रांची: सनातन धर्म में होली का पावन पर्व बड़े हर्षा-उल्लास के साथ मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन कामदेव का पुनर्जन्म हुआ था. होली से पहले होलिका दहन का भी बहुत महत्व होता है लेकिन इस साल भद्र काल के प्रवेश होने से होलिका दहन का संयोग अलग बना है. हिंदू पंचांग के अनुसार और पंडितों की माने तो इस साल होलिका दहन पर भद्रकाल लग रहा है, जिस वजह से होली और होलिका दहन की तिथि में असमंजस देखने को मिला है. रांची के प्रख्यात पंडित जितेंद्र जी महाराज ने होली के मुहूर्त की जानकारी दी.
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पंडितों के अनुसार लोगों ने इस साल होलिका दहन के संयोग बनने के बाद ही होलिका दहन के कार्यक्रम की शुरुआत की. हालांकि राजधानी के कई मुहल्लों में 11:00 बजे रात से ही होलिका दहन की शुरुआत कर दी गई थी. लेकिन राजधानी के कुछ क्षेत्रों में करीब 1:00 बजे रात तक को होलिका दहन किया गया. लोगों ने बताया कि इस बार की होली और होलिका दहन को लेकर कई तरह के संशय है लेकिन, जिन्हें हिंदू पंचांग और सनातन धर्म का ज्ञान है वह नियमानुसार यानी पंचाग में बन रहे संयोग के मुताबिक 12:56 बजे रात के बाद ही होलिका दहन कर रहे हैं. पंडितों के अनुसार रात 12 बजे के बाद होलिका दहन होने के कारण होली का मुहूर्त 18 मार्च को ना होकर 19 मार्च को है.
होलिका दहन के दौरान रांची जिला प्रशासन की नजर लोगों पर बनी रही. जिस क्षेत्र में होलिका दहन हो रहे थे वहां पर विशेष ध्यान रखा जा रहा था कि किसी भी सरकारी संपत्ति जैसे बिजली के हाई वोल्टेज तार, पोल, होर्डिंग इत्यादि का नुकसान ना हो. दरअसल, कई बार होलिका दहन के दौरान लोगों की लापरवाही की वजह से शहर में विद्युत आपूर्ति को पूरा करने के लिए पोल पर लगाए गए तार क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जिससे कई क्षेत्रों की विद्युत आपूर्ति बाधित हो जाती है.