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झारखंड में मानसून का विलेन कौन? जानिए, क्यों बिना बरसे ही आगे बढ़ जाते हैं बदरा

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Published : Jul 23, 2022, 9:05 AM IST

झारखंड में मानसून (monsoon in Jharkhand) के बादल बिना बरसे ही इस धरती के ऊपर से चली जा रही है. इसका असर ये है कि मानसून के राज्य में प्रवेश करने के बाद अब तक 51 फीसदी सामान्य से कम बारिश हुई है. अब आलम ऐसा है कि झारखंड में सुखाड़ के हालात बन गए हैं. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानिए, कौन सा बादल बारिश कराती है और ये क्यों बिना बरसे ही आगे बढ़ जा रही है.

Know why not raining in monsoon in Jharkhand
झारखंड में मॉनसून

रांचीः दक्षिण पूर्व मानसून ने अभी तक झारखंड से मुंह मोड़ रखा है, झारखंड में प्रवेश के बाद से अब तक राज्य में सामान्य से 51 फीसदी कम बारिश (low rainfall in monsoon) हुई है. राज्य के पूर्वी सिंहभूम और पश्चिमी सिंहभूम को छोड़ 24 में से 22 जिलों की स्थिति विकट हो चली है. संभावित सुखाड़ के हालात को देखते हुए सरकार और कृषि विभाग ने वैकल्पिक उपाय करने शुरू कर दिए हैं. ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि राज्य में इस वर्ष बारिश क्यों नहीं हो रही है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में सुखाड़ जैसे हालात! कृषि निदेशालय बता रहे कम दिनों में तैयार होने वाले धान के कौन से किस्म लगाएं किसान

मौजूदा समय में देखें तो आसमान कई दफे काले-काले, घनघोर बादलों से ढक जाता है. लेकिन अगले चंद मिनटों में फिर बूंदाबांदी या हल्की बारिश के बाद आसमान साफ नीला दिखने लगता है. सवाल यह कि जब बादल बनते हैं तो बरसते क्यों नहीं? कौन मानसून का विलेन इस बार बना है? इसका जवाब ढूंढने के लिए ईटीवी भारत ने कृषि निदेशालय के संयुक्त निदेशक डॉ ब्रजेश्वर दुबे बताते हैं कि कई दिनों से मौसम और बारिश की स्थिति का आकलन करने पर वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि राज्य में कम बारिश की मुख्य वजह या मुख्य खलनायक तेज गति से चलने वाली हवा है जो बादल को बरसने से पहले ही उड़ाकर कहीं और ले जा रहा है.

देखें पूरी खबर

हवा में उड़ जाता है क्यूमूलो निंबस बादल (Cumulo Nimbus clouds): झारखंड कृषि निदेशालय के संयुक्त निदेशक डॉ ब्रजेश्वर दुबे (Jharkhand Agriculture Directorate Joint Director Dr Brajeshwar Dubey) कहते हैं कि मुख्यतः तीन तरह के बादल बनते हैं जिसमें धरती से सबसे अधिक ऊंचाई पर बनने वाले स्टेटस क्लाउड होता है. इसके बाद क्यूमूलो बादल (Cumulo clouds) और सबसे नीचे निम्बस क्लाउड (Nimbus clouds) होता है.

स्टेटस क्लाउड्स से बारिश नहीं होती जबकि क्यूमूलो और निंबस क्लाउड से बारिश होती है. सबसे अधिक बारिश क्यूमूलो निंबस बादल से ही होती है. संयुक्त निदेशक के अनुसार राज्य में क्यूमूलो निंबस बादल हर दिन बन रहा है परंतु तेज हवा की वजह से वह एक जगह ठहर कर बरस नहीं रहा है. नतीजा यह कि राज्य में सामान्य से 51% कम बारिश हुई है जो काफी चिंताजनक है.

