रांची: सरेंडर कर चुके हार्डकोर नक्सली कुंदन पाहन को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. पुलिस नक्सली मुठभेड़ मामले में नक्सली कुंदन पाहन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है (Kundan pahan acquitted by ranchi civil court). 2008 में कुंदन पाहन के खिलाफ रांची के नामकुम थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस मामले में अभियोजन पक्ष ने 5 गवाह पेश किए थे.
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रांची सिविल कोर्ट के अपर न्याययुक्त 3 एमसी झा की कोर्ट में गवाह यह साबित नहीं कर पाए कि पुलिस पार्टी पर कुंदन पाहन के दस्ते ने ही गोलीबारी की थी. जिसके बाद रांची सिविल कोर्ट ने कुंदन पाहन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. हार्डकोर नक्सली कुंदन पाहन कुख्यात नक्सली रह चुका है. उसने 2017 में राज्य सरकार की सरेंडर नीति के तहत आत्मसमर्पण किया था.
कुंदन पाहन के उपर हत्या और लूट के कई मामले दर्ज हैं. इसमें 5 करोड़ नकद समेत 1 किलो सोने की लूट, स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार और पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या भी शामिल है. कुंदन का खौफ कितना था इसे इस बात से समझा जा सकता है कि झारखंड पुलिस ने इस पर 15 लाख रुपये का इनाम रखा था.
कुंदन पाहन ने पूर्व मंत्री सह तमाड़ के तत्कालीन विधायक रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड से जुड़े स्पेशल एनआईए कांड संख्या 1/17 मामले में 10 जून को जमानत याचिका दाखिल की थी. इस मामले में वह 2017 से लगातार जेल में हैं. इसी मामले में सूबे के पूर्व मंत्री गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर भी जेल में हैं. रमेश सिंह मुंडा की हत्या 9 जुलाई 2008 को हाई स्कूल बुंडू में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करने के दौरान गोली मारकर कर दी गई थी. साल 2017 में झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत नक्सली कुंदन पाहन ने अपने हथियार डाल दिए थे, तब से वो अब तक जेल में ही बंद है.