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मजदूर दिवसः राजधानी रांची के मजदूरों के चेहरे पर दिखी मायूसी, संक्रमण के कारण नहीं मिल रहा कोई काम

एक मई यानी मजदूर दिवस को सामाजिक संगठनों की ओर से कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण कोई समारोह आयोजित नहीं किया गया. वहीं, राजधानी रांची के मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है, जिससे उनके चेहरे मायूस हैं.

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राजधानी रांची के मजदूरों के चेहरे पर दिखी मायूसी
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Published : May 1, 2021, 8:12 PM IST

रांची: झारखंड में दिन-प्रतिदिन कोरोना संक्रमण फैलता जा रहा है. संक्रमण के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने लॉकडाउन लगाया है. इस लॉकडाउन का असर मजदूर दिवस यानी शनिवार को राजधानी रांची में दिखा, जहां मजदूरों के चेहरे पर खुशी के बदले मायूसी थी.

देखें पूरी रिपोर्ट

यह भी पढ़ेंःविदेशों में महफूज नहीं बगोदर के प्रवासी मजदूर, अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट

कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष विभिन्न संस्थाओं द्वारा मजदूर दिवस समारोह नहीं मनाया गया, लेकिन मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ने वाले कई संस्थानों ने मजदूरों के बीच राशन और अन्य जरूरी सामान का वितरण कर मजदूरों को सम्मानित किया है. ईटीवी भारत की टीम ने अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर राजधानी के मजदूरों से बात की, तो मजदूरों ने अपनी परेशानी साझा करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण काम नहीं मिल रहा है.

वैकल्पिक व्यवस्था करे सरकार

दिहाड़ी मजदूर सोनू कुमार कहते है कि राज्य सरकार के निर्देश पर लॉकडाउन लगाया गया है. इससे काम मिलने में काफी परेशानी हो रही है. उन्होंने राज्य सरकार से हम आग्रह करते हुए कहा कि हम गरीब मजदूरों के लिए कुछ वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, ताकि हम लोग अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.

नहीं मिल रहा कोई काम

मोरहाबादी चौक पर बैठे दिहाड़ी मजदूर सुनील कुमार कहते हैं कि कोरोना काल में काम नहीं मिल रहा है. इससे परिवार चलाना काफी मिश्किल हो गया है. उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि मजदूरों के लिए अतिरिक्त भत्ता की व्यवस्था करें, ताकि हमें कुछ पैसे मिल सकें.

श्रम कानून के तहत मुहैया कराई जाए सुविधा

मजदूर नेता भुवनेश्वर केवट कहते हैं कि स्वास्थ्य विभाग के कनीय कर्मचारी लगातार मरीजों की सेवा और अस्पतालों में काम कर रहे हैं. इससे उनके जीवन को काफी खतरा है. इसके बावजूद कोई सुविधा नहीं मिल रहा है. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि संगठित और असंगठित मजदूरों को श्रम कानून के तहत सुविधाएं मुहैया कराई जाएं. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष भी सरकार की ओर से घोषणा की गई थी, वह घोषणा अब तक पूरी नहीं हुई है. इसीलिए इस मजदूर दिवस के अवसर पर सरकार से मांग करते हैं कि सिर्फ घोषणाएं नहीं बल्कि मजदूरों की समस्याओं को देखते हुए मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएं.

रांची: झारखंड में दिन-प्रतिदिन कोरोना संक्रमण फैलता जा रहा है. संक्रमण के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने लॉकडाउन लगाया है. इस लॉकडाउन का असर मजदूर दिवस यानी शनिवार को राजधानी रांची में दिखा, जहां मजदूरों के चेहरे पर खुशी के बदले मायूसी थी.

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कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष विभिन्न संस्थाओं द्वारा मजदूर दिवस समारोह नहीं मनाया गया, लेकिन मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ने वाले कई संस्थानों ने मजदूरों के बीच राशन और अन्य जरूरी सामान का वितरण कर मजदूरों को सम्मानित किया है. ईटीवी भारत की टीम ने अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर राजधानी के मजदूरों से बात की, तो मजदूरों ने अपनी परेशानी साझा करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण काम नहीं मिल रहा है.

वैकल्पिक व्यवस्था करे सरकार

दिहाड़ी मजदूर सोनू कुमार कहते है कि राज्य सरकार के निर्देश पर लॉकडाउन लगाया गया है. इससे काम मिलने में काफी परेशानी हो रही है. उन्होंने राज्य सरकार से हम आग्रह करते हुए कहा कि हम गरीब मजदूरों के लिए कुछ वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, ताकि हम लोग अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.

नहीं मिल रहा कोई काम

मोरहाबादी चौक पर बैठे दिहाड़ी मजदूर सुनील कुमार कहते हैं कि कोरोना काल में काम नहीं मिल रहा है. इससे परिवार चलाना काफी मिश्किल हो गया है. उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि मजदूरों के लिए अतिरिक्त भत्ता की व्यवस्था करें, ताकि हमें कुछ पैसे मिल सकें.

श्रम कानून के तहत मुहैया कराई जाए सुविधा

मजदूर नेता भुवनेश्वर केवट कहते हैं कि स्वास्थ्य विभाग के कनीय कर्मचारी लगातार मरीजों की सेवा और अस्पतालों में काम कर रहे हैं. इससे उनके जीवन को काफी खतरा है. इसके बावजूद कोई सुविधा नहीं मिल रहा है. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि संगठित और असंगठित मजदूरों को श्रम कानून के तहत सुविधाएं मुहैया कराई जाएं. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष भी सरकार की ओर से घोषणा की गई थी, वह घोषणा अब तक पूरी नहीं हुई है. इसीलिए इस मजदूर दिवस के अवसर पर सरकार से मांग करते हैं कि सिर्फ घोषणाएं नहीं बल्कि मजदूरों की समस्याओं को देखते हुए मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएं.

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