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बेड की कमी से जूझ रहा राजधानी का अस्पताल, रेलवे के पास है 270 वेड का आइसोलेशन वार्ड - रांची में कोरोना का कहर जारी

साल 2020 में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीज रेलवे की ओर ट्रेन में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया था. एक बार फिर कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन सुविधा के लिए बनाया गया आइसोलेशन वार्ड देखरेख के अभाव में जंग खा रहा है.

Lack of beds in hospitals of Ranchi
बेड की कमी से जूझ रहा राजधानी का अस्पताल
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Published : Apr 12, 2021, 5:36 PM IST

रांचीः राजधानी रांची में कोरोना का कहर जारी है और कोरोना की यह दूसरी लहर जानलेवा साबित हो रही है. गंभीर मरीजों के लिए शहर के अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं है. इसके बावजूद रेलवे की ओर से तैयार किया गया आइसोलेशन वार्ड जंग खा रहा है. क्योंकि राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग का इस ओर ध्यान नहीं है.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- रांची में बढ़ते कोरोना को लेकर गठित कोषांगों की डीसी ने की समीक्षा, समंवय के साथ काम करने का निर्देश


कोरोना के पहली लहर के दौरान बनाया गया था आइसोलेशन कोच
रेल मंत्रालय की ओर से कोरोना महामारी के प्रथम चरण के दौरान ही वर्ष 2020 में तमाम रेल मंडलों को यह निर्देश दिया गया था कि वह भी अपने स्तर से आइसोलेशन वार्ड तैयार करके रखे. ताकि आपात स्थिति से निपटने के लिए वह काम आएगा. बीते वर्ष रांची रेल मंडल की ओर से इस निर्देश का पालन करते हुए 60 कोच में 540 वेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार किया गया था. जहां 540 मरीजों को भर्ती कर इलाज कराने की सारी व्यवस्था की गई थी. प्रत्येक कोच में 9 बेड तैयार किए गए थे. लेकिन आइसोलेशन कोच में मरीजों का इलाज नहीं किया गया. कोरोना की पहली लहर कम होने के साथ ही आधे बेड को रेलवे की ओर से हटा भी लिया गया.

अभी भी 270 बेड मौजूद
हालांकि अभी भी 270 बेड बचे हैं. जहां ऑक्सीजन सपोर्ट देकर गंभीर मरीजों का इलाज किया जा सकता है. रेलवे के आइसोलेशन वार्ड में मरीजों के लिए सारे इंतजाम किए गए थे. इसमें हेल्थ वर्कर के लिए भी व्यवस्था इस कोच में की गई है. इस कोच में ऑक्सीजन सपोर्ट की भी व्यवस्था है. जिसकी जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद से मरीजों को ऑक्सीजन का सप्लाई दिया जा सके. वर्तमान स्थिति को देखते हुए इन आइसोलेशन कोच का इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन इस ओर विभाग का ध्यान है ही नहीं. जबकि दूसरी और राजधानी के निजी और सरकारी अस्पतालों में बेड फूल हो चुके हैं. क्रिटिकल मरीजों को भी बेड उपलब्ध नहीं हो रहा है.

रेलवे की मानें तो अभी भी 270 बेड है. जहां मरीजों का इलाज किया जा सकता है. हेल्थ डिपार्टमेंट अगर रेलवे से इसकी मांग करती है तो रेलवे कोरोना के इस लड़ाई में हर संभव स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन का मदद करने के लिए तैयार है. बस कोच को दोबारा मेंटेनेंस कर रखरखाव करने के बाद उसे मुहैया किया जा सकेगा.

रांचीः राजधानी रांची में कोरोना का कहर जारी है और कोरोना की यह दूसरी लहर जानलेवा साबित हो रही है. गंभीर मरीजों के लिए शहर के अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं है. इसके बावजूद रेलवे की ओर से तैयार किया गया आइसोलेशन वार्ड जंग खा रहा है. क्योंकि राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग का इस ओर ध्यान नहीं है.

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कोरोना के पहली लहर के दौरान बनाया गया था आइसोलेशन कोच
रेल मंत्रालय की ओर से कोरोना महामारी के प्रथम चरण के दौरान ही वर्ष 2020 में तमाम रेल मंडलों को यह निर्देश दिया गया था कि वह भी अपने स्तर से आइसोलेशन वार्ड तैयार करके रखे. ताकि आपात स्थिति से निपटने के लिए वह काम आएगा. बीते वर्ष रांची रेल मंडल की ओर से इस निर्देश का पालन करते हुए 60 कोच में 540 वेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार किया गया था. जहां 540 मरीजों को भर्ती कर इलाज कराने की सारी व्यवस्था की गई थी. प्रत्येक कोच में 9 बेड तैयार किए गए थे. लेकिन आइसोलेशन कोच में मरीजों का इलाज नहीं किया गया. कोरोना की पहली लहर कम होने के साथ ही आधे बेड को रेलवे की ओर से हटा भी लिया गया.

अभी भी 270 बेड मौजूद
हालांकि अभी भी 270 बेड बचे हैं. जहां ऑक्सीजन सपोर्ट देकर गंभीर मरीजों का इलाज किया जा सकता है. रेलवे के आइसोलेशन वार्ड में मरीजों के लिए सारे इंतजाम किए गए थे. इसमें हेल्थ वर्कर के लिए भी व्यवस्था इस कोच में की गई है. इस कोच में ऑक्सीजन सपोर्ट की भी व्यवस्था है. जिसकी जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद से मरीजों को ऑक्सीजन का सप्लाई दिया जा सके. वर्तमान स्थिति को देखते हुए इन आइसोलेशन कोच का इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन इस ओर विभाग का ध्यान है ही नहीं. जबकि दूसरी और राजधानी के निजी और सरकारी अस्पतालों में बेड फूल हो चुके हैं. क्रिटिकल मरीजों को भी बेड उपलब्ध नहीं हो रहा है.

रेलवे की मानें तो अभी भी 270 बेड है. जहां मरीजों का इलाज किया जा सकता है. हेल्थ डिपार्टमेंट अगर रेलवे से इसकी मांग करती है तो रेलवे कोरोना के इस लड़ाई में हर संभव स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन का मदद करने के लिए तैयार है. बस कोच को दोबारा मेंटेनेंस कर रखरखाव करने के बाद उसे मुहैया किया जा सकेगा.

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