रांची: झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी गठबंधन की सरकार में क्षत्रिय समाज के किसी भी विधायक को मंत्री पद नहीं मिलने से पूरा समाज नाराज चल रहा है. इस मामले को लेकर अब क्षत्रिय समाज के विरोध के स्वर भी सुनाई पड़ने लगे हैं.
राजधानी रांची में क्षत्रिय संगठन प्रतिनिधि महासभा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मंत्री परिषद में किसी भी क्षत्रिय समाज के विधायक को जगह नहीं मिलने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है.
क्षत्रिय संगठन नाराज
झारखंड में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में क्षत्रिय संगठन प्रतिनिधि महासभा के आह्वान पर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा और राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना ने महागठबंधन के पक्ष में हर मोर्चे पर वोट के लिए अपील की, जिसके बदौलत झारखंड में महागठबंधन की सरकार बनी. इस चुनाव में क्षत्रिय समाज से कुल 7 विधायक चुनकर आए जिसमें कांग्रेस में दो, बीजेपी में दो, एनसीपी में एक, माले में एक और एक निर्दलीय शामिल है, लेकिन मंत्री परिषद में किसी भी क्षत्रिय समाज के विधायक को जगह नहीं मिली. राजधानी रांची में क्षत्रिय समाज के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से यह मांग की कि वे एक विधायक को मंत्री परिषद में शामिल करें ताकि समाज की सहभागिता बनी रहे.
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सरयू राय के कारण मिली जीत
क्षत्रिय संगठन प्रतिनिधि महासभा के प्रवक्ता ललन सिंह ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराने में उनके समाज के नेता और वर्तमान विधायक सरयू राय का अहम योगदान रहा. सरयू राय के वजह से ही वोटरों को सरकार की कारगुजारियों के बारे में पता चला.
जिसके बाद लोगों ने महागठबंधन पर भरोसा जताया और उसे बहुमत दिया ताकि वे झारखंड में सरकार बना सके, लेकिन सरकार बनने के बाद महागठबंधन में कई राजपूत विधायक बने लेकिन उन्हें मंत्रिपरिषद में जगह नहीं दी गई. यह घोर आपत्तिजनक है.