हवा की दिशा और रफ्तार का बारिश पर असरः झारखंड कृषि निदेशालय के संयुक्त निदेशक कहते हैं कि राज्य में अच्छी बारिश तभी संभव है जब या तो हवा की रफ्तार घटे या फिर हवा की दिशा में बदलाव हो. क्योंकि तेज हवा के कारण ही बादल ठहर कर बरस नहीं पा रहे हैं. इन सबके बीच राहत वाली खबर ये है कि मौसम विज्ञान केंद्र ने अगले कुछ दिनों तक में अच्छी बारिश की संभावना जताई है. जिससे यह उम्मीद बंधी है कि राज्य में खेती की खराब होती स्थिति में कुछ सुधार हो.

रांचीः दक्षिण पूर्व मानसून ने अभी तक झारखंड से मुंह मोड़ रखा है, झारखंड में प्रवेश के बाद से अब तक राज्य में सामान्य से 51 फीसदी कम बारिश (low rainfall in monsoon) हुई है. राज्य के पूर्वी सिंहभूम और पश्चिमी सिंहभूम को छोड़ 24 में से 22 जिलों की स्थिति विकट हो चली है. संभावित सुखाड़ के हालात को देखते हुए सरकार और कृषि विभाग ने वैकल्पिक उपाय करने शुरू कर दिए हैं. ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि राज्य में इस वर्ष बारिश क्यों नहीं हो रही है.

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मौजूदा समय में देखें तो आसमान कई दफे काले-काले, घनघोर बादलों से ढक जाता है. लेकिन अगले चंद मिनटों में फिर बूंदाबांदी या हल्की बारिश के बाद आसमान साफ नीला दिखने लगता है. सवाल यह कि जब बादल बनते हैं तो बरसते क्यों नहीं? कौन मानसून का विलेन इस बार बना है? इसका जवाब ढूंढने के लिए ईटीवी भारत ने कृषि निदेशालय के संयुक्त निदेशक डॉ ब्रजेश्वर दुबे बताते हैं कि कई दिनों से मौसम और बारिश की स्थिति का आकलन करने पर वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि राज्य में कम बारिश की मुख्य वजह या मुख्य खलनायक तेज गति से चलने वाली हवा है जो बादल को बरसने से पहले ही उड़ाकर कहीं और ले जा रहा है.

देखें पूरी खबर

हवा में उड़ जाता है क्यूमूलो निंबस बादल (Cumulo Nimbus clouds): झारखंड कृषि निदेशालय के संयुक्त निदेशक डॉ ब्रजेश्वर दुबे (Jharkhand Agriculture Directorate Joint Director Dr Brajeshwar Dubey) कहते हैं कि मुख्यतः तीन तरह के बादल बनते हैं जिसमें धरती से सबसे अधिक ऊंचाई पर बनने वाले स्टेटस क्लाउड होता है. इसके बाद क्यूमूलो बादल (Cumulo clouds) और सबसे नीचे निम्बस क्लाउड (Nimbus clouds) होता है.

स्टेटस क्लाउड्स से बारिश नहीं होती जबकि क्यूमूलो और निंबस क्लाउड से बारिश होती है. सबसे अधिक बारिश क्यूमूलो निंबस बादल से ही होती है. संयुक्त निदेशक के अनुसार राज्य में क्यूमूलो निंबस बादल हर दिन बन रहा है परंतु तेज हवा की वजह से वह एक जगह ठहर कर बरस नहीं रहा है. नतीजा यह कि राज्य में सामान्य से 51% कम बारिश हुई है जो काफी चिंताजनक है.

हवा की दिशा और रफ्तार का बारिश पर असरः झारखंड कृषि निदेशालय के संयुक्त निदेशक कहते हैं कि राज्य में अच्छी बारिश तभी संभव है जब या तो हवा की रफ्तार घटे या फिर हवा की दिशा में बदलाव हो. क्योंकि तेज हवा के कारण ही बादल ठहर कर बरस नहीं पा रहे हैं. इन सबके बीच राहत वाली खबर ये है कि मौसम विज्ञान केंद्र ने अगले कुछ दिनों तक में अच्छी बारिश की संभावना जताई है. जिससे यह उम्मीद बंधी है कि राज्य में खेती की खराब होती स्थिति में कुछ सुधार हो.

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