रांची: राजधानी सहित पूरे राज्य में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन तेज गति से बढ़ती ही जा रही है. जिसके कारण कोविड-19 मरीजों के लिए बनाए गए बेड की संख्या कम हो चुकी है. राजधानी की बात करें, तो राजधानी रांची में मरीजों की संख्या तकरीबन 750 हो चुकी है, तो वहीं कोविड-19 मरीजों के लिये बनाये गये बेड की संख्या मात्र 650 के करीब ही है.
इन्हीं समस्याओं को देखते हुए और बेड की संख्या को बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन ने राजधानी के कई होटल को बुक करने की पहल की है ताकि जो मरीज बिना लक्षण वाले हैं, उन्हें होटल में भर्ती किया जा सके.
उपायुक्त ने की वार्ता
इसको लेकर उपायुक्त और जिला प्रशासन की टीम ने राजधानी के होटल संचालकों से वार्ता की. जिसमें यह तय किया गया कि स्टेशन के पास रोड किनारे जो भी होटल हैं, उन्हें एसिंप्टोमेटिक मरीजों के लिए बुक किया जाए. जिस पर होटल मालिकों ने सहमति भी जताई.
लोगों ने जताया विरोध
जिला प्रशासन के इस पहल पर होटल किनारे रहने वाले लोगों ने विरोध भी किया. विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि आवासीय इलाके में बने होटलों को कोविड-19 मरीजों के लिए चिंहित ना की जाए क्योंकि होटल के पास में बने निजी घरों में रहने वाले लोगों को संक्रमण का खतरा हो सकता है.
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क्या है होटल व्यवसाई का कहना
होटल व्यवसाई संघ के प्रेसिडेंट रंजीत राजपाल ने बताया कि जिला प्रशासन की टीम के साथ बातचीत जारी है और बातचीत में यह ध्यान रखा जा रहा है कि सरकार से जो भी होटल स्टेशन रोड में बुक किए जा रहे हैं. वह सड़क किनारे हो क्योंकि जो भी होटल सड़क किनारे हैं उनके आसपास कोई निजी घर नहीं है. इसे लेकर होटल व्यवसायियों के साथ जिला प्रशासन की टीम लगातार संपर्क बनाए हुई है. ताकि राजधानी में कोविड-19 मरीजों के लिए की बेड के कम हो रही संख्या की संकट को कम किया जा सका.
आर्थिक संकट होगा दूर
बता दें कि जिला प्रशासन ने यह तय किया है कि स्टेशन रोड के पास 5 होटल में 100 बेड को तैयार करने की बात कही जा रही है, जहां गुरु नानक अस्पताल और देवकमल अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी जनहित में लोगों की देखभाल करेंगे. साथ ही मरीजों और होटल कर्मचारियों को स्वास्थ्य लाभ भी देंगे. होटल में एसिंप्टोमेटिक मरीजों को रखने से कहीं ना कहीं सरकारी व्यवस्था पर भी भार कम होगा और महीनों से आर्थिक संकट से जूझ रहे होटल व्यवसायियों को भी लाभ होगा क्योंकि जो भी मरीज होटल में भर्ती होंगे उन्हें प्रतिदिन ढाई हजार से साढ़े तीन हजार तक भुगतान करना पड़ेगा.