रांची: बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद संगठन में बड़े पैमाने पर फेरबदल की तैयारी है. बीजेपी प्रदेश संगठन में फेरबदल के साथ नेता प्रतिपक्ष को लेकर भी नये सिरे से कवायद होने वाली है. प्रदेश कार्यसमिति से लेकर जिला कमेटी तक में बदलाव आने वाले समय में किए जाएगे. इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बदलाव विधायक दल के नेता के रूप में आने वाले समय में होने की संभावना है. विधायक दल के नेता के रूप में चयनित होने वाले बीजेपी विधायक ही नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे. इसके लिए पार्टी के अंदर सुगबुगाहट तेज हो गई है.
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नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए बीजेपी में कई हैं चेहरा: बाबूलाल मरांडी को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद सबकी नजरें नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर है. इस पद पर आसीन होने के लिए सबसे पहले बीजेपी द्वारा विधायक दल के नेता को नामित करते हुए विधानसभा को नेता प्रतिपक्ष के नाम की अनुशंसा की जाएगी. बीजेपी द्वारा पंचम विधानसभा में बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष के लिए कई बार नामित कर चुकी है. मगर स्पीकर कोर्ट में बाबूलाल मरांडी पर चल रहे दल बदल के मामले के कारण अब तक यह पेंच फंसा हुआ है.
इधर, बाबूलाल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद पार्टी के अंदर नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए चेहरे की तलाश शुरू हो गई है. बीजेपी में जिन नामों की चर्चा है उसमें सीपी सिंह, अमर बाउरी, बिरंची नारायण, नीलकंठ सिंह मुंडा का नाम शामिल है. जानकारों की मानें तो चूंकि प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी ट्रायबल फेस को दिया गया है. इसलिए बीजेपी नेता प्रतिपक्ष सामान्य वर्ग से देकर वोटबैंक को मजबूत करने की कोशिश करेगा.
हालांकि, ओबीसी वोट साधने के लिए पार्टी उस समाज से चेहरा देने का काम कर सकती है. जब इस संबंध में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और रांची विधायक सीपी सिंह से पूछा गया तो उन्होंने इसे टालते हुए कहा कि कयास लगाने के बजाय कार्यकर्ताओं को पार्टी के द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को निभाने में लगना चाहिए. इन सबके बीच संभावना यह है कि नए प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा गुवाहाटी और दिल्ली में पार्टी की बैठक में शामिल होकर रांची लौटने के बाद विधायक दल की बैठक जल्द ही बुलाई जाए.
पंचम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विहीन है सदन: पंचम विधानसभा में अब तक नेता प्रतिपक्ष विहीन सदन है. बीजेपी द्वारा नये सिरे से नेता प्रतिपक्ष के लिए नामित किये जाने के बाद इसको लेकर फंसा पेंच स्वभाविक रूप से सुलझ जाएगा. झारखंड हाईकोर्ट में लोकायुक्त, सूचना आयोग जैसी संवैधानिक संस्था में रिक्त पदों पर मनोनयन को लेकर चल रहे जनहित याचिका पर सरकार नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं होना का कारण बताती रही है.