रांचीः एमएसएमई, जिसके माध्यम से रोजगार सृजन की संभावनाएं हैं. केन्द्र सरकार इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए पहले से ही एक्ट बनाकर कई तरह के प्रावधान किए हैं. झारखंड सरकार भी 2021 के अपनी उद्योग नीति में सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम दर्जे के उद्योग की स्थापना और उसके प्रोत्साहन के लिए पॉलिसी बना रखी है. इन सबके बीच हेमंत सरकार ने झारखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर एमएसएमई प्रोत्साहन नीति को लॉन्च किया. झारखंड सरकार की नई नीति पूर्व में घोषित उद्योग नीति में दिए गए कुछ प्रावधान से अलग हैं. सरकार का मानना है कि इस पॉलिसी से युवा उद्यमियों को झारखंड में निवेश करने को बढ़ावा मिलेगा और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित होगा.
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क्या है MSME: एमएसएमई क्या है, इसके बारे में जानते हैं. सूक्ष्म उद्यम, वैसे उद्यम जिसमें निवेश की अधिकतम राशि एक करोड़ हो और वार्षिक कारोबार अधिकतम पांच करोड़ हो. लघु उद्यम, वैसे उद्यम जिसमें निवेश की अधिकतम निवेश की सीमा दस करोड़ हो और वार्षिक कारोबार अधिकतम 50 करोड़ रुपये हो. मध्यम उद्यम, वैसे उद्यम जिसमें निवेश की अधिकतम निवेश की सीमा 50 करोड़ हो और वार्षिक कारोबार अधिकतम 250 करोड़ रुपये हो.
हेमंत सरकार की एमएसएमई प्रोत्साहन नीति में क्या है खासः ब्याज सब्सिडी-पांच साल तक बैंक ऋण पर 5% ब्याज सब्सिडी, अधिकतम सीमा मे सूक्ष्म एवं लघु उद्यम के लिए 25 लाख और 1 करोड़ वहीं मध्यम उद्यम के लिए 2 करोड़. स्टांम्प शुल्क और पंजीकरण में छूट में रैयतों से खरीदी गई जमीन. गुणवत्ता पंजीकरण सहायता में 25 लाख तक 100% गुणवत्ता पंजीकरण सहायता फ्री. पेटेंट पंजीकरण सहायता में अधिकतम 25 लाख तक की वित्तीय सहायता प्रति पेटेंट, व्यय का 50%. निर्यात विकास सहायता में स्टांप शुल्क का 75% अधिकतम चार लाख तक का प्रावधान, विद्युत शुल्क में उत्पादन शुरू होने के पश्चात 5 वर्षों के लिए बिजली शुल्क फ्री देने का प्रावधान रखा गया है.
एमएसएमई प्रोत्साहन नीति को जमीन पर उतारने की मांगः राज्य सरकार के द्वारा लाई गयी एमएसएमई प्रोत्साहन नीति को जमीन पर उतारने की मांग शुरू हो गई है. झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अंजय पचेरिवाला ने कहा है कि पॉलिसी बहुत बनती है मगर इसे जब जमीन पर उतारने की बात होती है तो कई तरह की अरचने आती रहती हैं, ऐसे में वास्तविक लाभ जिन्हें मिलना चाहिए वो नहीं मिल पाता है. उन्होंने कहा कि इस तरह की पॉलिसी पहले से ही समेकित रुप से उद्योग नीति 2021 में देखी गई है. अंतर यह है कि इसे अलग रुप देकर लाया गया है. केन्द्र सरकार द्वारा पहले से ही इस संबंध में कानून बनाया गया है.
झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने इस नीति का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा सकेगा और रोजगार सृजन हो सकेगा. चैंबर उपाध्यक्ष आदित्य मलहोत्रा ने इसका स्वागत करते हुए कहा है कि स्वरोजगार को बढ़ावा देने के साथ-साथ राज्य में रोजगार सृजन भी होगा बशर्ते की इसे सही से जमीन पर उतारा जाए. जानकारी के मुताबिक राज्य में करीब एक लाख एमएसएमई निबंधित हैं. ऐसे में सरकार के इस पॉलिसी का लाभ उन्हीं को मिलेगा जो नये उद्यम निबंधित होंगे.
जनजातीय परामर्शदातृ परिषद यानी टीएसी ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए सीएनटी एक्ट के अंतर्गत 26 जनवरी 1950 के समय राज्य के भीतर जो जिले और थाने स्थापित थे. उन्हीं को जिला और थाना मानते हुए धारा 46 के तहत जमीन खरीद बिक्री को लेकर मान्यता प्रदान किए जाने का निर्णय लिया है. गुरुवार 16 नवंबर को झारखंड मंत्रालय में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में हुई टीएसी की 26वीं बैठक में कई प्रस्तावों पर निर्णय लिया गया. इस बैठक में जनजातीय परामर्शदातृ परिषद ने जहां झारखंड विधानसभा के सदस्य स्टीफन मरांडी की अध्यक्षता में बनी जनजातीय परामर्शदातृ परिषद की उपसमिति का कार्यकाल एक साल बढाने का निर्णय लिया गया वहीं वन पट्टा वितरण में तेजी लाने पर चर्चा हुई.
23 नवंबर 2022 को हुई थी टीएसी की पिछली बैठकः टीएसी की पिछली बैठक 23 नवंबर 2022 को हुई थी. करीब एक साल बाद 16 नवंबर को आज बैठक हुई है. करीब दो घंटे तक चली इस बैठक में लुगु पहाड़ में हाइडल पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट नहीं स्थापित करने का निर्णय लिया गया. यह बोकारो में स्थित है जो आदिवासी संतालियों के धार्मिक धरोहर के रूप में माना जाता है. लुगू पहाड़ पर दामोदर घाटी निगम द्वारा यह योजना प्रस्तावित है. बैठक में वर्तमान सरकार के 4 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार के तीसरे चरण के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों को निर्धारित शिविरों में जाकर सहयोग करने की अपील की गई.
इसके अलावे अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान के अंतर्गत राज्य सरकार के द्वारा चलाए जा रहे वन पट्टा वितरण में सहयोग करने का अनुरोध किया गया. बैठक में झारखंड में पेसा कानून लागू किए जाने संबंधी प्रस्ताव पर चर्चा हुई. सदस्यों से इस संबंध में लिखित सुझाव मांगे गए. छोटानागपुर काष्टकारी अधिनियम 1908 पर भी टीएसी की बैठक में चर्चा हुई. इस बैठक में उपाध्यक्ष चंपई सोरेन, विधायक सह सदस्य स्टीफन मरांडी, सोनाराम सिंकू, शिल्पी नेहा तिर्की एवं अन्य सदस्यों के साथ मुख्य सचिव सुखदेव सिंह एवं अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का और मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे उपस्थित थे.