रांची: झारखंड में अब तक एक करोड़ 12 लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना का वैक्सीन भले ही लग चुका हो, लेकिन राज्य शुरू से ही लगातार वैक्सीन की कमी से जूझता रहा है. 03 लाख वैक्सीन हर दिन लगाने की क्षमता वाले राज्य में वैक्सीन की कमी के चलते एक दिन में अधिकतम डेढ़ लाख तक वैक्सीन ही लग सका है.
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कभी कोविशिल्ड की कमी तो कभी कोवैक्सीन नदारत
झारखंड में टीकाकरण की शुरुआत से ही लगातार कभी कोविशिल्ड तो कभी कोवैक्सीन की कमी देखी जा रही है. इसकी वजह केंद्र सरकार की ओर से कम मात्रा में वैक्सीन मिलना है. कुछ दिन पहले तक राज्य में कोविशिल्ड की कमी हो गयी थी और सभी को कोवैक्सीन दिया जा रहा था. अब कोविशिल्ड का स्टॉक है तो कोवैक्सीन गायब है.
स्वदेशी कोवैक्सीन पहला और दूसरा डोज में 28 दिन का ही गैप होता है. ऐसे में बड़ी संख्या में वैसे लोग जिन्होंने 28 दिन पहले कोवैक्सीन का पहला डोज लिया था वह अब दूसरे डोज के लिए वैक्सीनेशन सेंटर का चक्कर लगा रहे हैं और बैरंग वापस लौट रहे हैं.
कल से कोवैक्सीन उपलब्ध होने की उम्मीद
रांची सदर अस्पताल के नोडल अधिकारी वैक्सीनेशन डॉ बिमलेश सिंह कहते हैं कि राजधानी में कोवैक्सीन उपलब्ध नहीं होने से परेशानी हो रही है. लेकिन 99% उम्मीद है कि कल कोवैक्सीन उपलब्ध हो सकेगा.
वैक्सीन बर्बाद
झारखंड में वैक्सीन की किल्लत के बीच स्वास्थ्य विभाग ने जून महीने में जो आंकड़ें पेश किए ते वो काफी चौकाने वाले थे. विभाग के मुताबिक राज्य को मिले 58 लाख 17 हजार 250 डोज में से 1 लाख 51 हजार 363 डोज बर्बाद हो गए. जो कुल डोज का 2.60 फीसदी है. विभाग ने बर्बादी के इस आंकड़े को संतोषजनक बताया था. लेकिन केरल और पश्चिमबंगाल में जिस तरह वैक्सीन का निगेटिव लॉस है उससे झारखंड में वैक्सीनेशन अभियान के तरीकों पर सवाल उठने लगे थे.