंकुश लग सके.

यह भी पढ़ें-सदन में बाबूलाल मरांडी की बात नहीं सुनने पर विपक्ष नाराज, सुदेश महतो ने कहा- गलत परिपाटी की शुरुआत

एहतियात बरतना जरूरी

रिम्स के डॉक्टर चंद्रभूषण का कहना है कि कोरोना एक संक्रामक बीमारी है. इसलिए गाइडलाइन का पालन जरूरी है. इसी के साथ साफ-सफाई व्यवस्था पर भी अधिक ध्यान देना होगा, क्योंकि अभी प्रशासन का ध्यान कोरोना से लड़ाई पर है, ऐसे में असावधानी से मच्छर जनित मलेरिया, टायफाइड जैसी बीमारियों के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. इनमें से कई की वजह पानी का एक जगह पर ठहरना है और नालियों के चोक होने से यह दिक्कत बढ़ जाती है.

सीवर के लिए चल रही टेंडर प्रक्रिया

वहीं रांची नगर निगम के उप नगर आयुक्त शंकर यादव का कहना है कि सीवर लाइन के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है. कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए भी विशेष एहतियात बरता जा रहा है. जिस घर में कोरोना संक्रमित मरीज पाए जा रहे हैं, उस घर में सेनेटाइजेशन और वहां से निकलने वाले कचरे को अलग से उठाया जा रहा है. वहीं लोगों को हिदायत दी गई है कि जब तक सफाईकर्मी नहीं पहुंचते हैं, उसे इधर उधर न फेंकें.

यह भी पढ़ें-मोदी सरकार ने गेहूं का एमएसपी ₹50 बढ़ाकर 1,975 प्रति क्विंटल किया

ड्रेनेज प्रोजेक्ट में देरी के लिए अफसर जिम्मेदार

इधर वार्ड 18 के पूर्व पार्षद राजेश गुप्ता शहर में सीवर लाइन न बिछने के लिए सीधे तौर पर रांची नगर निगम को जिम्मेदार ठहराते हैं. उनका कहना है कि सीवरेज ड्रेनेज प्रोजेक्ट में करोड़ों का भुगतान हो चुका है पर काम पूरा नहीं कराया जाना अफसरों की लापरवाही है. हाल यह है कि वार्ड एक से पांच और वार्ड 30 से 35 के बीच सीवर लाइन बिछ भी गई है, पर इसे घरों से नहीं जोड़ा जा सका है. इससे यहां के इलाके में हल्की बारिश में ही जलभराव हो जाता है.

नहीं बना सीवर ट्रीटमेंट प्लांट

राजधानी में साफ-सफाई व्यवस्था चौकस बनाने के लिए डेढ़ दशक पहले योजना बनाई गई थी. इसके तहत चार फेज में राजधानी में सीवर ड्रेनेज और एसटीपी का काम होना था पर विभिन्न कारणों से 2015 में इस पर काम शुरू हो सका. वार्ड नंबर 4 के बड़गाईं इलाके में ट्रीटमेंट प्लांट बनना था लेकिन 85 करोड़ रुपये खर्च होने का बाद भी मात्र 37 प्रतिशत ही काम कराया जा सका है. जानकारों का कहना है कि पहले फेज के लिए 357 करोड़ रुपये में ज्योति बिल्डटेक को प्रोजेक्ट का ठेका दिया गया था पर कंपनी लक्ष्य पूरा नहीं कर सकी.

रांचीः शहर के लोगों के सिर पर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है पर इसके प्रसार को रोकने के लिए सबसे जरूरी सफाई और सेनेटाइजेशन व्यवस्था ही यहां बहुत ठीक नहीं है. नगर निगम अभी तक राजधानी के सभी मोहल्लों में सीवर लाइन तक नहीं बिछा सका है. इसके अलावा सीवरेज के ट्रीटमेंट के लिए एसटीपी भी नगर निगम के पास नहीं है. इससे यहां की सफाई व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं, जो वायरस के प्रकोप के खतरे को तो बढ़ा ही रहा है. दूसरी संक्रामक बीमारियों के लिए भी रास्ता खोल रहा है.

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ऐसा नहीं है कि नगर निगम ने शहर में सीवर लाइन बिछाने के लिए सोचा नहीं है पर योजनाएं अफसरों की लापरवाही की वजह से अब तक जमीन पर नहीं उतर पाईं. वर्ष 2015 से शहर के नौ वार्ड के लिए शुरू किया गया सीवरेज ड्रेनेज प्रोजेक्ट अभी भी अधर में लटका है. अभी तक फेज एक के लक्ष्य के मुताबिक भी वार्डों में सीवर लाइन नहीं बिछाई जा सकी. 5 वर्षों बाद भी मात्र 37 प्रतिशत कार्य ही उसका पूरा हुआ है, जबकि इसके तहत एक एसटीपी भी बनना था. ऐसे में रांची में वर्तमान में घरों से निकलने वाला अपशिष्ट खुली नालियों में ही बह रहा है. यह परिस्थिति संक्रमण के खतरे को बढ़ाने वाली है.

सीवर लाइन के साथ चल रही पानी की लाइन

जानकारों की मानें तो जिन जगहों पर सीवर लाइन बिछ भी गई है, ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण व होने से सीवर लाइन को घरों से जोड़ा नहीं गया है. साथ ही वाटर सप्लाई की पाइप भी नालियों के साथ-साथ घरों तक पहुंची है, जो खतरनाक साबित हो सकता है.इस संबंध में मेयर आशा लकड़ा कहना है कि फिलहाल कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए विशेष सफाई अभियान चलाया जा रहा है, ताकि संक्रमण पर अंकुश लग सके.

यह भी पढ़ें-सदन में बाबूलाल मरांडी की बात नहीं सुनने पर विपक्ष नाराज, सुदेश महतो ने कहा- गलत परिपाटी की शुरुआत

एहतियात बरतना जरूरी

रिम्स के डॉक्टर चंद्रभूषण का कहना है कि कोरोना एक संक्रामक बीमारी है. इसलिए गाइडलाइन का पालन जरूरी है. इसी के साथ साफ-सफाई व्यवस्था पर भी अधिक ध्यान देना होगा, क्योंकि अभी प्रशासन का ध्यान कोरोना से लड़ाई पर है, ऐसे में असावधानी से मच्छर जनित मलेरिया, टायफाइड जैसी बीमारियों के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. इनमें से कई की वजह पानी का एक जगह पर ठहरना है और नालियों के चोक होने से यह दिक्कत बढ़ जाती है.

सीवर के लिए चल रही टेंडर प्रक्रिया

वहीं रांची नगर निगम के उप नगर आयुक्त शंकर यादव का कहना है कि सीवर लाइन के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है. कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए भी विशेष एहतियात बरता जा रहा है. जिस घर में कोरोना संक्रमित मरीज पाए जा रहे हैं, उस घर में सेनेटाइजेशन और वहां से निकलने वाले कचरे को अलग से उठाया जा रहा है. वहीं लोगों को हिदायत दी गई है कि जब तक सफाईकर्मी नहीं पहुंचते हैं, उसे इधर उधर न फेंकें.

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ड्रेनेज प्रोजेक्ट में देरी के लिए अफसर जिम्मेदार

इधर वार्ड 18 के पूर्व पार्षद राजेश गुप्ता शहर में सीवर लाइन न बिछने के लिए सीधे तौर पर रांची नगर निगम को जिम्मेदार ठहराते हैं. उनका कहना है कि सीवरेज ड्रेनेज प्रोजेक्ट में करोड़ों का भुगतान हो चुका है पर काम पूरा नहीं कराया जाना अफसरों की लापरवाही है. हाल यह है कि वार्ड एक से पांच और वार्ड 30 से 35 के बीच सीवर लाइन बिछ भी गई है, पर इसे घरों से नहीं जोड़ा जा सका है. इससे यहां के इलाके में हल्की बारिश में ही जलभराव हो जाता है.

नहीं बना सीवर ट्रीटमेंट प्लांट

राजधानी में साफ-सफाई व्यवस्था चौकस बनाने के लिए डेढ़ दशक पहले योजना बनाई गई थी. इसके तहत चार फेज में राजधानी में सीवर ड्रेनेज और एसटीपी का काम होना था पर विभिन्न कारणों से 2015 में इस पर काम शुरू हो सका. वार्ड नंबर 4 के बड़गाईं इलाके में ट्रीटमेंट प्लांट बनना था लेकिन 85 करोड़ रुपये खर्च होने का बाद भी मात्र 37 प्रतिशत ही काम कराया जा सका है. जानकारों का कहना है कि पहले फेज के लिए 357 करोड़ रुपये में ज्योति बिल्डटेक को प्रोजेक्ट का ठेका दिया गया था पर कंपनी लक्ष्य पूरा नहीं कर सकी.

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